(Date : 05/May/2424)

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पीसीएम एसडी कॉलेज फॉर वुमन, जालंधर में एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया






जालंधर (तरुण) :- आजादी के 75 वर्ष की पूर्व संध्या पर और 'आजादी का अमृत महोत्सव' मनाने के लिए पीसीएम के अंग्रेजी विभाग एस.डी.  कॉलेज फॉर वूमेन, जालंधर ने 18 मार्च, 2023 को "डायस्पोरा, ट्रांसनेशनलिज्म एंड नेशनल माइग्रेशन ऑफ इंडियन पंजाबी पॉपुलस: स्ट्रगल एंड ट्रांसफॉर्मेशन" विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया। सेमिनार के मुख्य अतिथि प्रोफेसर (डॉ.) मधु पराशर, पूर्व प्राचार्य, देव समाज महिला कॉलेज, फिरोजपुर थे। अपने संबोधन में उन्होंने भारतीयकरण, पारिवारिक बंधनों और मानसिक संतुलन पर जोर दिया। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलित करके भगवान के आशीर्वाद से की गई। जिसके बाद नरेश कुमार बुधिया अध्यक्ष, शासी निकाय के साथ-साथ मुख्य संरक्षक, विनोद दादा, शासी निकाय के वरिष्ठ उपाध्यक्ष, संयोजक और प्राचार्य प्रोफेसर (डॉ.) पूजा पराशर द्वारा गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत पुष्पगुच्छ से किया गया। सेमिनार के संयोजक उजला दादा जोशी, विभागाध्यक्ष एवं एसोसिएट प्रोफेसर, अंग्रेजी विभाग से थे। योग्य प्रधानाचार्य ने अतिथियों का औपचारिक स्वागत किया और संस्थान के बारे में संक्षिप्त विवरण दिया। उजला दादा जोशी, प्रमुख और एसोसिएट प्रोफेसर ने उद्घाटन भाषण दिया जिसमें उन्होंने संगोष्ठी के उद्देश्य के बारे में जानकारी दी। प्रो. (डॉ.) मनिंदर सिंह रंधावा, पूर्व प्रोफेसर और समाजशास्त्र विभाग के प्रमुख, पंजाबी विश्वविद्यालय पटियाला ने मुख्य भाषण दिया और दर्शकों को गैंगस्टरिज्म और ड्रग आतंकवाद पर अपने उल्लेखनीय विचारों से अवगत कराया, जो युवाओं को पलायन करने के लिए मजबूर करता है। अपनी सांस्कृतिक और भाषाई जड़ों के संपर्क में रहने की आवश्यकता है। तकनीकी सत्र के दौरान पहले स्त्रोत्वक्ता डॉ.नरिंदर नेब, पूर्व एसोसिएट प्रोफेसर, अंग्रेजी विभाग, डीएवी कॉलेज, जालंधर थे। उन्होंने अपने विष्य "प्रवास " जिसमे घर की इच्छा, अविश्वास की भावना और निर्वासन थीं। तकनीकी सत्र की दूसरी रिसोर्स पर्सन डॉ. शेफाली चौहान, असिस्टेंट प्रोफेसर, इतिहास विभाग, गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी, अमृतसर थीं।  उन्होंने डायस्पोरा के संदर्भ में दलित परिप्रेक्ष्य पर विस्तार से बताया। प्रोफेसर डॉ रवींद्र सिंह, पंजाबी विभाग, दयाल सिंह कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय, नई दिल्ली दिन के समापन वक्ता थे। उन्होंने हिंदू संस्कृति के बारे में चर्चा की कि कैसे इसे पश्चिमी सभ्यता द्वारा हेय दृष्टि से देखा जाता है और सामाजिक संरचनाओं को बदलने की जरूरत है। इस शुभ अवसर पर विशिष्ट विद्वानों के 39 शोध पत्रों वाली एक पुस्तक का विमोचन भी किया गया। संगोष्ठी के संयोजक आबरू शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ। सेमिनार को प्रतिभागियों से प्रभावशाली प्रतिक्रिया मिली। इसने सीखने के अनुभव और सभी के लिए विचारों के संसाधनपूर्ण आदान-प्रदान के रूप में कार्य किया। अध्यक्ष नरेश कुमार बुधिया, वरिष्ठ उपाध्यक्ष विनोद दादा, प्रबंध समिति के अन्य गणमान्य सदस्य एवं योग्य प्राचार्य डॉ. प्रो.  पूजा पाराशर ने कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए अंग्रेजी विभाग को बधाई दी।

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