(Date : 06/May/2424)

(Date : 06/May/2424)

भारत-घाना संयुक्त व्यापार समिति का चौथा सत्र अकरा में सम्प न्नर | ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਮੋਗਾ ਵਿੱਚ ਕਣਕ ਦੀ ਖਰੀਦ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਮੁਕੰਮਲ ਹੋਣ ਕਿਨਾਰੇ | लोकसभा चुनाव 2024 से पहले सीटी ग्रुप और स्वीप जालंधर ने मतदाता जागरूकता अभियान चलाया | सीटी ग्रुप ने कंपनी बाग, अमृतसर में WOW-वीकेंड वेलनेस की सफलतापूर्वक मेजबानी की | डिप्स के छात्र प्रथमप्रीत सिंह ने जीता स्वर्ण पदक |

पिम्स में विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस मनाया






जालंधर (मक्कड़) :- पंजाब इंस्टीच्यूट आफ मेडिकल साइंसिज (पिम्स) में विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस मनाया गया। पिम्स,  चानन एसोसिएशन  और डाउन सिंड्रोम पेरेट्स एसोसिएशन की ओर से करवाए गए समारोह में मुख्यातिथि के रूप में जालंधर की डिस्ट्रिक लीगल सर्विस अर्थारिटी की  जज डा. गगनदीप कौर शामिल हुईं। पिम्स के रेजिडेंट डायरेक्टर श्री अमित सिंह, डायरेक्टर प्रिंसीपल डा. राजीव अरोड़ा ने उनका स्वागत किया। डाउन सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों की ओर से शानदार प्रस्तुति दी गई। रेजिडेंट डायरेक्टर अमित सिंह औऱ डायरेक्टर प्रिंसीपल डा. राजीव अरोड़ा ने कहा कि हमें खुशी है कि ऐसे समारोह पिम्स में हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमें सिर्फ इन बच्चों का हाथ ही नहीं पकड़ना है बल्कि इनका हाथ पकड़कर इन्हें आगे भी लेकर जाना है।

भविष्य में भी पिम्स इनके साथ खड़ा है। उन्होने कहा कि पिम्स हमेशा स्वास्थ्य के साथ-साथ सामाजिक कार्यों में अग्रणी रहा है। ऐसे बच्चों को सिर्फ प्यार से ही सिखाया जाता है। मां-बाप का फर्ज है कि ऐसे बच्चों को दूसरे की तुलना में अधिक समय दें। अपने बच्चे तथा दूसरे के बच्चे की तुलना नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इनमें सीखने की तुलना एक दूसरे से अलग होती है। इस अवसर पर डा. गगनदीप कौर ने कहा कि भगवान के स्पैशल बच्चों के लिए स्पैश्ल मां-बाप को चुना है। हर कोई ऐसे बच्चों की सेवा भी नहीं कर सकता। इसके अलावा उन्होंने कहा कि जब भी कानूनी तौर पर इन बच्चों को जरूरत होगी। उसे पूरा करने की कोशिश करेंगे। मनोरोग विभाग के डा. हिमांशु सरीन औऱ बच्चों के विभाग के डा. पुश्पिंदर मागो ने डाउन सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों के बारे में बताया कि कुछ यह बच्चे दूसरों की तुलना में थोड़ा अलग होते हैं। इसके लक्षणों के बारे में उन्होंने बताया कि इनका चेहरा फ्लेट होता है, सिर औऱ कान छोटे, आंखों का आकार भी अलग, उभरी हुई जीभ होती है।

इसके अलावा इनकी उंगलियां छोटी और चोड़ी होती हैं। इसके अलावा उन्होंने बताया कि ऐसे बच्चों का व्यावहार सामान्य बच्चों की तुलना में थोड़ा अलग होता है। ऐसे बच्चों को कई प्रकार की बिमारियों का सामना करना पड़ सकता है। बहरापन, कमजोर आंखें, मोतियाबिंद, कब्ज नींद के दौरान सांस लेने में दिक्कत, मोटापा ह्दय से संबंधित बिमारियां आदि और इसके अलावा ऐसे बच्चों में संक्रमण का खतरा भी अधिक होता है। उन्होंने आगे कहा कि जन्म से पहले गर्भवती महिला का ट्रिपल मार्कर टैस्ट और अल्ट्रासाउंड टैंस्ट करवाकर चैक किया जाता है कि बच्चा डाउन सिंड्रोम से पीडित तो नहीं है। अगर है तो जन्म के बाद बच्चे के लिए खाने पीने से संबंधित माता को नर्सिंग ट्रेनिग की जरूरत होती है। जैसे कि ऐसे बच्चों को ब्रेस्ट फीड के बजाए चम्मच से दूध पिलाना चाहिए। इस अवसर पर पिम्स के अन्य डाक्टर भी मौजूद थें।

  • About Us

    Religious and Educational Newspaper of Jalandhar which is owned by Sarv Sanjha Ruhani Mission (Regd.) Jalandhar