डिप्स विद्या के महत्व को और शिक्षा के प्रति अपने दायित्व को बाखूबी समझता है
जालंधर (अरोड़ा) :- कुदरत का असूल है कि लकीर से हटकर चलने वाले लोगों के रास्ते सीधे और हौंसले बुलंद होते है डिप्स का सफर भी ऐसे हौंसलों की उड़ान है। डिप्स के संस्थापक सरदार गुरबच्चन सिंह की आंखों ने एक सपना देखा कि विद्या हर घर, हर गांव और हर कस्बे तक पहुंच सके और हर विद्यार्थी उन्नति के पथ पर अग्रसर हो सके। इसी सपने को आधार बनाकर गांव ढिलवां में डिप्स रूपी पौधे को बड़ी लगन से लगाया गया और संस्कारों व नैतिक मूल्यों से सींचा गया। इस पौधे ने अपनी प्रतिभा के दम पर चंद वर्षों में ही विद्या के क्षेत्र में ख्याति अर्जित की और विद्यार्थियों एंव अभिभावकों कीपहली पसंद बन गया। धीरे-धीरे डिप्स की विभिन्न शाखाएं बनती गई और परिवार बढ़ा होता गया। आज डिप्स विद्यार्थी यहां से निखर कर देश-विदेश में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे है। आज हर क्षेत्र में चाहे इंजीनियरिंग हो, मैडिकल हो , सैन्यबल हो,राजनीति हो या बिजनेस हो। डिप्स के विद्यार्थी हर जगह, हर काम में अपने बेहतरीन प्रदर्शन और परिपक्व सोच का परिचय देकर सम्मानीय मुकाम हासिल कर रहे है।दुनिया में प्रतिभा की कमी नहीं है मगर आज वक्त ऐसा है कि हीरे को तराशने के लिए जौहरी का परिपक्व होना और सकारात्मक सोच रखना बेहद जरूरी है। डिप्स भी एक ऐसा जौहरी है, जो कठिनाईओं की हर कसौटी पर विद्यार्थियों को, उनके परिश्रम को परखता है ताकि देश के निर्माण में जब यह विद्यार्थी अपना कर्तव्य निभाएं तो हर भारत वासी को उन पर गर्व हो। डिप्स ऐसे होनहार विद्यार्थियों की नर्सरी कहलाता है। डिप्स मैनेजमेंट का निरंतर प्रयास है कि यह विजय यात्रा यूं ही पीढ़ियों तक चलती रही।