रिटायरमेंट को भी किसी परिवर्तन की तरह स्वीकार करें-विदाई समारोह पर बोले डा. सिंह
जालंधर:- डीऐवी कॉलेज के पंजाबी विभाग के अध्य्क्ष डा. आर.बी. सिंह कॉलेज में बिताये अपने बेहतरीन 39 वर्षो के बाद सेवानिर्वित हो गए, डीएवी कॉलेज जालंधर के सभी अध्यापकों ने अपने सहयोगी और पंजाबी विभाग के मुखी डॉ. आर.बी सिंह को उनके सेवामुक्त होने के सम्मान में पर विदाई दी। कार्यक्रम की शुरुआत स्टाफ सेक्रेटरी प्रो शरद मनोचा नें मंच का संचालन करते हुए आये सभी मेहमानों का स्वागत किया। कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ एस के अरोड़ा ने डा. सिंह को "क्लासिक शिक्षक" से संबोधित किया। प्रिंसिपल अरोड़ा नें कहा, प्रो सिंह महत्वाकांक्षी, व्यावहारिक, जानकार, मेहनती व्यक्ति और सबसे ऊपर पूर्ण शिक्षक हैँ जिन्होनें सभी क्षेत्रों में सकारात्मक योगदान दिया। प्रिंसिपल डॉ एस.के अरोड़ा अपने वरिष्ठ सहयोगी को बधाई देते हुए कहा कि बदलाव ही प्रकृति का नियम है लेकिन डॉ. आर.बी सिंह को बहुत याद किया जाएगा। उनके लिये दिलों के और कॉलेज के दरवाजे हमेशा खुले रहेँगे और कॉलेज उनका हमेशा खुली बाँहों से स्वागत करता रहेगा। डा. आर.बी. सिंह एक टीचर एक्टिविस्ट एवं पीसीसीटीयू के जालंधर जिले की कौंसिल के 5 बार प्रेजिडेंट रह चुके हैं। वह डीऐवी की पीसीसीटीयू कोआर्डिनेशन कमेटी के लंबे समय तक कन्वीनर भी रहे। इस दौरान उन्होंने टीचर्स के हक के लिए हर सम्भव कार्य किये।
अपने विदाई भाषण में डा. आर बी सिंह ने एक छोटे से गांव से इस महान संस्था तक के अपने सफर और यहां मिले मान-सम्मान को याद किया और इसे अतुलनीय बताया और कहा कि एक छोटे से गांव से लेकर इतने बड़े संस्थान तक कि यात्रा ने उन्हें बहुत नाम और शोहरत दी है। । उन्होंने कहा कि मैंने बरसों तक बड़े परिश्रम से कॉलेज और समाज के लिए काम किया, परिवार के लिए काम किया। लेकिन अब अगर आप इतनी कड़ी मेहनत नहीं कर सकते तो इसका यह मतलब नहीं निकलता कि आप आगे कोई योगदान देना ही नहीं चाहते। बल्कि इसी समय आप अपने बीते अनुभव का लाभ लेकर अधिक अर्थपूर्ण काम कर सकते हैं। आपके ये काम सफलता से भी आगे की कोई ऊंची उड़ान होंगे।
उन्होनें आगे कहा कि मैं आगे भी काम करता था, मैं अब भी काम करता रहूँगा, मै काम करता हूं क्योंकि मुझे इससे ऊर्जा मिलती है, मेरी बुध्दि तेज होती है और मुझे अपने भीतर छिपी हर प्रतिभा को उपयोग करने का अवसर मिलता है। लोगों पर अपनी काबिलियत, अपने ज्ञान और पूर्व अर्जित सफलता का सकारात्मक प्रभाव डाल सकता हूं। और इस तरह अर्थपूर्ण सेवा दे सकता हूं। रिटायरमेंट को भी किसी परिवर्तन की तरह स्वीकार करें। यूं समझ लें कि आप पुराना घर छोड़कर नये घर में आये हैं और फिर यहीं से नई जिंदगी का आनंद उठाना शुरू करें। कॉलेज में बिताये अपने सुखद क्षणों को याद करते डा. सिंह नें कहा अगर समय सुखद हो तो सुहानी और अच्छी स्मृतियाँ समय को सिकोड़ देती हैँ। कॉलेज के हर दिन से मैंने कुछ न कुछ नया सीखा है, शिक्षण हमेशा से ही मेरा शौक रहा और किताबें हमेशा से ही मेरी सबसे करीबी दोस्त रही। मैंनें अपने कार्यकाल का भरपूर आनंद लिया। मैँ खुश हूँ की मैं सभी के विचारों में हूँ और रहूँगा| सभी का धन्यवाद् देते हुए डा. सिंह नें कहा, की वह हमेशा इस प्यार,स्नेह और भावनाओं के कर्ज़दार रहेंगे। वहीं इस दौरान कॉलेज के वाईस प्रिंसिपल एवं कमर्स विभाग के मुखी प्रो. वी.के. सरीन ने कहा कि मनुष्य जन के लिए उसका कार्य ही पूजा है और जिसने इस रास्ते का अनुसरण किया, वह आसमान तक पहुंचा। उन्होंने कहा कि 39 वर्षों के इस लंबे कार्यकाल में डॉ सिंह हमेशा ही अपने कार्य को लेकर सजग रहे हैं। इस अवसर पर धन्यवाद पंक्तियाँ स्टाफ़ सचिव प्रो. शरद मनोचा द्वारा प्रस्तुत की गईं। संयुक्त सचिव स्टाफ़ प्रो अमित शर्मा और सम्पूर्ण कॉलेज की स्टाफ काउंसिल डॉ आर बी सिंह को भावपूर्ण विदाई दी।