विश्वविद्यालय अधिकारियों, संकाय एवं कर्मचारियों के लिए सी.ई.ई (सेंटर फॉर एग्जिक्युटिव एजुकेशन ) द्वारा एक पहल
जीवन को सकारात्मक दिशा में लाने के लिए मन, हृदय और जुबान पर नियंत्रण रखना बहुत जरूरी है: रजिस्ट्रार डॉ. एस.के. मिश्रा
जालंधर (अरोड़ा) :- आई.के. गुजराल पंजाब तकनीकी विश्वविद्यालय (आई.के.जी पी.टी.यू) में सेंटर फॉर एग्जिक्युटिव एजुकेशन (सी.ई.ई) की तरफ से विश्वविद्यालय के अधिकारियों, संकाय एवं कर्मचारियों के लिए एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया! इसका विषय “मानसिक संतुलन एवं भावनात्मक जुड़ाव” रहा ! सेमिनार का उद्देश्य विश्वविद्यालय में काम करने वाले सभी लोगों को मानसिक रूप से स्वस्थ बनाना, रिश्तों में भावनात्मक रूप से मजबूत बनाना था! विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (डॉ.) सुशील मित्तल के दिशा-निर्देशानुसार सेंटर फॉर एक्जीक्यूटिव एजुकेशन द्वारा इस विषय का चयन किया गया! केन्द्र प्रमुख विश्वविद्यालय रजिस्ट्रार डाॅ. एस.के. मिश्रा इस सेमिनार में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए! प्रोफेसर (डॉ.) हरमीन सोच, विश्वविद्यालय के प्रबंधन विभाग के प्रमुख एवं इसी विभाग के सहायक प्रोफेसर (डा) पूजा मेहता ने सेमिनार को रिसोर्स पर्सन (प्रवक्ता) के तौर पर सम्बोधित किया। उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए रजिस्ट्रार डाॅ. एस.के. मिश्रा ने कहा कि किसी भी रिश्ते में भावनात्मक बुद्धिमत्ता बंधन को मजबूत करती है! भावनात्मक बुद्धिमत्ता एवं साझेदारी से रिश्तों में घनिष्ठता बढ़ती है ! उन्होंने कहा कि जीवन को सकारात्मक दिशा में लाने के लिए मन, हृदय और जीभ पर नियंत्रण रखना बहुत जरूरी है! डॉ. मिश्रा ने कहा कि मन, हृदय एवं जीभ पर नियंत्रण रखकर व्यक्ति दुनिया की सभी कठिनाइयों पर विजय प्राप्त कर सकता है! जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव आते हैं, इसलिए आपका दिल मजबूत होना चाहिए।
डॉ. मिश्रा ने कहा कि इंद्रियों पर नियंत्रण रखकर आत्म-जागरूकता का अभ्यास करके कई संघर्षों को अधिक प्रभावी ढंग से हल किया जा सकता है! उन्होंने दोनों वक्ता संकाय सदस्यों को “मानसिक संतुलन एवं भावनात्मक संबंध” जैसा विषय चुनने के लिए बधाई दी। वक्ता के तौर पर प्रोफेसर (डॉ.) हरमीन सोच ने कहा कि भावनात्मकता एक ऐसा विषय है, जिसे हम किताबों के माध्यम से नहीं पढ़ते हैं, बल्कि जीवन के उतार-चढ़ाव के माध्यम से सीखते हैं या महसूस करते हैं। उन्होंने कहा कि “भावना” वह विषय है, जो हमारे हाव-भाव से दूसरों को हमारे व्यवहार के बारे में बताती है। डॉ. सोच ने कहा कि भावनात्मक बुद्धिमत्ता विकसित करने के लिए हमारी भावनाओं, विचारों पर ध्यान देना और हमारे व्यवहार को पहचानना महत्वपूर्ण है। अपने स्वयं के व्यवहार के प्रति जागरूक होने से, आप इस बात से अवगत हो जाते हैं कि किस स्थिति पर कैसे प्रतिक्रिया देनी है और अपनी भावनाओं को अधिक प्रभावी ढंग से कैसे प्रबंधित करना है! उन्होंने पी.पी.टी स्लाइड्स के माध्यम से भावनाओं के विभिन्न चरणों को उदाहरणों के साथ पेश किया। अंत में उन्होंने सवाल-जवाब का सेशन भी रखा। दूसरी वक्ता सहायक प्रोफेसर (डॉ.) पूजा मेहता ने अपने व्याख्यान में एक टीम में काम करने के महत्व के बारे में बताया! उन्होंने बताया कि कैसे एक टीम में रहकर सबसे कठिन कार्यों को भी आसानी से हल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक समूह एक टीम के रूप में कार्य करता है, किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए समन्वय की अत्यंत आवश्यकता होती है, समन्वय के बिना लक्ष्य तक नहीं पहुंचा जा सकता, जिसके लिए हम दिन-रात मेहनत करते हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी टीम को बनाने में एक लीडर की अहम भूमिका होती है! एक अच्छा लीडर अपनी टीम को अंतिम मंजिल तक ले जाता है। उन्होंने विभिन्न खेलों के माध्यम से कर्मचारियों को टीम के महत्व के बारे में बताया। इस अवसर पर सी.ई.ई के डिप्टी रजिस्ट्रार सौरभ शर्मा ने उपस्थित अधिकारियों, संकाय सदस्यों एवं सभी कर्मचारियों का स्वागत एवं धन्यवाद किया। सेमिनार के दोनों वक्ताओं एवं प्रतिभागियों को रजिस्ट्रार डाॅ. एस.के. मिश्रा द्वारा प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।