(Date : 03/May/2424)

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श्रम दिवस पर डिप्स के बच्चों ने सहायक स्टाफ को कार्ड देकर किया धन्यावाद | ਕਿਸਾਨਾਂ ਨੂੰ ਸੀਜ਼ਨ ਦੇ ਅਖੀਰ ਤੱਕ ਇਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਪ੍ਰਭਾਵਸ਼ਾਲੀ ਸੇਵਾਵਾਂ ਦਿੱਤੀਆਂ ਜਾਣਗੀਆਂ- ਡੀ.ਸੀ | डीएवी कॉलेज जालंधर को द ट्रिब्यून गाइड टू बेस्ट कॉलेजेज के अन्तर्गत सर्वश्रेष्ठ कॉलेज का दर्जा प्राप्त हुआ | एपीजे कॉलेज ऑफ फाइन आर्ट्स जालंधर में विद्यार्थियों ने पोर्ट्रेट,लैंडस्केप एवं पेंटिंग बनाने की तकनीक को जाना | के.एम.वी. द्वारा रिसर्च एथिक्स एंड प्लेजिरिज्म विषय पर रिसर्च फोरम आयोजित |

पंजाब एंड चंडीगढ़ कॉलेज टीचर यूनियन की तरफ से राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ बड़े विरोध प्रदर्शन की हुंकार






सहायता प्राप्त कॉलेज के शिक्षकों के अधिकारों के लिए प्रिंसिपल फेडरेशन, टीचर्ज़ यूनियन के साथ संयुक्त रूप से संघर्ष करेगा - प्रिंसिपल डॉ राजेश कुमार

सरकार का सेवानिवृत्ति पर लिया गया यह बदकिस्मत निर्णय एक नीतिगत निर्णय है क्योंकि इससे कॉलेजों में पढ़ा रहे टीचर्स का उत्पीड़न होगा- डॉ संजीव धवन (ज़िला प्रधान, पीसीसीटीयू)

जालंधर (अरोड़ा) - पंजाब एंड चंडीगढ़ कॉलेज टीचर्स यूनियन (पीसीसीटीयू) ने कॉलेजों में शिक्षकों की सेवानिवृत्ति की आयु घटाकर 58 करने के ख़िलाफ़ आंदोलन शुरू कर दिया है। डी ए वी कॉलेज, जालंधर सहित पंजाब के सभी कॉलेजस में 2 घंटे के लिए पढ़ाई पूर्ण तरह से बंद रही। सभी टीचर्स ने इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ एकजुट होकर कॉलेज के गेट पर सुबह ११ बजे से लेकर दोपहर १ बजे तक धरना प्रदर्शन किया। टीचर्स का कहना है कि पंजाब सरकार ने यूजीसी नियमों को दरकिनार करते हुए मनमर्ज़ी से जारी नोटिफिकेशन में सरकारी सहायता प्राप्त निजी कॉलेजों के शिक्षकों की सेवानिवृत्ति की आयु 60 से घटाकर 58 वर्ष कर सेवा नियमों से छेड़छाड़ की है।

पंजाब सरकार ने न केवल 44 साल पुराने ग्रांट-इन-एड एक्ट, 1979 का उल्लंघन किया है बल्कि इस तरह के अनुचित निर्णय को लेकर टीचर्स के साथ विश्वासघात किया है। पंजाब सरकार ने पिछले साल 28 सितंबर, 2022 को यूजीसी के अनुसार 7वें वेतन आयोग के संबंध में एक अधिसूचना जारी की थी, जिसमें राज्य के सभी विश्वविद्यालय और कॉलेज शिक्षकों की 2016 से लंबित मांग को स्वीकार किया गया था। जोकि सरकार का एक बहुत ही सराहनीय कदम था, लेकिन पंजाब सरकार द्वारा जारी इस अधिसूचना के बारे में यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण साबित हुआ है कि एडेड कॉलेजों के शिक्षकों की सेवानिवृत्ति की आयु को धारा 13(2) में कम कर दिया गया है, जिसके कारण कॉलेज शिक्षकों के भविष्य के लिए यह स्थिति काफी खतरनाक साबित हो रही है, इस क्लॉज से पैदा हुए हालात के चलते पंजाब के कई कॉलेज प्रबंधन ने शिक्षकों को 60 की बजाय 58 साल पूरे होने पर ही कार्यमुक्त कर दिया है, जो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।

पीसीसीटीयू के ज़िला प्रधान डॉ संजीव धवन ने कहा, जहां इस सरकार का मुख्य उद्देश्य शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाना था, वहीं सरकार इसके बिल्कुल विपरीत चल रही है। यदि सरकार हमारी मांगों को लेकर जल्द ही पुख्ता इंतजाम नहीं करती है तो संघर्ष की राह पर चलने वाले शिक्षक संघर्ष को और तेज करेंगे और धरने से छात्रों की पढ़ाई के नुकसान की जिम्मेदारी अकेले सरकार की होगी।हमारी सरकार से पुरजोर अपील है कि इस अधिसूचना में उचित सुधार कर उच्च शिक्षा के उत्थान का सही अर्थों में प्रमाण दें। अगर सरकार ने अध्यापकों के जायज़ माँगों को ना माना तो अनिश्चितकाल के लिए सभी कॉलेजों को बंद कर सरकार के नापाक मंसूबों को सड़कों पर ला कर लोगों के सामने रखा जाएगा।

पीसीसीटीयू के एरिया सेक्रेटरी जीएंडडीयू डॉ मनु सूद ने कहा की मैं मुख्यमंत्री से पूछना चाहता हूं कि आपने चुनाव के दौरान बड़े-बड़े वादे या 'गारंटी' दी कि हम पंजाब में विदेश जाने वाले युवाओं के लिए अच्छा भविष्य बनाएंगे, लेकिन सरकार की नीतियों से ऐसा लगता है. कि सरकार नौकरी/रोजगार करने वालों को निकम्मा बनाकर विदेशों में प्रवास करने का अवसर दे रही है।हम पूछना चाहते हैं कि उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए आप सरकार की क्या नीति है, जो देश के निर्माताओं को सड़कों पर चलने को मजबूर कर रही है। पीसीसीटीयू के लोकल यूनिट कें प्रधान डॉ पूनम शर्मा ने कहा कि सरकार का सेवानिवृत्ति पर लिया गया यह बदकिस्मत निर्णय एक नीतिगत निर्णय है, सरकार के इस तुग़लती फैसले से कॉलेजों में पढ़ा रहे अध्यापकों पर बुरा वित्त्यय और मानसिक प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा कि सरकार का यह निराशपूर्वक और अन्यायपूर्ण कदम अव्यावहारिक और अनुचित है क्योंकि इससे कॉलेजों में पढ़ा रहे टीचर्स का उत्पीड़न होगा।

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