आईआईसी डीएवी कॉलेज जालंधर ने मशरूम उगाने के इनोवेटिव तरीकों पर वर्कशॉप का आयोजन किया
जालंधर (अरोड़ा) :- गत दिनों इंस्टीट्यूशन इनोवेशन काउंसिल, डीएवी कॉलेज जालंधर ने एंटरप्रेन्योरशिप एंड इनोवेशन के बैनर तले मशरूम उगाने के इनोवेटिव तरीकों पर एक वर्कशॉप का आयोजन किया। इस वर्कशॉप में प्रो. पुनीत पुरी, अध्यक्ष, जूलॉजी विभाग, डीएवी कॉलेज, जालंधर ने बतौर विशेषज्ञ शिरकत की। प्राचार्य डॉ. राजेश कुमार ने अपने उद्घाटन भाषण में आईआईसी के महत्व और भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह कॉलेज में शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली के मार्गदर्शन में छात्रों और शिक्षकों के बीच नवाचार की संस्कृति को व्यवस्थित रूप से बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्थापित किया गया है। उन्होंने कहा कि भविष्य में इस तरह की गतिविधियां नियमित होंगी और ऐसी गतिविधियों को वास्तविकता में लाने के लिए आईआईसी की सराहना की। कार्यशाला के विशेषज्ञ वक्ता प्रो. पुनीत पुरी ने विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी से शुरू हुए मशरूम उगाने के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए अपने वक्तव्य की शुरुआत की। उन्होंने सुझाव दिया कि मशरूम की खेती के लिए न्यूनतम प्रयास और निवेश की आवश्यकता होती है और यह किसी बड़े खेत की आवश्यकता के बिना आय का एक तरीका हो सकता है। उन्होंने विभिन्न प्रकार के मशरूम का उनके स्वास्थ्य लाभों के साथ उल्लेख किया और यह भी बताया कि सभी प्रकार के मशरूम खाने योग्य नहीं होते हैं। कई मशरूम जैसे किंग मशरूम, गोल्डन मशरूम और गुलाबी मशरूम अपने औषधीय महत्व के कारण बहुत महंगे मिलते है, जिससे व्यक्तिगत उपयोग के लिए घरों में भी मशरूम की खेती और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि मशरूम कुछ विटामिन जैसे नियासिन और प्रोटीन का सबसे समृद्ध स्रोत हैं और कोलेस्ट्रॉल को कम करने में भी मदद करते हैं।