जालंधर (अरोड़ा) :- राजेश्वरी कला संगम,एपीजे कॉलेज ऑफ फाइन आर्ट्स जालंधर की स्वर्ण जयंती एवं छठे राजेश्वरी कला-महोत्सव का दूसरा दिन भी कलाकारों के लिए अद्भुत अनुभव वाला रहा। दूसरे दिन कार्यक्रम का आगाज़ एपीजे एजुकेशन,एपीजे सत्या एंड स्वर्ण ग्रुप की अध्यक्ष एवं एपीजे सत्या यूनिवर्सिटी की चांसलर सुषमा पॉल बर्लिया ने हवन की पवित्र अग्नि में समिधा डालते हुए तथा पौधारोपण करते हुए किया। इस भव्य समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में
सुषमा पॉल बर्लिया जी का वंदन किया गया।एपीजे सत्या एंड स्वर्ण ग्रुप की को-ओनर एंड डायरेक्टर सत्या एंड स्वर्ण ग्रुप,प्रो चांसलर एपीजे सत्या यूनिवर्सिटी डॉ नेहा बर्लिया की सकारात्मक उपस्थिति ने कार्यक्रम को अविस्मरणीय बनाने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। संस्कृत के पवित्र श्लोकों के साथ पावन ज्योति को प्रज्वलित करते हुए सुषमा पॉल बर्लिया, डॉ नेहा बर्लिया, मालिनी अवस्थी, प्रेम सिंह ,डॉ सुचरिता शर्मा एवं डॉ नीरजा ढींगरा, एपीजे कॉलेज के बोर्ड ऑफ़ गवर्नर्स के सदस्य श्री निर्मल महाजन ने ईश्वर से कार्यक्रम की सफलता के लिए आशीष मांगी। सुषमा पॉल बर्लिया एवं डॉ नेहा बर्लिया ने पद्मश्री सम्मान से सम्मानित मालिनी अवस्थी एवं पंजाब के प्रसिद्ध विजुअल आर्टिस्ट डॉ प्रेम सिंह को सुगंधित पुष्पगुच्छ भेंट कर उनका स्वागत किया।एपीजे एजुकेशन की निदेशक डॉ सुचरिता शर्मा एवं एपीजे कॉलेज की प्राचार्य डॉ नीरजा ढींगरा ने सुगंधित पुष्पगुच्छ भेंट करते हुए सुषमा पॉल बर्लिया एवं डॉ नेहा बर्लिया का अभिनंदन किया। प्राचार्य डॉ नीरजा ढींगरा ने अपने स्वागत-भाषण में कहा कि श्रीमती सुषमा पॉल बर्लिया जी तेजस्वी, दृढ़ संकल्पित, कर्तव्यनिष्ठ,अनुभवी,दूरदर्शी एवं नेतृत्व के गुणों से संपन्न व्यक्तित्व की स्वामिनी है, मुख्य अतिथि के रूप में उनकी उपस्थिति हम सब में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने वाली है और निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा देने वाली है। उन्होंने कहा डॉ नेहा पारंपरिक ज्ञान का आधार लिए हुए आधुनिक सोच के साथ आगे बढ़ने वाली, शिक्षा को रोजगारपरक बनाने में अपना अमूल्य योगदान देते हुए विद्यार्थियों को केवल पाठ्यक्रम के ज्ञान तक सीमित न रखते हुए उनकी कल्पना को नए आयाम देने के लिए हमें सर्वदा प्रोत्साहित करती हैं।





इस अवसर विशेष पर उन्होंने मालिनी अवस्थी एवं डॉ प्रेम सिंह का भी वंदन किया। इस अवसर पर एपीजे एजुकेशन के संस्थापक अध्यक्ष डॉ सत्यपाॅल जी की जीवन-यात्रा पर लघु फिल्म दिखाई गई। स्वर्ण जयंती के इस अवसर पर सुषमा पाल बर्लिया ने पद्मश्री सम्मान से सम्मानित अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित गायिका मालिनी अवस्थी जी एवं ट्रिनैले(TRIENNALE)सम्मान से सम्मानित डॉ प्रेम सिंह का अभिनंदन करते हुए कहा कि परफॉर्मिंग एवं विजुअल आर्ट में अपना अद्भुत योगदान देने के लिए आपको राजेश्वरी कला सम्मान से सम्मानित करते हुए हम स्वयं भी गौरवान्वित अनुभव कर रहे हैं। मालिनी अवस्थी जी के बारे में अपने विचार व्यक्त करते हुए श्रीमती बर्लिया ने कहा कि जिस तरह आप अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संगीत के माध्यम से भारतीय संस्कृति की एवं आध्यात्मिक खुशबू फैला रही है वह वास्तव में प्रशंसनीय है। डॉ प्रेम सिंह के बारे में अपने भाव व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि एक विजुअल आर्टिस्ट के रूप में आपकी क्राफ्ट कार्य में जो रचनात्मक एवं नवोन्मेषशालिनी दृष्टि मिलती है उसको शब्दों में बयां करना शायद मुश्किल है। मैडम बर्लिया ने कहा कि एपीजे एजुकेशन के संस्थापक अध्यक्ष डॉ सत्यपाॅल जी की ललित कलाओं के संरक्षण,संवर्द्धन एवं संवेदनशील बनाने की सोच को युवाओं तक पहुंचाना ही हमारे शिक्षण संस्थाओं का उद्देश्य है, उन्होंने कहा कि डॉ सत्यपाॅल जी विद्यार्थियों का शैक्षणिक, भावनात्मक एवं आध्यात्मिक विकास करके उन्हें जिम्मेदार नागरिक बनाना चाहते थे, उनके दृढ़ संकल्प,निडरता, अनुशासन कर्मण्यता ने उन्हें प्रत्येक क्षेत्र में दूसरों के लिए अनुकरणीय बनाया। मैडम बर्लिया ने कहा कि हमारा उद्देश्य अपना आदर्श रूप बनना होना चाहिए। राष्ट्रीय युवा-महोत्सव में श्रेष्ठ स्थान हासिल करने वाले विद्यार्थियों, हरसिफत, जसलीन, शिवम,अंजलि, ग़ज़ल एवं राहुल ने कॉलेज के कल्चरल कोऑर्डिनेटर डॉ अरुण मिश्रा के निर्देशन में वेस्टर्न ग्रुप सॉन्ग की इतनी मंत्रमुग्ध कर देने वाली प्रस्तुति की कि सभागार तालियों के गूंज से भर उठा। डॉ नेहा बर्लिया ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि मेरे नाना डॉ सत्यपाॅल जी की यह अवधारणा थी कि शिक्षा केवल आजीविका कमाने की भूमिका ही नहीं निभाती बल्कि एक व्यक्तित्व का निर्माण करती है। उनके अनुसार वास्तविक शिक्षा का उद्देश्य मानवीय मूल्यों को समाहित करते हुए धनोपार्जन करने के योग्य बनाना है। डॉ नेहा ने कहा कि उन्हीं के नक्शे-कदम पर चलते हुए आज एपीजे शिक्षण-संस्थान शिक्षा,कला, टेक्नोलॉजी एवं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को साथ लेकर प्रगति पथ पर अग्रसर हो रहे हैं। राष्ट्रीय युवा- महोत्सव में इंडियन क्लासिकल डांस में प्रथम स्थान हासिल करने वाली छात्रा खुशी ने कत्थक डांस की इतनी भावप्रवण प्रस्तुति दी कि सब भावविभोर हो गए। सुषमा पाल बर्लिया एवं डॉ नेहा जी ने पद्मश्री सम्मान से सम्मानित मालिनी अवस्थी एवं डॉ प्रेम सिंह को लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड राजेश्वरी सम्मान से सम्मानित किया। मालिनी अवस्थी जी का ठुमरी और कजरी गायन में कोई सानी नहीं हैं। हिंदुस्तानी संगीत के बारे में उनका विशाल ज्ञान उनकी ग़ज़लों और सूफियाना कलामों की प्रस्तुति में भी झलकता है।पद्म विभूषण विदुषी गिरिजा देवी की शिष्या वह बनारस घराने के चौमुखी गायन की पारखी हैं। मालिनी जी अवधी, भोजपुरी, बुंदेली और ब्रज जैसी कई बोलियों और भाषाओं पर समान रूप से अधिकार रखती हैं।जब उन्होंने अपनी गुरु ठुमरी क्वीन गिरिजा देवी से प्रशिक्षण लेना शुरू किया, तब तक वह पहले से ही एक लोकप्रिय कलाकार थीं। अपने गुरु के
माध्यम से उन्होंने पूरब अंग गायकी सीखी, जिसका वह आज एक प्रशंसित चेहरा हैं। राजेश्वरी कला महोत्सव के अवसर पर श्रीमती मालिनी अवस्थी जी ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि मुझे उस पावन भूमि पर परफॉर्म करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ जिसमे शास्त्रीय संगीत के दिग्गजो ने संगीत की बहुत सेवा की है।कालेज की यूथ फेस्टिवल की उपलब्धियों से प्रभावित होकर उन्होंने कहा कि जो विद्यार्थी यूथ फेस्टिवल के मंच की तालियों और हूटिंग का सामना कर
लेते हैं फिर वे जिंदगी के किसी भी मंच पर घबराते नहीं। श्रीमती मालिनी अवस्थी जी ने ठुमरी,दादर,चैती, बनारस के टप्पे के भावपूर्वक गायन ने श्रोताओं को आनंदित कर दिया। उनका हारमोनियम पर प्रतिष्ठित हारमोनियम वादक श्री धर्मनाथ मिश्रा, तबले पर विश्वविख्यात तबला वादक राम कुमार मिश्रा जी ने साथ दिया। डॉ सुचरिता शर्मा एवं डॉ नीरजा ढींगरा ने स्वर्ण-जयंती के सुनहरी पलों को अविस्मरणीय बनाने के लिए सुषमा पॉल बर्लिया जी को स्मृति चिन्ह भेंट किया। राष्ट्रगान के साथ स्वर्ण जयंती के दूसरे दिन का समापन भी खूबसूरती के साथ हो गया।