(Date : 02/May/2424)

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डीएवी कॉलेज की लाजपत राय लाइब्रेरी 106 वर्षों से ज्ञान के क्षेत्र में पंजाब के बड़े पुस्तकालयों में अग्रणी - प्राचार्य डॉ. राजेश कुमार






जालंधर (अरोड़ा) :- डीएवी कॉलेज की लाजपत राय लाइब्रेरी 106 वर्षों से ज्ञान के क्षेत्र में ऐतिहासिक यात्रा के साथ पंजाब के बड़े पुस्तकालयों में अग्रणी है। इस लाइब्रेरी का नामकरण अमर शहीद लाला लाजपत राय की स्मृति में किया गया। यह लाइब्रेरी दस हजार स्क्वायर फ़ीट में भव्य दो मंजिला इमारत में स्थापित होने के साथ साथ नक्काशीदार स्तम्भ, हस्तनिर्मित रेलिंग व ऊंची छत के कारण प्राचीन वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है। पाठकों के लिए दो लाख से अधिक पुस्तकें, प्रत्येक विषय हेतु अलग अध्ययन कक्ष तथा आधुनिक तकनीक से लैस इस लाइब्रेरी को एक साथ पाँच सौ लोग इस्तेमाल कर सकते हैं। लाइब्रेरी में विभिन्न विषयों यथा- संस्कृत, इतिहास, गणित, विज्ञान, धर्मशास्त्र, भाषा, साहित्य, व्याकरण, वाणिज्य, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, राजनीति विज्ञान आदि से संबंधित हजारों पुस्तकें व संदर्भ ग्रंथ उपलब्ध है। प्राचार्य डॉ. राजेश कुमार ने जानकारी देते हुए कहा कि देश विभाजन से पहले बनी यह लाइब्रेरी आज वटवृक्ष बन चुकी है। इसमें अनेक ऐसी दुर्लभ पुस्तकें उपलब्ध है, जिनका प्रकाशन शताब्दी पूर्व हुआ और वे पुस्तकें आजकल बाज़ार में उपलब्ध नहीं है। गौरतलब है कि इस लाइब्रेरी में 1972 से लेकर आज तक के ‘ट्रिब्यून’ अखबार का संग्रह मौजूद है जो किसी भी अन्य लाइब्रेरी में शायद ही हो। अति प्राचीन इस लाइब्रेरी ने समय के साथ साथ आधुनिकता को अपनाते हुए सूचना प्रोद्यौगिकी के युग में भी अपना वर्चस्व कायम रखा हुआ है। पाठकों की सुविधा हेतु आधुनिक सॉफ्टवेयर से लाइब्रेरी की सभी पुस्तकों का डाटाबेस तैयार किया गया है। वेब आधारित ‘ओपेक, डिजिटल रिर्सोसज़ हेतु कम्प्यूटर लैब तथा इ-बुक्स, इ-जर्नल्स के लिए ‘एनलिस्ट’ व ‘डेलनेट’ की सुविधाएँ इस लाइब्रेरी के डिजिटल होने का प्रमाण है। स्वामी दयानन्द सरस्वती जी की शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए इस लाइब्रेरी ने ‘बुक बैंक’ योजनान्तर्गत होनहार व जरूरतमन्द विद्यार्थियों को निःशुल्क पुस्तकें देकर मानवीय मूल्यों को जीवित रखा है। लाइब्रेरी प्रभारी नवीन सैनी ने बताया कि नए सत्र के आरम्भ में नए विद्यार्थियों को लाइब्रेरी की कार्यप्रणाली व संरचना से अवगत करवाने हेतु ‘यूज़र ओरिएंटेशन’ कार्यक्रम का आयोजन करवाया जाता है। हर साल ‘पुस्तक मेले’ तथा ‘बुक बडीस रीडिंग क्लब’ के माध्यम से समय-समय  छात्र केन्द्रित गतिविधियों का आयोजन करवाया जाता है ताकि विद्यार्थियों में पुस्तक पढ़ने की रूचि पैदा की जा सके। इसी का परिणाम है कि आज भी देश विदेश से लोग इस ज्ञानराशि के अद्वितीय भण्डार में दुर्लभ पुस्तकों को पढ़ने आते है। प्रत्येक दिन तीन सौ से भी अधिक पुस्तकें पाठकों को जारी की जाती हैं। लाइब्रेरी का योग्य व अनुभवी स्टाफ पाठकों की सेवा में हर क्षण तत्पर रहता है। इस लाइब्रेरी की स्थापना से लेकर आज की आधुनिकतम लाइब्रेरी बनने के पीछे अनेक प्राचार्यों, प्रभारियों व स्टाफ के अथक प्रयास परिलक्षित होते है।

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