(Date : 06/May/2424)

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डीएवी यूनिवर्सिटी ने आर्किटेक्चर के वैदिक साइंस पर जी 20 सेंसिटाइजेशन सेशन का किया आयोजन






जालंधर (अरोड़ा) :- डीएवी यूनिवर्सिटी ने जी 20 यूनिवर्सिटी कनेक्ट इनिशिएटिव: इंडियन नॉलेज ट्रेडिशन के तहत वासुशास्त्र - द वैदिक साइंस ऑफ आर्किटेक्चर विषय पर जी 20 सेंसेटाईज़ेशन सेशन का आयोजन किया। एक्सपर्ट टॉक का उद्देश्य स्टूडेंट्स को वैदिक विज्ञान के महत्व और वास्तुकला के क्षेत्र में इसके प्रयोग के बारे में अवगत करवाना था। प्रसिद्ध वैदिक विद्वान, संस्कृत प्रतिभा पुरस्कार और श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय (केंद्रीय विश्वविद्यालय), नई दिल्ली से कालिदास पुरस्कार विजेता डॉ. देशबंधु सत्र के मुख्य वक्ता थे।

10 वर्षीय नवोदित प्रतिभा मास्टर अमृतबंधु इस कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि थे। अमृतबंधु को श्रीमद्भागवत गीता के श्लोक कंठस्थ है।  डॉ. देशबंधु ने चार वेदों - ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद की संक्षिप्त व्याख्या की और बताया कि वास्तु एक सच्चा विज्ञान है न कि कोई मिथक या अंधविश्वास। उन्होंने कहा कि किसी व्यक्ति का भाग्य उनके जन्म के समय सितारों और पृथ्वी की स्थिति पर निर्भर करता है। विशेषज्ञ ने वास्तु के अनुसार दिशाओं के महत्व पर भी प्रकाश डाला और किसी व्यक्ति के घर में मौजूद 45 प्रकार की ऊर्जाओं के बारे में विस्तार से बताया जो उनके जीवन को सकारात्मक या नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती हैं। उन्होंने विस्तार से बताया कि घर के अलग-अलग कमरे कहां और किस दिशा में होने चाहिए और घर में कमरों और खंभों का निर्माण कैसे करना चाहिए। उन्होंने मंदिरों के निर्माण के बारे में भी बात की और बताया कि कैसे एक मंदिर वास्तु के अनुसार बनाए जाने पर ही सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। डॉ. देशबंधु ने मंदिर के हर हिस्से और कोने के महत्व पर जोर दिया और बताया कि वास्तु से जुड़ी छोटी-छोटी चीजें किसी व्यक्ति की भलाई को कैसे प्रभावित कर सकती हैं। कार्यक्रम की शुरुआत डीएवी यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर डॉ मनोज कुमार के उद्घाटन भाषण से हुई।  उन्होंने जी 20 प्रेसीडेंसी के महत्व और इसके आयोजन में भारत भूमिका के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि  डीएवी  यूनिवर्सिटी के पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान प्रणाली को शामिल किया जा रहा है। सिलेबस नई शिक्षा नीति 2020 के अनुसार नए सिरे से तैयार किया जा रहा है। सत्र में विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के 100 से अधिक छात्रों ने भाग लिया। इस अवसर पर रजिस्ट्रार प्रो. के.एन. कौल, वैदिक अध्ययन के विशेषज्ञ डॉ. जीवन आशा, और डॉ. गीतिका नागरथ (डीन सीबीएमई और मानविकी) उपस्थित थे।

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