(Date : 02/May/2424)

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श्रम दिवस पर डिप्स के बच्चों ने सहायक स्टाफ को कार्ड देकर किया धन्यावाद | ਕਿਸਾਨਾਂ ਨੂੰ ਸੀਜ਼ਨ ਦੇ ਅਖੀਰ ਤੱਕ ਇਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਪ੍ਰਭਾਵਸ਼ਾਲੀ ਸੇਵਾਵਾਂ ਦਿੱਤੀਆਂ ਜਾਣਗੀਆਂ- ਡੀ.ਸੀ | डीएवी कॉलेज जालंधर को द ट्रिब्यून गाइड टू बेस्ट कॉलेजेज के अन्तर्गत सर्वश्रेष्ठ कॉलेज का दर्जा प्राप्त हुआ | एपीजे कॉलेज ऑफ फाइन आर्ट्स जालंधर में विद्यार्थियों ने पोर्ट्रेट,लैंडस्केप एवं पेंटिंग बनाने की तकनीक को जाना | के.एम.वी. द्वारा रिसर्च एथिक्स एंड प्लेजिरिज्म विषय पर रिसर्च फोरम आयोजित |

सभी के लिए किफायती स्वास्थ्य सेवा






जालंधर (ब्यूरो) :- स्वास्थ्य वास्तव में एक आवश्यक स्तंभ है।यहवाक्य यह रेखाकिंत करता है कि अगले 25 वर्षों में भारत की विकास यात्रा पर विचार करें तो सरकार और निजी स्वास्थ्य सेवा के दिग्गजों को किस विषय पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जिससेदुनिया का सर्वाधिक जनसंख्या वालादेश भारत,विश्व के सबसे समृद्ध देश के रूप में प्रतिस्थापित हो सके।देश में रोग और मृत्यु दर में कमीलाई जा सके और 1.43 बिलियन लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए गुणवत्तापूर्ण और किफायती स्वास्थ्य सेवाएं समय पर उपलब्ध कराई जा सकें। किसी व्यक्ति के अच्छे स्वास्थ्य, धनोपार्जन की क्षमता और देश की आर्थिक समृद्धि के बीच संबंधकोनकार नहीं सकते है। भारत,समान विकास पर आधारित 25 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए कार्यशील है,बदलती जनसांख्यिकी, जीवन शैली, बदलते वायरस, कोविड-19 जैसी महामारियों और जलवायु संकट से उत्पन्न स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने के लिए उसे एक बहु-आयामी दृष्टिकोण अपनाना होगा। भारत कोस्वास्थ्य के क्षेत्र की पारंपरिकचुनौतियों जैसे अंतर-राज्य और शहरी-ग्रामीणअसमानताओं, रोगियों की तुलना में स्वास्थ्य कर्मियों की कमी और टियर-1, 2 और 3 शहरों में अस्पताल सेवाओं में कमी के अंतराल से निपटने के तरीके भी तलाशने होंगे। इस संदर्भ में, सस्ती स्वास्थ्य सेवा तक सभी की पहुंच बना कर,भारत प्रतिष्ठा के एक नए आयाम तक पहुंच सकता है। इस दिशा में, भारत ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, 2017 के अंतर्गत नई योजनाओं के साथ स्वास्थ्य सेवा और उपलब्धता सुधारने में काफी प्रगति की है। सरकार ने डिजिटल स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी पर विशेष ध्यान देने और उसे बढ़ावा देने के उद्देश्य से और स्वास्थ्य सेवाओं को कोने कोने तक ले जाने के उद्देश्य से इनयोजनाओं का शुभारंभ किया गया है। उदाहरण के लिए, 1.5 लाख से अधिक आयुष्मान भारत स्वास्थ्य और वैलनेस केंद्रों की स्थापना की गई है और700 से अधिक जिलों में 9,000 से अधिक जन औषधि केंद्रों का एक नेटवर्क तैयार किया गया है जिनमें गुणवत्ता पूर्ण जेनेरिक दवाएं रखी गईं हैं। लेकिन सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवाओं की कवरेज सुनिश्चित करने की दिशा में सर्वाधिक महत्वपूर्ण पहल आयुष्मान भारत पीएम-जन आरोग्य योजना है।इसमें भारत के सर्वाधिक 40 प्रतिशत गरीब लोगोंसहित लगभग 55 करोड़ लोगों कोप्रति वर्ष प्रति परिवार 5 लाख रुपये की राशि अस्पताल के खर्च को पूरा करने के लिए दी जाती है। निजी क्षेत्र द्वारा समर्थित, यह योजना सुनिश्चित करती है कि अत्याधुनिकउपचार की जरूरत वाले रोगी इससे लाभान्वित हो सकें। भले ही हमने कोविड-19 महामारी से निजात पाई हो लेकिन स्वास्थ्य सेवाओं के अतिरिक्त बोझ काडर हमें परेशान करता रहेगा। लंबे समय तक कोविड की स्थिति, गैर-संचारी रोगों में वृद्धि, उपचार में देरी और कोविड के कारण बिगड़ती स्वास्थ्य स्थिति - ये सभी कारक निकट भविष्य में आर्थिक बोझ का कारण बनने की संभावना रखते हैं। यह विशेष रूप से चिंताजनक है क्योंकि हमारी आबादी का एक बड़ा हिस्सा अभी भी गांवों में रहता है, जहां प्राथमिक और माध्यमिक स्वास्थ्य केंद्रों के नेटवर्क, मेडिकल कॉलेजों और उनकी सीटों में वृद्धि के बावजूद, डॉक्टर और रोगी के बीच काअनुपात पर अभी काम चल रहा है। भारत में डिजिटल नवाचार - महामारी की शुरुआत से बहुत पहले से ही स्वास्थ्य सेवाओं में  मददगार रहे हैं। सरकार के टेलीमेडिसिन ऐपई-संजीवनी ने विशेषज्ञ डॉक्टरों से परामर्श करने की दूरी को समाप्त कर दिया है और शहरी-ग्रामीण विभाजन को पाट दिया है। अपने लॉन्च के तीन साल से भी कम समय में, इसने 10 करोड़ से अधिक लोगों की मदद की है। निजी क्षेत्र ने भी अंतिम छोर की खाई को पाटने और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी को मिटाने के लिए कई पहल की हैं। टेलीमेडिसिन के अतिरिक्त, इसका उपयोग दूर-दराज के क्षेत्रों में रोगियों को स्वास्थ्य संबंधी परामर्श उपलब्ध कराने और उनके उपचार की देखरेख करने में किया जा रहा है। बड़े पैमाने पर स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं ने दूरस्थ महत्वपूर्ण देखभाल सेवाएं (ई-आईसीयू) भी शुरू की हैं। नेशनल हेल्थ स्टैक और नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन जैसी सरकारी पहलों ने एक एकीकृत और निर्बाध स्वास्थ्य सेवा वितरण प्रणाली के विकास के लिए मजबूत नींव बनाई है जो तृतीयक देखभाल प्रदाताओं को प्रभावी, कुशल और व्यक्तिगत स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने में मदद करती है। स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं की बढ़ती संख्या और डिजिटल स्वास्थ्य प्रणाली को सक्रिय रूप से अपनाने के साथ, वंचित और हाशिए वाले समुदायों के बीच कम लागत पर स्वास्थ्य देखभाल उपलब्धता और गुणवत्ता में असमानताओं को कम कर रहे हैं। ये रोग की रोकथाम और प्रारंभिक लक्षणों को पहचाने में सक्षम हैं। यह उपकरण बीमारी के दीर्घकालिक बोझ और लागत को कम करने में मदद कर सकते हैंऔर आबादी के समग्र कल्याण में बेहतर योगदान दे सकते हैं। इसके अतिरिक्त, डिजिटल स्वास्थ्य समाधान बड़े पैमाने पर डेटा संग्रह और विश्लेषण करने में मददगार हो सकते हैं, जिससे यह जन स्वास्थ्य उपायों और नीतियों के बारे में जानकारी उपलब्ध करा सकते हैं।यह सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को रोग नियंत्रण, प्रकोप प्रबंधन और स्वास्थ्य संवर्धन के लिए साक्ष्य-आधारित रणनीतियों को विकसित करने में सक्षम बना सकते हैं। उदाहरण के लिए, इनसे रोगों की स्थिति पर नज़र रखने में मदद मिल  सकती है, जिससेउभरते स्वास्थ्य जोखिमों की पहचान में सहायता और उचित तकनीकविकसित करने में मदद मिल सकती है। सरकारी कार्यक्रमऔरनिजी स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र की संलग्नता और डिजिटल स्वास्थ्य समाधान मिलकर सबके लिए सस्ती स्वास्थ्य देखभाल को पुनर्परिभाषित करते हैं ताकि एक समन्वित प्रणाली प्रस्तुत कर सके। इससे न केवल सफलता तक पहुंच सुनिश्चित होती है बल्कि उपचार की लागत मेंभी कमी होती है और रोग नियंत्रण में सक्रिय योगदान मिलता है।

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