(Date : 02/May/2424)

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श्रम दिवस पर डिप्स के बच्चों ने सहायक स्टाफ को कार्ड देकर किया धन्यावाद | ਕਿਸਾਨਾਂ ਨੂੰ ਸੀਜ਼ਨ ਦੇ ਅਖੀਰ ਤੱਕ ਇਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਪ੍ਰਭਾਵਸ਼ਾਲੀ ਸੇਵਾਵਾਂ ਦਿੱਤੀਆਂ ਜਾਣਗੀਆਂ- ਡੀ.ਸੀ | डीएवी कॉलेज जालंधर को द ट्रिब्यून गाइड टू बेस्ट कॉलेजेज के अन्तर्गत सर्वश्रेष्ठ कॉलेज का दर्जा प्राप्त हुआ | एपीजे कॉलेज ऑफ फाइन आर्ट्स जालंधर में विद्यार्थियों ने पोर्ट्रेट,लैंडस्केप एवं पेंटिंग बनाने की तकनीक को जाना | के.एम.वी. द्वारा रिसर्च एथिक्स एंड प्लेजिरिज्म विषय पर रिसर्च फोरम आयोजित |

कृषि अवसंरचना कोष: भारत के कृषि-भविष्य के लिए एक उत्प्रेरक






जालंधर (ब्यूरो) :- भारत का कृषि क्षेत्र, इसकी अर्थव्यवस्था की आधारशिला है और55% से अधिक आबादी की आजीविका को प्रभावित करता है, जो इसे राष्ट्रीय सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण बनाता है। चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कृषि उत्पादक देश होने के बावजूद, इस क्षेत्र को चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, खासकर फसलोत्तर प्रबंधनऔर बाजार पहुंच संबंधी। इन चुनौतियों को समझते हुए, माननीय प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने जुलाई 2020 में कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ) का शुभारंभ किया, जिसका लक्ष्य बुनियादी ढांचे को बढ़ाकर, घाटा कम करना और नवाचार को बढ़ावा देकर इस क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाना है। एआईएफ योजना के उद्देश्य स्पष्ट और प्रभावशाली थे: मध्यम से दीर्घकालिक ऋण वित्तपोषण जुटाना, फार्म गेट बुनियादी ढांचे को बढ़ाना, फसलोत्तर नुकसान को कम करना और कृषि व संबद्ध क्षेत्रों में निवेश और नवाचार को बढ़ावा देना। एआईएफ सिर्फ एक निवेश नहीं था; यह परिवर्तन की प्रतिबद्धता थी। वित्त वर्ष 2020-21 से वित्त वर्ष 2025-26 तक लक्षित मंजूरी और संवितरण के साथ, इस योजना को वित्तीय सहायता तंत्र के सम्मिश्रण के रूप में पेश करने के लिए डिज़ाइन किया गया था, जिसमें 3% ब्याज छूट और क्रेडिट गारंटी कवरेज शामिल है, जिससे वृद्धि और विकास के लिए मजबूत आधारशिला तैयार हो सके।एक लाख करोड़ रुपये के महत्वाकांक्षी वित्तीय परिव्यय के साथ, इस योजना ने किसानों, सहकारी समितियों और कृषि उद्यमियों के लिए नए क्षितिज खोलते हुए, ब्याज छूट, क्रेडिट गारंटी और लाभों के अभिसरण की पेशकश की है। समय के साथ जैसे ही एआईएफ ने लोकप्रियता हासिल की, भारत के कृषि परिदृश्य में एक उल्लेखनीय परिवर्तन दिखना शुरू हो गया। फंड के तहत 15 फरवरी, 2024 तक 52,671 परियोजनाओं के लिए 37,653 करोड़ रुपये मंजूर किए गए, जबकि 23,000 करोड़ रुपये का वितरण करते हुए इस क्षेत्र में 63,580 करोड़ रुपये का निवेश जुटाया गया।पंजाब के हरे-भरे खेतों से लेकर तमिलनाडु के उद्योगी खेतों तक, कस्टम हायरिंग सेंटर, गोदामों और कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं सहित असंख्य परियोजनाएं सामने आईं, जिनमें से प्रत्येक कृषि के कायाकल्पके लिए देश की प्रतिबद्धता का प्रमाण है।

एआईएफ ने 11,434 कस्टम हायरिंग सेंटर, 11,284 गोदाम और 1,549 कोल्ड स्टोर परियोजनाओं सहित 51,248 फसलोत्तर और सामुदायिक कृषि परिसंपत्तियों के निर्माण हेतु सुविधा प्रदान की है। यह बुनियादी ढांचा विकास फसलोत्तर नुकसान को कम करने और किसानों के लिए बाज़ार पहुंच को सुविधाजनक बनाने वाली थी, जिससे 11 एलएमटी खाद्यान्न की अनुमानित वार्षिक बचत हुई और बागवानी फसलों के उपज के बाद के नुकसान में 2.7 एलएमटी की कमी आई है। इसके अलावा, यह अनुमान लगाया गया है कि एआईएफ के तहत बनाए गए बुनियादी ढांचों के कारण किसानों को उनकी उपज के लिए 11-14% अधिक कीमत मिल सकती है। एआईएफ का गहरा प्रभाव रहा है। गांवों में, जहां अन्न भंडार भरने लगे, शीत भंडारों में परिश्रम केउत्पाद संरक्षित होने लगे औरफसलोत्तर नुकसान में कमी आने लगी। बेहतर बुनियादी ढांचे से संपन्न किसानों ने पाया कि उनकी उपज को अधिक कीमत मिल रही है, उनकी आय मानसूनी नदियों की तरह बढ़ रही है। 24,000 से अधिक कृषि उद्यमियोंके नींव द्वारा 5.1 लाख से अधिक रोजगार के अवसरों के सृजन ने समृद्धि के युग की शुरुआत कर दी है।परोक्ष में, रणनीतियों की एक सहवादन बजती रही। एआईएफ का ऑनलाइन पोर्टल डिजिटल स्थल बन गया जहां अनुप्रयोग अंकुरित और फलीभूत हुये। सोशल मीडिया पर जागरूकता अभियान विकसित हुये, जबकि सम्मेलनों और प्रदर्शनियों ने इस बात को दूर-दराज तक फैलाया। सावधानीपूर्वक देखभाल की गई फसल की तरह प्रत्येक पहल ने योजना की बढ़ती सफलता में योगदान दिया। एआईएफ पोर्टल पर लगभग 0.99 लाख बैंक शाखाओं का एकीकरण हुआ और इसमें 1.27 लाख पंजीकृत आवेदक हैं, यह पोर्टल लाभार्थियों, ऋण देने वाली संस्थाओं और योजना में शामिल अन्य महत्वपूर्ण हितधारकों के लिए एक एकीकृत मंच के रूप में खड़ा है। यह पारदर्शिता को बढ़ावा देने के साथ ऋण आवेदन प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करता है, यह सुनिश्चित करता है कि सभी पक्षों को अपनी वित्तीय बातचीत के लिए एक सहज, कुशल तंत्र तक पहुंच प्राप्त हो। जैसे-जैसे एआईएफ की कहानी भारत की कृषि चित्रपटपर सामने आती है, यह आशा और प्रगति की कहानी बुनती है। बेहतर बुनियादी ढांचे, घाटे में कमी और सशक्त किसानों द्वारा चिह्नित इस योजना की विरासत एक ऐसे भविष्य का वादा करती है जहां भारत में कृषि केवल अस्तित्व का साधन नहीं बल्कि एक संपन्न, जीवंत क्षेत्र है। और इस भविष्य में, जैसे ही सूरज खेतों पर निकलता है, यह परिवर्तित भूमि को रोशन करता है, जो कृषि अवसंरचना कोष के पानी से सिंचित भारत और इसके किसानों की स्थायी भावना का एक प्रमाण है।

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