(Date : 27/April/2424)

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कॉलेज में आयोजित दो दिवसीय पुस्तक प्रदर्शनी का हुआ सफलतापूर्वक समापन






" इस पुस्तक मेले के माध्यम से छात्रों को किताबों से जोड़ने के लिए एक छोटा सा प्रयास किया गया है। दो दिन के इस पुस्तक मेले में विद्यार्थियों का जो रुझान देखने को मिला है वह निश्चित तौर पर शुभ संकेत है "- लायब्रेरीयन नवीन सेनी

जालंधर :-कहते हैं किताब इंसान का सबसे अच्छा साथी होता हैं। देश दुनिया की तमाम बातें हम किताबों से जान सकते हैं, समझ सकते हैं और अपना एक विचार भी बना सकते हैं। किताबों के इसी महत्व को समझते हुए डी ए वी कॉलेज, जालंधर की लाजपत राय लाइब्रेरी ने 16 अक्टूबर से 17 अक्टूबर को पुस्तक प्रदर्शनी का आयोजन करवाया गया। कॉलेज में आयोजित इस पुस्तक प्रदर्शनी का शुभारंभ कॉलेज की लोकल अड्वाइज़री समिति के चेयरमेन जस्टिस एन के सूद और संस्थान के प्रिन्सिपल डॉ एस के अरोड़ा और कॉलेज के लायब्रेरीयन नवीन सेनी ने किया। यह प्रदर्शनी काफी सफल रही। इस पुस्तक प्रदर्शनी की खास बात यह रही कि इस प्रदर्शनी में हर तरह के विषय पर आधारित पुस्तकों की प्रदर्शनी थी। इस प्रदर्शनी में अलग अलग पुस्तक विक्रेताओं ने भाग लिया। ये पुस्तक विक्रेता अपने साथ कई प्रकाशनों की किताबें लाये थे। ये किताबें हिन्दी और अंग्रेजी दोनो भाषाओं में थी। लेकिन अंग्रेजी भाषाओं की किताबों की बहुलता रही। इस पुस्तक प्रदर्शनी में संस्थान के छात्र-छात्राओं, शिक्षक-शिक्षकाओ ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। विभिन्न विभागों के प्रमुखों ने अपने-अपने विचारों के हिसाब से कई पुस्तकों की सिफारिश संस्थान के पुस्तकालय के लिए की। एकनामिक्स विभाग के डॉ संजीव धवन ने छात्रों और छात्राओं के द्वारा सुझाए गए किताबों की भी सिफारिश पुस्तकालय के लिए की। संस्थान में पढ़ने वाले विभिन्न छात्र-छात्राओं ने भी इस पुस्तक प्रदर्शनी में भाग लिया। उन्होंने कई किताबों की खरीददारी भी की। अपने मतलब की किताब ढूंढ रही एम काम की एक छात्रा ने बताया कि “यह पुस्तक प्रदर्शनी काफी अच्छा है। यहां आकर काफी खुशी हो रही है। यहां रीसर्च की ढेरों की किताबें है। कुछ ऐसी भी किताबें हैं जो आम तौर पर बुक शॉप्स में नहीं मिलती। मैने तो " कूपर " द्वारा लिखी "रीसर्च मेथड्स" किताब को खरीदा भी“।

प्रदर्शनी में कई प्रकाशनों की किताबें लेकर आए पुस्तक विक्रेता में से ” रजत बुक कॉर्नर ” के राजन ने बताया कि यह प्रदर्शनी काफी अच्छी रही। पुस्तकालय के लिए ढेर सारी किताबों की सिफारिश की गई। साथ ही कई छात्रों ने किताबों को खरीदा भी। प्रिन्सिपल डॉ एस के अरोड़ा ने इस प्रदर्शनी की सफलता पर लायब्रेरीयन नवीन सेनी को बधाई देते हुए कहा, 2009 में नेशनल बूक ट्रस्ट द्वारा करवाये गए एक सर्वे में यह सामने आया कि देश के कुल साक्षर युवाओं में से मात्र 25 प्रतिशत युवा ही किताबें पढ़ते हैं और मजेदार बात यह रही कि इसमें से 18‐8 प्रतिशत युवा अपने माता-पिता के कहने पर ही पढ़ने के लिए प्रेरित हुए हैं। यह एक चिंताजनक स्थिती है कि देश के युवाओं के बीच किताब पढ़ने का रूझान कम होता जा रहा है। इसका एक कारण तकनीक का विकास भी है। अब ज्यादातर लोग वेब में या कैडंल में ही किताबें पढ़ने लगे हैं। लेकिन यह भी सच है कि आज नए-नए प्रकाशन सामने आ रहे हैं। जो यह साबित करता है कि किताबों की दुनिया को कमजोर करके नहीं देखा जा सकता है।लायब्रेरीयन नवीन सेनी ने स्टूडेंट्स को संबोधित करते हुए कहा कि इस तरह की पुस्तक प्रदर्शनी से विद्यार्थियों एवं पुस्तक प्रेमियों को बहुत लाभ होगा। किताबों के दुनिया की सैर इस पुस्तक प्रदर्शनी ने कराया है। पुस्तक प्रदर्शनी ऐसे ज्ञान को हमारे सामने लाते है जो हमारे जीवन की खोज रहती है। विद्यार्थियों के लिए किताबों से बेहतर कोई दोस्त नहीं है। विद्यार्थियों को अपने पाठ्यक्रम के अतिरिक्त भी पुस्तकों का अध्ययन करना चाहिए। ये पुस्तकें विद्यार्थियों के ज्ञानार्जन एवं प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में भी सहायक होगी।

इस पुस्तक प्रदर्शनी में जब छात्र-छात्राओं से यह पूछा गया कि वे पुस्तक प्रदर्शनी को लेकर क्या सोचते हैं तो उनका जबाब था कि संस्थान में ही आयोजित इस प्रदर्शनी का अनुभव काफी अच्छा रहा।भले ही आकड़ों में लोगों में किताब पढ़ने का रूझान कम दिखाई दे रहा हो लेकिन इस प्रदर्शनी में छात्रों और शिक्षकों के आवागमन को देखकर यही कहा जा सकता है कि किताबों की दुनिया अनोखी है और हर कोई इस अनोखी दुनिया में जीना चाहता है।

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