(Date : 29/April/2424)

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लायलपुर खालसा कॉलेज फॉर वूमेन, जालंधर में फेयरवेल पार्टी का आयोजन | सीटी यूनिवर्सिटी ने सीटीयू मॉडल यूनाइटेड नेशंस (सीटीयू एमयूएन) 2024 की मेजबानी | एच.एम.वी. में रेजिडेंट स्कालर्स के लिए फेयरवैल पार्टी का आयोजन | सेंट सोल्जर को-एजुकेशन कॉलेज, जालंधर के छात्र ने पूरे एशिया में चमकाया ग्रुप का नाम | सीबीएसई की ओर से दो दिवसीय वर्कशाप में दी ट्रेनिंग |

आई.के.जी पी.टी.यू में इंडियन नॉलेज सिस्टम विषय पर विशेष लेक्चर सत्र आयोजित






इतिहास के हवाले से "उच्च शिक्षा में भारतीय ज्ञान परंपरा" का महत्व समझाया

जालंधर (अरोड़ा) :- आई के गुज़राल पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी (आई.के.जी पी.टी.यू) में इंडियन नॉलेज सिस्टम (भारतीय ज्ञान परंपरा) विषय पर एक विशेष सत्र आयोजित किया गया! इसमें भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आई.आई.टी) बी.एच.यू वाराणसी (उत्तर प्रदेश) के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रुचिर गुप्ता मुख्य वक्ता के तौर पर शामिल हुए! यूनिवर्सिटी कुलपति प्रो (डा) सुशील मित्तल इस सत्र में मुख्य अतिथि रहे! यह आयोजन यूनिवर्सिटी में हाल ही में स्थापित किये आई.के.एस सेल द्वारा किया गया! आई.के.एस सेल यूनिवर्सिटी के आर एंड डी (रिसर्च एंड डेवलपमेंट) विभाग में स्थापित किया गया है! यूनिवर्सिटी रजिस्ट्रार डा.एस.के.मिश्रा एवं डीन आर एंड डी  डा. हितेश शर्मा ने आयोजन मंडल की अध्यक्षता की! अपने संबोधन में मुख्य वक्ता डॉ. रुचिर गुप्ता ने बताया कि भारतीय ज्ञान परंपरा विभाग या भारतीय ज्ञान प्रणाली (आई.के.एस) की स्थापना अक्टूबर 2020 में हुई है! इसका उद्देश्य "भारतीय ज्ञान प्रणालियों" के सभी पहलुओं पर अनुसंधान, शोध को बढ़ावा देना एवं सामाजिक अनुप्रयोगों के लिए "भारतीय ज्ञान प्रणालियों" को संरक्षित एवं प्रसारित करना है। उन्होंने इतिहास के तथ्यों के हवाले से स्पष्ट किया कि भारतीय विज्ञान, अनुसंधान का डंका विश्व स्तर पर बजता था, मगर ब्रिटिश काल में कुछ सुनियोजित तरीके से भारतीय दक्षता को पीछे धकेल दिया ! इसलिए फिर से भारतीय शैली में विज्ञान एवं अनुसन्धान को विकसित करना जरूरी है, ताकि आने वाली पीढ़ियों को अपने रिच कल्चर (अमीर परंपरा) पर गर्व हो! उन्होंने आई.के.एस के तहत तैयार शॉर्ट टर्म कोर्स एवं फैकल्टी डेवलपमेंट के बारे में भी जानकारी सांझी की! डॉ. रुचिर गुप्ता ने बताया कि आई.के.एस का काम उन व्यक्तियों और संगठनों का एक डेटाबेस बनाना भी है जिन्होंने कला, संगीत, नृत्य, नाटक से लेकर गणित, खगोल विज्ञान, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, जीव विज्ञान तक प्राचीन और समकालीन समृद्ध भारतीय ज्ञान प्रणालियों के अनुसंधान, शिक्षण, प्रकाशन संरक्षण के माध्यम से योगदान दिया है! कुलपति प्रो (डा) सुशील मित्तल ने विषय की गंभीरता एवं जरूरत पर अपने विचार रखे! रजिस्ट्रार डा. एस.के मिश्रा ने पंजाब प्रदेश के संदर्भ में अपने विचार साझा किये! समारोह में स्वागत सम्बोधन डीन आर एंड डी डा. हितेश शर्मा का रहा, जबकि धन्यवाद प्रस्ताव डीन अकादमिक प्रो (डा) विकास चावला ने रखा! इस अवसर पर एन.एस.एस कोऑर्डिनेटर डा. चन्दर प्रकाश, विनय केहर, फैकल्टी मेंबर्स एवं विभिन्न विभागों के विद्यार्थी उपस्थित रहे! 

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