(Date : 07/May/2424)

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बी बी के डी ए वी काॅलेज फार विमेन में महर्षि दयानंद सरस्वती जी की 200वीं जयंती के अवसर पर विशेष हवन-यज्ञ का आयोजन






अमृतसर (प्रतीक) :- बी बी के डी ए वी काॅलेज फार विमेन, अमृतसर में महर्षि दयानंद सरस्वती जी की 200वीं जयंती के अवसर पर विशेष हवन-यज्ञ का आयोजन किया गया। इस अवसर पर काॅलेज प्राचार्या डाॅ. पुष्पिंदर वालिया एवं श्री सुदर्शन कपूर (अध्यक्ष, स्थानीय प्रबन्धकत्र्री समिति) मुख्य यजमान के रुप में उपस्थित रहे। प्राचार्या डाॅ. पुष्पिंदर वालिया जी ने सर्वे भवन्तु सुखिनः के उद्घोष के साथ सर्वप्रथम ईश्वर का आभार व्यक्त करते हुए अपने सम्बोधन में कहा कि वर्ष 2024 एवं 2025 वर्ष महर्षि दयानन्द जी को समर्पित हैं ताकि उनका संदेश जन-जन तक पहुँचे। महर्षि द्वारा प्रज्ज्वलित आर्य समाज की ज्योति आज भी सभी का मार्गदर्शन कर प्रेरित कर रही है। महर्षि जब आए तब यह संसार पूर्ण रुप से अन्धकारमय था। महर्षि जी ने अंधेरा दूर कर कुरीतियों को दूर किया तथा वेदों की सत्य विद्या को स्थापित किया। जन-जन के हृद्य में आर्य समाज के द्वारा परोपकार की भावना को उजागर किया। आपने कहा कि महर्षि दयानन्द जी को एवं उनकी विचारधारा को शत-शत नमन है जिन्होंने एक इतिहास रचा। इन्द्रपाल आर्या ने कहा कि महर्षि दयानंद जी की 200वीं जयंती मात्र पंजाब नहीं अपितु सम्पूर्ण भारत में मनाई जा रही है।

आपने कहा कि महर्षि दयानन्द का वैचारिक दृष्टिकोण किसी विशेष समुदाय का उपकार करना नहीं अपितु पूरे विश्व का उपकार करना। महर्षि दयानन्द के कारण ही आज नारी सशक्तिकरण सम्भव हो पाया है। स्त्रियों को शिक्षा, वेद विद्या ग्रहण करने का अधिकार महर्षि दयानंद जी ने दिलाया। राकेश मेहरा जी ने कहा कि मन में प्रश्न उठता है कि आर्य समाज ने देश को क्या दिया ? इस विषय पर आपने बताया कि सर्वप्रथम महर्षि दयानंद ने ही स्वदेश प्रेम की भावना को उजागर किया। डी.ए.वी., पंजाब नैश्नल बैंक, लक्ष्मी योजना जैसी महान् संस्थाएँ आर्य समाज की ही देन हैं। जवाहर लाल जी ने कहा कि मनु समृति में कहा गया है कि ऐसी महान् विभूतियों का जन्मोत्सव अवश्य मनाना चाहिए ताकि उनकी वैचारिक धारा को जीवन में धारण किया जा सके। गार्गी, अपाला जैसी विदुषियों का उदाहरण देते हुए कहा कि लड़कियों का पढ़ना अत्यंत अनिवार्य है। मुरारी लाल ने अपने वक्तव्य में प्राचार्या जी को इस आयोजन पर साधुवाद देते हुए कहा कि ऐसे पर्व समाज को जोड़ने वाले होते हैं। महर्षि दयानंद जी ने ’वेदों की ओर लौट चलो’ का संदेश देकर आर्य बनने के लिए प्रेरित किया। सुदर्शन कपूर जी ने अपने सम्बोधन में सर्वप्रथम आदरणीय प्राचार्या जी एवं उपस्थिति का आभार व्यक्त करते हुए छात्राओं से कहा कि महर्षि दयानंद जी की जिज्ञासु वृति के कारण ही उनको शिवरात्रि के दिन बोध ज्ञान हुआ। अतः हमें भी अपने भीतर ऐसी जिज्ञासा उत्पन्न करनी चाहिए। अंत में संगीत विभाग के प्रो. नरेन्द्र एवं विजय महक द्वारा ’ऋषि कौम का रहनुमा बन के आया’ मनमोहक भजन की प्रस्तुति देकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। कुशल मंच संचालन डाॅ. अनीता नरेन्द्र द्वारा किया गया। उल्लेखनीय है कि इस अवसर पर बलबीर कौर बेदी, आर्य समाज से कर्नल वेद मित्तर, संदीप आहुजा, गौरव तालवाड़, अतुल मेहरा, इन्द्रजीत ठकुराल सहित सभी ऑफिस बियरर्ज़ एवं छात्राएँ उपस्थित रहीं। अंत में प्रसाद वितरण किया गया।

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