(Date : 06/May/2424)

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डीएवी कॉलेज जालंधर में फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का आयोजन किया गया






जालंधर (अरोड़ा) :- डीएवी कॉलेज जालंधर ने आईक्यूएसी के तत्वावधान में एक फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का आयोजन किया। वाइस प्रिंसिपल प्रो अर्चना ओबेरॉय, डॉ. दिनेश अरोड़ा, समन्वयक, आईक्यूएसी और डॉ. नवजीत शर्मा, डीन एकेडमिक्स ने कार्यक्रम के मुख्य वक्ता, प्राचार्य डॉ. राजेश कुमार का औपचारिक स्वागत किया। प्रो शरद मनोचा ने कार्यक्रम का परिचय देते हुए इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 भारत में संपूर्ण शिक्षा प्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव लाने जा रही है। प्राचार्य डॉ. राजेश कुमार ने एनईपी 2020: ट्रांसफॉर्मिंग एजुकेशन इन इंडिया विषय पर मुख्य भाषण दिया। उन्होंने सभा को बधाई दी और भाग लेने वाले संकाय सदस्यों को भारत में उच्च शिक्षा में परिवर्तन की आगामी चुनौतियों और जरूरतों के मद्देनजर कार्यक्रम का अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने नीति को मूल भाव से लागू करने के लिए पूरी तरह से तैयार रहने के लिए संस्थागत स्तर पर खुद को उन्नत करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि नीति का मुख्य विचार छात्रों को सीखने के कल्पनाशील, जिज्ञासु और चिंतनशील तरीकों से परिचित करवा कर उन्हें नवीन और रचनात्मक बनाना है।

उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षा के लक्ष्य आर्थिक विकास, सामाजिक न्याय और समानता, वैज्ञानिक उन्नति, राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक संरक्षण हैं, जिन्हें एनईपी 2020 हासिल करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने एनईपी की संभावनाओं को गहराई से जानने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और एनईपी 2020 की कल्पना करने और व्यावसायिक शिक्षा की फिर से कल्पना करने के लिए प्रेरित, ऊर्जावान और सक्षम संकाय की आवश्यकता पर जोर दिया है, जिसके लिए अल्पकालिक कौशल के साथ-साथ व्यावसायिक शिक्षा को मुख्यधारा की शिक्षा में एकीकृत करने की आवश्यकता है। इस बात पर जोर दिया कि अब शिक्षक की भूमिका बदल गई है, शिक्षक को एक सामग्री निर्माता, सामग्री संपादक, प्रेरक और ऑनलाइन शिक्षण का उपयोग करने के अभ्यास के साथ एक संरक्षक भी बनना होगा। डॉ. मनप्रीत कौर ने एनईपी-2020 की सिफारिशों पर विस्तार से चर्चा करते हुए उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि यह नीति स्कूली शिक्षा के साथ-साथ तकनीकी शिक्षा सहित उच्च शिक्षा में विभिन्न सुधारों का प्रस्ताव करती है। उन्होंने नई पाठ्यचर्या और शैक्षणिक संरचना (5+3+3+4) पर भी चर्चा की। अंतिम सत्र में डॉ. आशु बहल ने उच्च शिक्षा से संबंधित एनईपी के विभिन्न सिद्धांतों को छुआ। उन्होंने क्रेडिट सिस्टम, एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट, मल्टीपल एंट्री और एग्जिट आदि पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने एनईपी के कार्यान्वयन के संबंध में जीएनडीयू की प्रस्तावित योजना पर भी चर्चा की। आईक्यूएसी के समन्वयक डॉ. दिनेश अरोड़ा ने कहा कि एनईपी 2020 पूरी भारतीय शिक्षा प्रणाली को बदलने जा रहा है। इस नीति को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 29 जुलाई 2020 को मंजूरी दी थी और यह 21वीं सदी की पहली शिक्षा नीति है। इस नीति में समय की जरूरतों को पूरा करने की क्षमता है। इंटरैक्टिव सत्र में प्रतिभागियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया और विशेषज्ञों से अपने प्रश्नों के उत्तर प्राप्त किए। कार्यक्रम में कॉलेज के 70 से अधिक संकाय सदस्यों ने भाग लिया। अंत में डीन अकादमिक डॉ. नवजीत शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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