"फिर से आज यह अत्यंत सुखद अनुभव हुआ की मैं आज भी डी ए वी कॉलेज जालंधर का स्टूडेंट हूँ, आज जिस भी मुक़ाम पर हूँ, उसके लिए मैं अपने कॉलेज का शुक्रगुज़ार हूँ:- विनोद दुग्गल
पुराने स्टूडेंट्स को ज़िन्दगी में सफल देखकर एक बहुत ही सुखद अनुभव प्राप्त होता है, ख़ुशी होती है की आज भी वह अपने अनुशासन और नैतिक मूल्यों के साथ जुड़े हुए हैं: प्रिंसिपल डॉ एस के अरोड़ा
जालन्धर (JJS) मोहित:- डी ए वी कॉलेज जालंधर के प्रागण में 58 साल पहले पढ़ चुके साइंस के विद्यार्थी, पूर्व यूनियन होम सेक्रेटरी और मिजोरम व मणिपुर के पूर्व गवर्नर विनोद कुमार दुग्गल ने अपनी मौजूदगी से सभी को मोहित कर दिया, कॉलेज पहुँच कर विनोद कुमार बेहद भावुक हो गए, यह वो लम्हा था, जब उन्होंने लगभग 58 साल बाद अपने कॉलेज के दर-ओ-दीवार को बड़े करीब से देखा। 1961 में डीएवी कॉलेज से विनोद कुमार ने प्री-यूनिवर्सिटी कंप्लीट की, जब डीएवी कॉलेज के प्रिंसिपल सूरजभान थे। उन्होंने दिल्ली में जाकर ग्रेजुएशन की। 1965 में आर्मी में सेकंड लेफ्टीनेंट बने और फिर 1971 की जंग में हिस्सा भी लिया। 1971 में आईएएस की परीक्षा देकर दिल्ली कैडर ज्वाइन किया। यूनियन होम सेक्रेटरी के रूप में दिल्ली से रिटायर हुए, जिसके बाद मिनिस्टर रैंक मिला। इसके इलाक़ा 2005 में विनोद दुग्गल ने जल संसाधन सचिव के रूप में भी काम किया। 2009 में, उन्हें तेलंगाना पर श्रीकृष्ण समिति के सदस्य-सचिव के रूप में नियुक्त किया गया। मिजोरम और मणिपुर का राज्यपाल बनने का अवसर प्राप्त हुआ। कुल मिलाकर 50 साल तक उन्होंने सरकार के लिए काम किया।
डी ए वी कॉलेज में पहुँचने पर विनोद कुमार का स्वागत प्रिंसिपल डॉ एस के अरोड़ा,वाईस प्रिंसिपल प्रो वी के सरीन, वाइस प्रिन्सिपल प्रो अरुण मेहरा, रजिस्ट्रार प्रो अजय कुमार अग्रवाल, स्टाफ़ सेक्रेटेरी विपन झाँजी,चीफ़ वार्ड डॉ हेमंत कुमार, डीन एकेडेमिक्स डॉ संजीव धवन और पी आर ओ प्रो मनीष खन्ना ने पुष्पगुच भेंट करके किया। विनोद कुमार ने अपनी भावनाये व्यक्त करते हुए कहा " आज यहां आकर मुझे ऐसा लग रहा है मानो मैं आज फिर से डी ए वी कॉलेज का स्टूडेंट बन गया हूँ, डी ए वी मेरे दिल के अत्यंत करीब है तथा मेरी कॉलेज लाइफ सबसे खूबसूरत और महत्वपूर्ण रही, कॉलेज में साइंस के स्टूडेंट के तौर पर बिताये मेरे चार साल हमेशा ही मेरी ज़िन्दगी का सबसे अहम हिस्सा रहेंगे। इसी कॉलेज से पढ़कर गवर्नर बनने तक का मैंने सफर तय किया। इन पुरानी यादों को ढूंढने में उनकी सिक्युरिटी में तैनात एएसआई ने मेरी मदद की। इस दौरान विनोद कुमार दुग्गल ने यह भी बताया कि अपने कार्यकाल के दौरान भी वह कई बार पंजाब आए। 2005 में भी पीएपी कैंपस में चीफ गेस्ट बनकर आए थे, लेकिन तब इतना समय नहीं था कि वह अपने कॉलेज जा सकें। इस बार उनके पास समय था और उन्होंने भरपूर फायदा उठाया और अपने कॉलेज की यादों को ताजा किया।
आगे विनोद दुग्गल ने कहा, कॉलेज को सफलता के राह पर आगे बढ़ते देख मेरी रूह को बहुत ख़ुशी मिली और आज की तारीख में कॉलेज में जो भी बुनियादी ढांचे में प्रगतिशील परिवर्तन आयें हैं, उन्हें देख मेरा दिल गर्व से भर गया है। मैंने एक बात कॉलेज के बारे में महसूस कि, एक चीज़ जो कभी नही बदली और न ही कभी बदलेगी वो है कॉलेज के वातावरण में मौजूद सादगी और अपने स्टूडेंट्स के प्रति अत्यंत प्रेम भाव। मुझे कॉलेज में आकर अपने यादें ताज़ा करने का अवसर मिला। इन मूल्यवान यादों को मैं हमेशा अपनी बेमिसाल धरोहर मान कर अपने साथ संजोय रखूँगा।
प्रिंसिपल डॉ एस के अरोड़ा ने विनोद कुमार के आगमन पर कहा " हर कॉलेज के लिए उनके स्टूडेंट्स उनके अनमोल रत्न होते हैं तथा विनोद कुमार जैसे रत्नों के मौजूदगी से दिल न ही सिर्फ प्रसन्न होता है बल्कि दिल में एक गर्व की भावना भी दौड़ उठती है। इनके अनुभव और उनकी कार्यशैली से अवगत होकर मुझे अत्यंत ख़ुशी प्राप्त हुई है। जिस तरह से उन्होंने 50 साल तक सरकार के लिए बेहतरीन काम किया ,वह यही दर्शाता है उन्होंने सही मायने में डी ए वी कॉलेज की नैतिकता और उसके अनुशासन को अपनी ज़िन्दगी में अपनाया है। हमें अपने एल्युमिनी पर गर्व है और कॉलेज के दरवाज़े और हमारे दिल विनोद कुमार दुग्गल के लिए सदैव खुले रहंगे "।