(Date : 05/May/2424)

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भारतीय खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र की अपार संभावनाओं का दोहन: वर्ल्ड फूड इंडिया 2023 और उससे आगे






जालंधर (ब्यूरो) :- 21वीं सदी में भारत की विकास यात्रा सराहनीय रही है। एक राष्ट्र के रूप में हमारी विकास गाथा निरंतर प्रगति, प्रौद्योगिकी, स्थिरता के प्रति प्रतिबद्धता, सुदृढ़ उद्यमों और हमारे वैश्विक दृष्टिकोण से सुसज्जित है। इस अनुकरणीय विकास को हमारे उद्योगों और इसके कई घटक क्षेत्रों ने महत्वपूर्ण तरीके से प्रोत्साहित किया है और यह विकास हर दिन भारत को एक नया रूप दे रहा है। यहां के उद्योग जगत के सबसे आशाजनक, गतिशील और कम सुर्खियां बटोरने वाले क्षेत्रों में से एक है- भारतीय खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र। भारत में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग ने हाल के वर्षों में उल्लेखनीय प्रगति की है और इसमें आगे भी लगातार विकास की अपार संभावनाएं हैं। प्रसंस्करण के जरिए मूल्यवर्धन करने की विशेषता खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को उन प्रमुख क्षेत्रों में से एक बनाती है जो भारतीय कृषि के परिदृश्य को बदल सकता है और किसानों की आय को दोगुना करने में योगदान दे सकता है। सतत उपभोग और उत्पादन के पैटर्न को सुनिश्चित करने से संबंधित संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के आलोक में, खाद्य अपशिष्ट में कमी लाने पर जोर दिया गया है। प्रसंस्करण तकनीकों में नवाचार, निरंतर सोर्सिंग, पुनर्प्रसंस्करण और कृषि उपज के कारगर उपयोग के जरिए खाद्य प्रसंस्करण उद्योग विविध एसडीजी को हासिल करने की प्रक्रिया में योगदान देते हुए खाद्य अपशिष्ट को कम करने के कार्य में उत्प्रेरक की भूमिका निभा सकता है। हाल के वर्षों में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की लगातार उच्च विकास दर और इसके आकर्षक भविष्य के अनुमानों को देखते हुए, यह उद्योग भारत के आर्थिक विकास के महत्वपूर्ण वाहकों में से एक साबित होगा। भारत सरकार ने इस क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देने हेतु कई नीतिगत पहल की हैं। प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (पीएमकेएसवाई) खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में आधुनिक बुनियादी ढांचे के निर्माण के उद्देश्य से केन्द्र सरकार द्वारा शुरू की गई एक महत्वपूर्ण पहल है। इस योजना से लगभग 11,000 करोड़ रुपये का पर्याप्त निवेश होने की उम्मीद है, जिससे 5.44 लाख नौकरियां सृजित होंगी और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को ठोस प्रोत्साहन मिलेगा। सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों का पीएम औपचारिकीकरण (पीएमएफएमई) एक अन्य केन्द्र प्रायोजित योजना है जिसका उद्देश्य सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों को औपचारिक क्षेत्र में शामिल होने में मदद करना है। कुल 10,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ, यह योजना 2,00,000 सूक्ष्म इकाइयों को पूंजी से जुड़ी सब्सिडी प्रदान करती है। पीएमएफएमई के तहत, 15 ऋण देने वाले बैंकों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं और 25 राज्यों के लिए परियोजना कार्यान्वयन संबंधी योजनाओं को मंजूरी दी गई है। केन्द्र सरकार का लक्ष्य कुल 10,900 करोड़ रुपये वाली खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआईएसएफपीआई) के जरिए उभरते भारतीय खाद्य ब्रांडों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है। इस योजना से खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में उत्पादन को 33,000 करोड़ रुपये तक बढ़ाने और 2.5 लाख नौकरियां सृजित करने में मदद मिलने की उम्मीद है। ‘वर्ल्ड फूड इंडिया’, भारत सरकार के दृष्टिकोण को रेखांकित करने वाली एक महत्वपूर्ण पहल है। यह घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी वाला एक वैश्विक कार्यक्रम है। यह वृहद कार्यक्रम दुनिया भर के निवेशकों, अगुवाओं और भागीदारों को खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में भारत की क्षमताओं से परिचित कराने पर केन्द्रित है। वर्ष 2017 में आयोजित वर्ल्ड फूड इंडिया (डब्ल्यूएफआई) का पहला संस्करण उल्लेखनीय रूप से सफल रहा था और इसमें 61 देशों और 27 राज्यों के नेताओं, प्रतिनिधियों और प्रतिभागियों की भागीदारी हुई थी। वर्ल्ड फूड इंडिया, 2017 निवेश को सुविधाजनक बनाने के मामले में भी अभूतपूर्व रूप से सफल रही थी, जोकि इस उद्योग के परिवर्तनकारी विकास को प्रेरित करेगी। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (एमओएफपीआई) 2023 में ‘वर्ल्ड फूड इंडिया’ (डब्ल्यूएफआई) के दूसरे संस्करण को भारतीय एवं वैश्विक खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को एक मंच पर लाने वाले एक वास्तविक वैश्विक कार्यक्रम के रूप में आयोजित करने के लिए पूरी तरह तैयार है। भारतीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में निर्यात करने की पर्याप्त क्षमता है। वैश्विक स्तर के उद्यमों के साथ जुड़कर, भारतीय व्यवसाय जगत प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के इन आकर्षक निर्यात बाजारों में प्रवेश कर सकता है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग प्राथमिक क्षेत्र पर आधारित है क्योंकि प्रसंस्करण की प्रक्रिया की  शुरुआत कृषिगत उत्पादों से होती है। दुनिया के दूसरे सबसे बड़े कृषि उत्पादन के साथ, भारत खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में वर्षों तक उच्च वृद्धि बनाए रखने की दृष्टि से सबसे बेहतर स्थिति में है। इसके अलावा, भारत में खाद्य प्रसंस्करण का स्तर लगभग 10 प्रतिशत है, जोकि बड़े पैमाने पर इसकी अप्रयुक्त क्षमता को दर्शाता है। बढ़ते शहरीकरण, उच्च आय और भोजन संबंधी सुविधाजनक प्राथमिकताओं के कारण प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की वैश्विक मांग निरंतर चार प्रतिशत की दर से बढ़ रही है। अपनी बड़ी आबादी, बढ़ते आय स्तर और मजबूत आर्थिक विकास के साथ, भारत निवेश का एक आकर्षक गंतव्य-स्थल है। इसका खाद्य प्रसंस्करण उद्योग अर्थव्यवस्था के सबसे विश्वसनीय क्षेत्रों में से एक के रूप में अपनी चमक बिखेर रहा है। अब जबकि भारत पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग इस प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है। नवाचार, निवेश और नीतिगत समर्थन के सही मिश्रण के साथ, यह उद्योग इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने में उल्लेखनीय योगदान दे सकता है। वर्ल्ड फूड इंडिया 2023 के आयोजन के जरिए, भारतीय खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र की अपार संभावनाएं बेजोड़ तरीके से सारी दुनिया का ध्यान आकृष्ट करने वाली हैं। घरेलू व विदेशी निवेशकों तथा वैश्विक खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए भारत में खाद्य प्रसंस्करण से जुड़ी अपार संभावनाओं का दोहन करने और भारत की विकास गाथा के साथ तालमेल करते हुए एक बेहतर वैश्विक भविष्य को प्रोत्साहित करने का यह सही समय है। ‘वर्ल्ड फूड इंडिया 2023’ एक ऐतिहासिक आयोजन साबित होने और भारत की क्षमताओं के साथ वैश्विक चुनौतियों का समाधान करते हुए भारतीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के प्रवेश द्वार के रूप में उभरने के लिए तैयार है।

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