डीएवी कॉलेज जालंधर में ‘वन हन्डर्ड इयर्स ऑफ डीएवी कॉलेज जालंधर’ पुस्तक का विमोचन किया गया
“प्राचार्य जगदीश चंद्र जोशी द्वारा रचित ‘वन हन्डर्ड इयर्स ऑफ डीएवी कॉलेज जालंधर’ पुस्तक अद्वितीय व अनूठा कार्य” - प्राचार्य डॉ राजेश कुमार
जालंधर (अरोड़ा) :- डीएवी कॉलेज जालंधर में सेवानिवृत प्राचार्य व डीएवी कॉलेज के पूर्व छात्र जगदीश चंद्र जोशी द्वारा रचित ‘वन हन्डर्ड इयर्स ऑफ डीएवी कॉलेज जालंधर’ पुस्तक का विमोचन किया गया। इस अवसर पर कॉलेज के पूर्व छात्र आईएएस सर्वेश कौशल, पूर्व चीफ सेक्रेटरी, पंजाब ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। कॉलेज प्राचार्य डॉ राजेश कुमार, कार्यक्रम संयोजक प्रो. शरद मनोचा व अन्य स्टाफ सदस्यों ने मुख्य अतिथि आईएएस सर्वेश कौशल तथा लेखक प्राचार्य जगदीश चंद्र जोशी का फूलमालाओं से स्वागत किया। इस अवसर पर प्राचार्य डॉ राजेश कुमार ने प्राचार्य जगदीश चंद्र जोशी द्वारा रचित ‘वन हन्डर्ड इयर्स ऑफ डीएवी कॉलेज जालंधर’ पुस्तक को इस सदी का अद्वितीय व अनूठा कार्य बताते हुए प्राचार्य जोशी को बधाई प्रेषित की। डीएवी कॉलेज के एतिहासिक परिप्रेक्ष्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि राष्ट्र निर्माण में डीएवी की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने बताया कि स्वामी दयानंद सरस्वती जी की स्मृति में सन् 1886 में पहला डीएवी स्कूल तथा सन् 1889 में पहला डीएवी कॉलेज लाहौर में खोल गया। डीएवी कॉलेज जालन्धर की स्थापना का श्रेय संस्थापक प्राचार्य पंडित मेहरचंद जी तथा लखपत राय को जाता है। 13 मई 1918 में 26 विद्यार्थियों व चार प्राध्यापकों के साथ शुरू हुआ डीएवी कॉलेज जालन्धर आज वटवृक्ष बन चुका है। कॉलेज से शिक्षा प्राप्त चुके पूर्व विद्यार्थी विभिन्न क्षेत्रों में ऊंचे पदों पर आसीन है। इस दौरान बाल आनन्द द्वारा रचित ‘मेरी जीवन यात्रा’ शीर्षक पुस्तक का भी विमोचन किया गया। बाल आनन्द ने अपनी पुस्तक के दो अध्याय डीएवी कॉलेज को समर्पित किए है।
प्राचार्य जगदीश चंद्र जोशी ने स्व. बाल आनन्द को स्मरण करते हुए ‘वन हन्डर्ड इयर्स ऑफ डीएवी कॉलेज जालंधर’ पुस्तक की रचना प्रक्रिया पर प्रकाश डालते हुए इस पुस्तक में डीएवी कॉलेज के स्थापना वर्ष 1918 से लेकर 13 मई 2018 तक के इतिहास को सँजोया गया है। उन्होंने कहा कि 2009 में प्राचार्य वी के तिवाड़ी के कार्यकाल में आयोजित एलूमनी मीट के अवसर पर लिखे जाने वाले सोविनियर के दौरान ही इस पुस्तक का बीजारोपण हो चुका था। उन्होंने पुस्तक के अध्यायों पर चर्चा करते हुए पूर्व प्राचार्यों के उद्गार व विचारों को उल्लेखित किया। मुख्य अतिथि आईएएस सर्वेश कौशल ने इस कार्यक्रम को एतिहासिक बताते हुए कॉलेज के अनुशासन, गुणवत्ता आधारित शिक्षा, प्राध्यापकों की दूरदृष्टि, उत्कृष्ट लाइब्रेरी तथा अपने विद्यार्थी जीवन का जिक्र किया। शिक्षा के बाज़ारीकरण पर आक्षेप जताते हुए कहा कि डीएवी आज मूल्यों आधारित शिक्षा प्रदान करके राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दे रहा है। ‘वन हन्डर्ड इयर्स ऑफ डीएवी कॉलेज जालंधर’ पुस्तक डीएवी के इतिहास में मील का पत्थर साबित होगी। समापन सत्र में प्रो. के.के. घई ने अपने खुशी प्रकट करते हुए कहा कि इस पुस्तक का प्रकाशित होना कॉलेज के लिए गर्व की बात है। उन्होंने प्राचार्य जगदीश चंद्र जोशी को इस अद्वितीय कार्य के लिए बधाई प्रेषित की। मुख्य अतिथि आईएएस सर्वेश कौशल, प्राचार्य जगदीश चंद्र जोशी व प्रो. के. के. घई को शाल व स्मृति चिह्न प्रदान करके सम्मानित किया गया। इस अवसर पर कुन्दनलाल अग्रवाल, पूर्व प्राचार्य एमएल एरी, कॉलेज उप-प्राचार्य प्रो. अर्चना ओबराय, प्राचार्य डॉ अनूप कुमार, आईएएस परवीन कुमार, कर्नल तिलकराज, कर्नल मनमोहन सिंह, प्रो. जेसी कौल, प्रो. टीडी सैनी, सविता तिवारी, प्रो. उषा उप्पल, प्रो. आरके शर्मा, प्रो. आरके पराशर, प्रो. सतीश टंडन, प्रो. एजे बहल, प्रो. सीजे बहल, अरविन्द त्रिवेदी, डॉ चेतन सिंह डायरेक्टर भाषा विभाग, स. एस एम सिंह, कॉलेज अकादमिक परिषद व संकाय सदस्य तथा अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।