डीएवी कॉलेज जालंधर ने हरिके वेटलैंड में तीन दिवसीय प्रकृति शिविर का आयोजन किया
जालंधर (अरोड़ा) :- डीएवी कॉलेज, जालंधर के वनस्पति विज्ञान विभाग द्वारा 22 से 24 जनवरी, 2024 तक पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार के तहत पंजाब राज्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद, चंडीगढ़ द्वारा समर्थित तीन दिवसीय प्रकृति शिविर का आयोजन फिरोजपुर के हरिके वेटलैंड में किया। इस पहल का उद्देश्य छात्रों को प्रकृति से जुड़ने, जैव विविधता के बारे में जानने और टिकाऊ जीवन पद्धतियों को बढ़ावा देने का एक अनूठा अवसर प्रदान करना है। प्रतिभागियों में डीएवी और ट्रिनिटी कॉलेज, जालंधर के संकाय सदस्य और छात्र शामिल थे। उद्घाटन सत्र में प्राचार्य डॉ. राजेश कुमार ने छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा कि प्रकृति शिविर सिर्फ एक भ्रमण नहीं बल्कि हमारे छात्रों के लिए एक परिवर्तनकारी अनुभव है। उन्होंने उन्हें प्रकृति के जिम्मेदार प्रबंधक बनने के लिए प्रेरित किया और कार्यक्रम के संचालन की जिम्मेदारी डीएवी कॉलेज को सौंपने के लिए पीएससीएसटी, चंडीगढ़ की कार्यकारी निदेशक डॉ. जतिंदर कौर अरोड़ा के प्रति आभार व्यक्त किया।
इवेंट को-ऑर्डिनेटर डॉ. कोमल अरोड़ा (एचओडी, बॉटनी) ने छात्रों को कार्यक्रम के उद्देश्यों से अवगत कराया। प्रकृति शिविर प्रतिष्ठित रिसोर्स पर्सन डॉ. चंदर प्रकाश (एसोसिएट प्रोफेसर, पीटीयू, जालंधर), डॉ. डेज़ी शर्मा (उप-प्राचार्य, डीएवी कॉलेज, अमृतसर), और सुनल रोमिन (उप-अध्यक्ष, समग्र उन्नयन फाउंडेशन, मोहाली) द्वारा साझा की गई अंतर्दृष्टि से समृद्ध हुआ। शिविर में प्रतिभागियों के लिए हरिके वेटलैंड की विविध वनस्पतियों और जीवों के बारे में जानने, पारिस्थितिकी तंत्र के नाजुक संतुलन को समझने और पर्यावरण संरक्षण में योगदान करने के तरीकों का पता लगाने के लिए इंटरैक्टिव कार्यशालाओं की एक श्रृंखला पेश की गई। प्राकृतिक आवासों के संरक्षण, पक्षियों को देखने, वन्यजीवों के पदचिह्नों की पहचान करने के माध्यम से छात्रों ने व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया। इसमें छात्रों के नेतृत्व कौशल, टीम वर्क और लचीलेपन को बढ़ाने के लिए टीम-निर्माण गतिविधियाँ भी शामिल थीं। छात्रों ने वेटलैंड क्षेत्र में प्लास्टिक संग्रह अभियान और हरिके वेटलैंड की प्राकृतिक सुंदरता को संरक्षित करने के उद्देश्य से एक रैली का भी आयोजन किया। शिविर के अंतिम दिन क्विज़, नेचर आर्ट और वीडियो मेकिंग प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। समापन सत्र में सभी विजेताओं को स्मृति चिन्ह और प्रमाण पत्र देकर पुरस्कृत किया गया। अंत में डॉ. लवलीन (सहायक प्रोफेसर, वनस्पति विज्ञान विभाग) ने पीएससीएसटी, एमओईएफ, भारत सरकार; डीएफओ, फ़िरोज़पुर और स्थानीय अधिकारियों को उनके समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने प्राचार्य डॉ. राजेश कुमार, समन्वयक डॉ. कोमल अरोड़ा और शिक्षण एवं गैर-शिक्षण स्टाफ के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। डॉ. कोमल अरोड़ा ने सभी प्रतिभागियों को कार्यशालाओं और सभी गतिविधियों में उनके उत्साह और भागीदारी के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि कॉलेज ऐसी और भी पहल आयोजित करने के लिए तत्पर है जो छात्रों को पर्यावरण और समाज पर बड़े पैमाने पर सकारात्मक प्रभाव डालने के लिए सशक्त बनाएगी।