जी ॰ डी ॰ गोयंका इंटरनेशनल स्कूल जालंधर ने की वाद-विवाद प्रतियोगिता आयोजित
शीर्षिक था, “ विद्यालय परिसर मे मोबाइल फोन इस्तेमाल पर प्रतिबंध “
जालंधर : भाग-दौड़ भरी इस ज़िंदगी मे मोबाइल कब मानव जीवन का अटूट हिस्सा बन गया इस बात का कभी किसी को एहसास ही नहीं हुआ। चाहे घर हो या दफ्तर ,विद्यालय हो या सड़क या होखेल का मैदान, हर किसी जगह हम लोगों को मोबाइल पर बाते करते देख और सुन सकते हैं । यहाँ इस छोटे से यंत्र ने सूचना और तकनीक के क्षेत्र मे क्रांति ला दी है वहीं मानव जीवन को कई जानलेवा बीमारियों से भी ग्रस्त कर दिया है । विद्यार्थियों को इसके फायदे और नुकसान के विषय की जानकारी देने की उद्देश्य से जी डी गोयंका इंटरनेशनल स्कूल जालंधर ने एक वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया जिसका शीर्षिक था “ विद्यालय परिसर मे विद्यार्थियों द्वारा मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध।“ इस प्रतियोगिता मे विद्यालय के चारों सदनो (रवीद्रनाथ टैगोर, मदर टैरेसा, डॉ राधाकृषणन, स्वामी विवेकानंद ) के विद्यार्थियों ने भाग लिया। पक्ष मे बोलने वाले विद्यार्थियों ने इस बात पर बल दिया कि अगर विद्यालय परिसर मे विद्यार्थियों को मोबाइल फोन इस्तेमाल करने की इजाजत दी जाती है तो इससे पढ़ने वाले विद्यार्थियों की पढ़ाई मे व्यवधान उत्तपन होगा । वहीं दूसरी ओर इससे निकलने वाली हानिकारक तरंगों से विद्यार्थी जाने-अंजाने मे ही कई जानलेवा बीमारियों से भी ग्रस्त हो जाएँगे । जबकि पक्ष मे बोलने वाले विद्यार्थियों ने कहा कि इस के प्रयोग से न केवल उन के पाठ्यक्रम मे रोचकता आएगी बल्कि मनोरंजन के साथ-साथ दूनिया भर की तमाम जानकारियाँ भी उन की मुट्ठी मे रहेंगी । इस प्रतियोगिता मे स्वामी विवेकानंद सदन के प्रतियोगी प्रथम स्थान प्राप्त करने मे सफल रहे । दोनों पक्षों के विचार सुनने के बाद कार्यक्रम के अंत मे विद्यालय के प्रधानाचार्य अशोक कुमार जैन ने अपने संदेश मे विद्यार्थियों से कहा कि वह अपने घर पर एक सीमा के भीतर रह कर अगर मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं तो उन्हें इसके लाभ ही होंगे अन्यथा इसके अधिक प्रयोग से होने वाला नुकसान भी उन्हे खुदही झेलना होगा ।