अर्जन वीर फाउंडेशन के सहयोग से सीटी यूनिवर्सिटी ने थैलेसीमिया जागरूकता पर सत्र का किया आयोजन
अर्जन वीर फाउंडेशन की सीईओ जसलीन गरचा ने 'स्टेम सेल दान' करने के लिए किया प्रोत्साहित
जालंधर (अरोड़ा) :- अर्जन वीर फाउंडेशन के सहयोग से सीटी यूनिवर्सिटी ने थैलेसीमिया जागरूकता और स्टेम सेल डोनेशन पंजीकरण के लिए एक विशेष सत्र का आयोजन किया। सत्र का उद्देश्य ब्लड कैंसर से पीड़ित लोगों के जीवन को बचाने में स्टेम सेल डोनेशन की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में जागरूकता पैदा करना था। अर्जन वीर फाउंडेशन की सीईओ जसलीन गरचा ने थैलेसीमिया के बारे में जागरूक करने के साथ साथ स्टेम सेल के महत्व के बारे में बहुमूल्य जानकारी साझा की। सीटी यूनिवर्सिटी ने अपनी सामाजिक जिम्मेदारी को समझते हुए इस सत्र का आयोजन किया जिसमें जसलीन गरचा ने थैलेसीमिया और स्टेम सेल डोनेशन पर गहन जानकारी देते हुए इस जीवन रक्षक पहल में अधिक से अधिक भागीदारी की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोई ब्लड कैंसर रोगी है एक स्वस्थ स्टेम सेल डोनर मिलता है, उसकी जान बचाई जा सकती है। दुर्भाग्य से, रक्त मिलान होने की संभावना बहुत कम होती है और कभी-कभी यह लाखों में एक होती है।
उन्होंने यह भी साझा किया कि भारत की कुल जनसंख्या 130 करोड़ से अधिक है लेकिन अभी तक स्टेम सेल दान के लिए पंजीकृत लोगों की संख्या केवल 5 लाख है। ऐसे में कैंसर के मरीजों के इलाज के लिए विदेश से स्टेम सेल मंगवानी पड़ती है, जिस पर करीब 50 लाख रुपये का खर्च आता है, जो आम आदमी की पहुंच से बाहर है. इतना ही नहीं उन्होंने स्टेम सेल डोनेशन की प्रक्रिया भी समझाई। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इससे शरीर को किसी प्रकार का नुकसान नहीं होता बल्कि मरने वाले को जीवन मिलता है। भारत में स्टेम सेल दान पंजीकरण केवल आधा मिलियन हैं, जबकि देश की जनसंख्या 1.3 बिलियन से अधिक है। नतीजतन, अधिकांश भारतीयों को विदेशों से स्टेम सेल का आयात करना पड़ता है, जिसकी कीमत 50 लाख रुपये तक होती है, जो औसत व्यक्ति की क्षमता से परे है। व्याख्यान में संभावित दाताओं को आश्वस्त करते हुए स्टेम सेल डोनेशन की प्रक्रिया के बारे में बताया गया कि मरने वाले व्यक्ति को जीवन का उपहार देते समय उन्हें कम से कम समस्याओं का सामना करना पड़ता है। सत्र से प्रेरित होकर, सीटी यूनिवर्सिटी के छात्रों और शिक्षकों ने मौके पर ही स्टेम सेल डोनर के रूप में पंजीकरण का सक्रिय कदम उठाया। सीटी यूनिवर्सिटी के छात्र कल्याण विभाग के उप निदेशक दविंदर सिंह ने कहा कि सीटी यूनिवर्सिटी और अर्जन वीर फाउंडेशन लोगों से स्टेम सेल डोनर के रूप में पंजीकरण कराने का आग्रह करता है, जिससे कैंसर रोगियों के जीवन पर परिवर्तनकारी प्रभाव डाला जा सकता है। जागरूकता बढ़ाकर और दान की संस्कृति को बढ़ावा देकर, भारत में स्टेम सेल की मांग और उपलब्धता के बीच की अंतर् को कम किया जा सकता है। सीटी यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर (कार्यकारी ) डॉ. सतीश ने कहा कि सीटी यूनिवर्सिटी समाज पर सकारात्मक प्रभाव पैदा करने के लिए समर्पित है, ऐसे सत्र बच्चों को प्रेरित करते हैं। इस अवसर पर छात्र कल्याण विभाग के डिप्टी डिरेक्टर दविंदर सिंह, सांस्कृतिक मामलों की उप निदेशक सरघी कौर बाढिंग, मैनेजर ऑपरेशन्स पवनवीर कौर, स्टाफ और छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।