Thursday , 11 September 2025

आईआईटी रोपड़ के स्वायत्त मौसम केंद्र (एडब्ल्यूएस) ने सीएसआर यूनिवर्स सोशल इम्पैक्ट अवार्ड 2025 जीता

चंडीगढ़ (ब्यूरो) :- शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत आईआईटी रोपड़ की एएनएनएएम.एआई (ANNAM.AI) फाउंडेशन को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली में आयोजित 5वें सामाजिक प्रभाव सम्मेलन और पुरस्कार में ‘सामाजिक भलाई हेतु प्रौद्योगिकी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता’ श्रेणी में सोशल इम्पैक्ट अवार्ड 2025 (एसआईसीए 2025) से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार “स्वायत्त मौसम केंद्र (एडब्ल्यूएस ): स्मार्ट जलवायु निगरानी समाधान” परियोजना को मान्यता देता है, जो एक गहन तकनीकी नवाचार है जिसे किसानों को वास्तविक समय, अति-स्थानीय मौसम डेटा और एआई-संचालित अंतर्दृष्टि प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। एडब्ल्यूएस इकाइयाँ कम लागत वाली, सौर ऊर्जा से संचालित और आईओटी सेंसर से सुसज्जित हैं जो वर्षा, आर्द्रता, हवा की गति और मिट्टी की स्थिति का डेटा एकत्र करती हैं।

यह जानकारी, एआई -आधारित पूर्वानुमान विश्लेषण के साथ मिलकर, किसानों को फसल नियोजन, सिंचाई, कीट नियंत्रण और संसाधन प्रबंधन पर सूचित निर्णय लेने में सक्षम बनाती है। जलवायु परिवर्तनशीलता और फसल हानि की चुनौतियों का समाधान करके, एडब्ल्यूएस जलवायु-प्रतिरोधी और टिकाऊ कृषि के निर्माण हेतु एक महत्वपूर्ण उपकरण साबित हो रहा है। सोशल इम्पैक्ट अवार्ड 2025 का विषय था “इम्पैक्ट 2.0: भारत की प्रगति की अगली लहर को मापना”, जिसके अंतर्गत प्रौद्योगिकी, साझेदारियों और नवीन वित्तपोषण की भूमिका पर विशेष बल दिया गया। सम्मेलन में 80 से अधिक प्रख्यात वक्ताओं, 200 से अधिक प्रतिनिधियों, उद्योग जगत के नेताओं, नीति-निर्माताओं और 10 से अधिक संसद सदस्यों ने भाग लिया। इसमें मुख्य भाषण, पैनल चर्चा, स्पॉटलाइट वार्ता और शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, कृषि एवं स्वच्छ ऊर्जा जैसे विविध क्षेत्रों में प्रभावशाली नवाचारों को प्रदर्शित करने वाली प्रदर्शनियाँ शामिल थीं। पुरस्कार समारोह में उन संगठनों, परोपकारी व्यक्तियों, स्टार्टअप्स और सामाजिक उद्यमों को सम्मानित किया गया जिन्होंने समाज में ठोस और सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में योगदान दिया है। आईआईटी रोपड़ को मिला यह सम्मान ग्रामीण सशक्तिकरण, स्थिरता और सामाजिक कल्याण के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। एडब्ल्यूएस परियोजना की सफलता इस बात का प्रमाण है कि भारतीय संस्थानों के नवाचार न केवल समावेशी विकास को बढ़ावा देते हैं, बल्कि खाद्य सुरक्षा और जलवायु अनुकूलन जैसी वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने की भी क्षमता रखते हैं।

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