Saturday , 23 November 2024

एपीजे कॉलेज ऑफ़ फाइन आर्ट्स जालंधर में तीन दिवसीय प्रदर्शनी एवं वर्कशाप का आयोजन

जालंधर (अरोड़ा) :- एपीजे कॉलेज ऑफ़ फाइन आर्ट्स जालंधर के डिजाइन विभाग द्वारा INTACH (Indian national trust for art and culture heritage) के सौजन्य से तीन दिवसीय प्रदर्शनी एवं वर्कशॉप का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में ललित कला अकादमी नई दिल्ली के पूर्व सचिव डॉ सुधाकर शर्मा, स्रोत वक्ता के रूप में डॉ मनमीत कौर जोकि श्रेष्ठ आर्टिस्ट,रिसर्चर एवं शिक्षाविद भी है उपस्थित हुई, विशेष अतिथि के रूप में इंटैक पंजाब स्टेट के कन्वीनर मेजर जनरल बलविंदर सिंह उपस्थित हुए। एपीजे एजुकेशन जालंधर की निदेशक डॉ सुचरिता शर्मा ने उनका अभिनंदन करते हुए कहा कि एपीजे एजुकेशन के संस्थापक अध्यक्ष डॉ सत्यपाॅल की प्रेरणा से एवं एपीजे एजुकेशन,एपीजे सत्या एंड स्वर्ण ग्रुप की अध्यक्ष तथा एपीजे सत्या यूनिवर्सिटी की चांसलर श्रीमती सुषमा पॉल बर्लिया के प्रोत्साहन से एपीजे कॉलेज ऑफ़ फाइन आर्ट्स सदा ललित कलाओं एवं लोक कलाओं के संरक्षण एवं संवर्द्धन में सदैव प्रयासरत रहता है।

उन्होंने कहा कि आज की इस प्रदर्शनी एवं वर्कशॉप का उद्देश्य ही लुप्तप्राय: होती जा रही लोक कला ‘सांची फुलकारी’ से न केवल विद्यार्थियों को परिचित करवाना है बल्कि इसके संरक्षण के लिए भी उनको प्रोत्साहित एवं प्रेरित करना भी है। स्रोत वक्ता के रूप में डॉ मनमीत कौर ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आकृतिपरक ‘सांची फुलकारी’ पूर्व पंजाब जिला बठिंडा, जिला फिरोजपुर की तहसील मोगा से विशेष रूप से संबंधित है।125 वर्ष पुरानी इस लोक कला में गांव के घरेलू दृश्यों की दिनचर्या को बाखूबी फुलकारी की कढ़ाई के माध्यम से अभिव्यक्ति दी जाती है। इसके अलावा इसमें स्थानीय पक्षी,जानवरों एवं कीट पतंगों को भी चित्रित किया जाता है। उन्होंने बताया कि सांची फुलकारी में फाइन आर्ट्स के सभी तत्त्व जैसे कंपोजिशन, साइंस (Signs) एवं सिंबल्स(Symbols) समाहित होते हैं। ‘सांची फुलकारी’ की कढ़ाई में ड्राइंग की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। सांची फुलकारी न केवल समसामयिक सामाजिक जिंदगी बल्कि उनके नैतिक मूल्यों को भी अभिव्यक्त करने में सक्षम है। यह वह कला है जो अपने आप में एक रिद्धम को समाहित किए हुए हैं और जो दर्शकों के अंतर्मन तक पहुंचकर उनको भी रिद्धम से भर देती है।

तीन दिनों तक चलने वाली इस वर्कशॉप में जो विद्यार्थी कढ़ाई करने में रुचि रखते हैं उनको कलात्मक फुलकारी से संबंधित आकृतियां बनाने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इस इस प्रदर्शनी एवं वर्कशॉप के आयोजन के संदर्भ में मुख्य अतिथि डॉ सुधाकर शर्मा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि कॉलेज द्वारा किया गया यह प्रयास बहुत ही स्तुतिपरक है अगर हम युवा पीढ़ी को लुप्त प्रायः होती जा रही लोक कलाओं से जोड़ेंगे तो यह कलाएं सदा के लिए सजीव हो उठेंगी। मेजर जनरल बलविंदर सिंह ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि इंटैक का उद्देश्य ही अपनी विरासत को न केवल सहेजना बल्कि उसे भावी पीढ़ी तक भी पहुंचाना है और एपीजे कॉलेज इसके लिए सदा अग्रणी रहा है कि वह अपनी धरोहर को युवाओं तक पहुंचाए। इस अवसर पर वर्ल्ड स्किल्स लियोन 2024 में ग्राफिक डिजाइन टेक्नोलॉजी में अवार्ड ऑफ़ एक्सीलेंस से सम्मानित बीएफ आठवें समैस्टर की जाह्रवी मेहता को सम्मानित भी किया गया। वर्कशॉप के उद्घाटन समारोह के अंत में प्राचार्य डॉ नीरजा ढींगरा ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि हम निश्चित रूप से डॉ सत्यपाॅल एवं सुषमा पाल बर्लिया द्वारा ललित एवं लोक कलाओं की समृद्धि एवं संरक्षण के लिए चलाई गई परंपरा का सफलता से निर्वहण करते हुए इसे जीवंत बनाए रखने का भरसक प्रयास करते ही रहते हैं और भविष्य में भी हमारा यह प्रयास जारी रहेगा। उन्होंने मुख्य अतिथि डॉ सुधाकर शर्मा,डॉ मनमीत कौर बलविंदर सिंह, डॉ रचना शर्मा का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि आपकी उपस्थिति निश्चित रूप से हमारे विद्यार्थियों के लिए प्रेरणादायी होगी। इस वर्कशॉप एवं प्रदर्शनी की सफलता के लिए उन्होंने डिजाइन विभाग की अध्यक्ष मैडम रजनी गुप्ता,मैडम रजनी कुमार, डॉ गगन गंभीर एवं राजेश कलसी का प्रयासों की सराहना की।

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