(Date : 19/April/2424)

(Date : 19/April/2424)

मेहर चन्द पॉलीटैक्निक के विद्यार्थियों का रामकृष्ण आश्रम चंडीगढ़ में एक दिवसीय आध्यात्मिक शिविर | बैसाखी मौके बाबा भटोआ साहिब जी दरबार गांव कालरा में सर्व हितकारी के लिए सुखमनी साहिब का पाठ एवं मोतियाबिंद जांच शिविर का आयोजन हुआ | रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने आज ओडिशा तट पर स्वदेशी तकनीक से निर्मित क्रूज मिसाइल की उड़ान का सफल परीक्षण किया | इरेडा का गिफ्ट सिटी कार्यालय हरित हाइड्रोजन और नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन परियोजनाओं को बढ़ावा देगा | ਵੋਟਰਾਂ ਨੂੰ ਕੀਤਾ ਡੋਰ ਟੂ ਡੋਰ ਵੋਟ ਦੇ ਸਦਉਪਯੋਗ ਪ੍ਰਤੀ ਕੀਤਾ ਜਾਗਰੂਕ |

सामाजिक गतिविधयां

पैंथर डिवीजन साइकिलिंग अभियान: पंजाब और हिमाचल प्रदेश की हरि यात्रा

जालंधर (अरोड़ा) :- पर्यावरण संरक्षण के प्रति भारतीय सेना की प्रतिबद्धता को दर्शाने वाली एक उल्लेखनीय पहल में, पैंथर डिवीजन ने 09 अक्टूबर 23 को एक साइकिल ड्राइव शुरू की। यह 10 दिवसीय अभियान पंजाब के कुछ प्रमुख शहरों और हिमाचल प्रदेश में शिवालिक पहाड़ियों के खूबसूरत दृश्यों से होकर गुजरेगा।

"पर्यावरण संरक्षण" पर भारतीय सेना के रुख पर जोर देने के लिए सैनिक शारीरिक सहनशक्ति का प्रदर्शन करते हुए 641 किमी की दूरी तय करेंगे। पर्यावरण-अनुकूल प्रयास वर्ष 2023 के लिए भारत की जी-20 की अध्यक्षता के साथ मेल खाता है, जो सतत विकास के लिए देश की प्रतिबद्धता का प्रतीक है।

अभियान के दौरान, साइकिल चालक मार्ग में रहने वाले बुजुर्गों और बहादुर महिलाओं के साथ भी बातचीत करेंगे, जिससे सौहार्द और सम्मान की भावना पैदा होगी। पैंथर डिवीजन साइकिलिंग अभियान राष्ट्रीय गौरव, पर्यावरण प्रबंधन और शारीरिक कौशल का एक प्रमाण है।

जैव-ऊर्जा अनुसंधान में हालिया प्रगति विषय पर चौथा अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ शुरू

सम्मेलन में नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के सचिव भूपिंदर सिंह भल्ला मुख्य अतिथि के रूप में हुए शामिल 

पराली न जलाने के लिए जागरूक करने वाली वैनों को दी गई हरी झंडी

जालंधर (ब्यूरो) :- सरदार स्वर्ण सिंह राष्ट्रीय जैव ऊर्जा संस्थान ने ‘जैव-ऊर्जा अनुसंधान में हालिया प्रगति’ विषय पर चौथा अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया। सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के सचिव भूपिंदर सिंह भल्ला और विशेष मेहमान के रूप में प्रो. के.के. पंत, निदेशक आई.आई.टी. रूड़की ने भाग लिया। सम्मेलन के उद्घाटन समारोह के दौरान केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा और रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री भगवंत खुबा ने एक वीडियो संदेश के माध्यम से शुभकामनाएं दीं और कहा कि सरदार स्वर्ण सिंह राष्ट्रीय जैव ऊर्जा संस्थान की जैव ऊर्जा क्षेत्र में बहुत विशेष भूमिका है। उन्होंने कहा कि संस्थान द्वारा जैव-ऊर्जा अनुसंधान में हालिया प्रगति विषय पर सम्मेलन के दौरान शोधकर्ताओं, उद्योगपतियों और विशेषज्ञों के एकत्र होने से जैव ऊर्जा के क्षेत्र में और प्रगति होगी।

मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के सचिव भूपिंदर सिंह भल्ला ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में भारत ने आर्थिक क्षेत्र में बहुत तेजी से विकास किया है और बायोएनर्जी का इसमें महत्वपूर्ण स्थान है। उन्होंने कहा कि संस्थान की ओर से आयोजित होने वाले इस सम्मेलन के दौरान जो खास बातें सामने आएंगी, उन्हें अमल में लाने से जैव ऊर्जा के क्षेत्र में नए मील के पत्थर स्थापित होंगे। इस मौके पर जहां भल्ला ने बायो- एंथम  ' जैव हो-जय हो' लॉन्च किया, वहीं पराली न जलाने और उससे बायो एनर्जी बनाने के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए मोबाइल वैन को भी हरी झंडी दिखाई। ये मोबाइल वैन पंजाब के अलग-अलग जिलों में जाकर किसानों को पराली न जलाने के लिए जागरूक करेंगी।

निदेशक आईआईटी रूड़की प्रो. के.के. पंत ने जैव आधारित अर्थव्यवस्था के लिए अनुसंधान और नवाचार पर अपने विचार प्रस्तुत करते हुए बायोमास के थर्मोकेमिकल रूपांतरण में चुनौतियां, बायोमास/कृषि अपशिष्ट का बायोकोल /बायोचार/मृदा खाद में रूपांतरण करने की जानकारी दी। अपनी बातचीत के दौरान उन्होंने बायोमास से हाइड्रोजन योजना पर भी प्रकाश डाला। इस अवसर पर सरदार स्वर्ण सिंह राष्ट्रीय जैव ऊर्जा संस्थान के महानिदेशक डॉ. जी. श्रीधर ने कहा कि इस सम्मेलन के दौरान बायोमास संसाधन प्रबंधन, बायोमास/अपशिष्ट को ऊर्जा में बदलना, जैव-ऊर्जा प्रणाली की मॉडलिंग, बायोरिफाइनरी और बायोहाइड्रोजन आदि से संबंधित तकनीकी सत्र होंगे। उन्होंने बताया कि सम्मेलन के अंतिम दिन प्रतिनिधियों को बायो एनर्जी प्लांट का भ्रमण भी कराया जायेगा। सरदार स्वर्ण सिंह राष्ट्रीय जैव ऊर्जा संस्थान ने 2011 से ‘जैव-ऊर्जा अनुसंधान में हालिया प्रगति ' विषय पर तीन सम्मेलन आयोजित किए हैं। इनमें जैव-ऊर्जा क्षेत्र में अनुसंधान और विकास प्रयास, नीतियां और क्षेत्रीय अनुभव शामिल थे और विद्वानों, उद्योगों और नीति निर्माताओं की उत्साही भागीदारी देखी गई। अब आयोजित होने वाला चौथा सम्मेलन पिछले सम्मेलनों के वैश्विक दायरे का विस्तार करने का प्रयास करेगा। सम्मेलन के दौरान वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अनिल कुमार सरना ने देश-विदेश से आये मेहमानों का धन्यवाद किया।

वार्षिक संयुक्त एचएडीआर अभ्यास 2023-(चक्रवात 2023)

दिल्ली (ब्यूरो) :- वार्षिक संयुक्त एचएडीआर अभ्यास (एजेएचई) संयुक्त कमांडरों के सम्मेलन-2015 के दौरान घोषित माननीय प्रधानमंत्री के निर्देश का परिणाम है। 2015 में अपने पहले संस्करण के बाद से वार्षिक संयुक्त एचएडीआर अभ्यास, चक्रवात ने खुद को एक बहु-एजेंसी प्रयास में बदल दिया है, जिसमें तीनों सेवाओं, अर्धसैनिक बलों के साथ-साथ अनेक आपदा प्रतिक्रिया संगठनों, गैर सरकारी संगठनों, शैक्षणिक संस्थानों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों की भागीदारी शामिल है। 2023 संस्करण सभी हितधारकों के बीच राष्ट्रीय स्तर पर प्रयासों को और अधिक समन्वित करेगा, साथ ही हिंद महासागर क्षेत्र के आठ देशों की भागीदारी भी देखेगा। यह अभ्यास 2016 से भारतीय सेना, भारतीय नौसेना (आईएन) और भारतीय वायु सेना (आईएएफ) द्वारा बारी-बारी से आयोजित किया जाता है। अभ्यास का अंतिम संस्करण आईएएफ द्वारा आगरा में आयोजित किया गया था। अभ्यास का 2023 संस्करण 09 से 11 अक्टूबर 23 तक गोवा में भारतीय नौसेना द्वारा आयोजित किया जा रहा है। मानवीय संकटों और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए सामूहिक और समन्वित प्रभावी प्रतिक्रिया तंत्र विकसित करना महासागरों के लिए भारत की समावेशी परिकल्‍पना- सागर या क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास में सबसे अधिक दिखाई देने वाले तत्वों में से एक है। मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) संचालन भारतीय नौसेना की सौम्य भूमिका में एक प्रमुख घटक है, क्योंकि जलवायु परिवर्तन ने प्राकृतिक आपदाओं के प्रति हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) की अतिसंवेदनशीलता में काफी वृद्धि की है। जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौती इस तेजी से बढ़ते खतरे से निपटने के लिए तटीय आईओआर राज्यों की सीमित क्षमता के कारण और भी बढ़ गई है। इसलिए भारतीय सशस्त्र बलों को क्षेत्र में हमारे मित्रों और भागीदारों को सहायता प्रदान करने के लिए अक्सर बुलाया जाता रहा है, जिससे क्षेत्र में 'प्रथम प्रतिक्रियाकर्ता' बनने की आवश्यकता और हमारे संकल्प को मजबूत किया जा सके। जबकि तीनों सेनाएं किसी आपदा की स्थिति में राहत और सहायता प्रदान करना जारी रखती हैं, एक संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के लिए हमारी तैयारियों और प्रतिक्रिया को और बढ़ाएगा। तीन दिन के लिए नियोजित एजेएचई-23 में एक सेमिनार, एक टेबल-टॉप अभ्यास और एक बहु-एजेंसी क्षमता प्रदर्शन शामिल है। इस अभ्यास में विभिन्न राष्ट्रीय एजेंसियों अर्थात् राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए), राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ), राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (एनआईडीएम), भारतीय सेना, भारतीय नौसेना, भारतीय वायु सेना, तटरक्षक बल, भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी), राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग एजेंसियां (एनआरएसए), राज्य आपदा प्रबंधन एजेंसी (एसडीएमए) और राज्य अग्निशमन सेवा, गोवा, उत्तर और दक्षिण की जिला आपदा प्रबंधन एजेंसी (डीडीएमए), गोवा, भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र     (आईएनसीओआईएस), केंद्रीय जल आयोग (सीडब्‍ल्‍यूसी), रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्‍की) और मित्रवत विदेशी देशों के प्रतिनिधियों की भागीदारी देखी जाएगी। आकस्मिक विषयों जैसे जलवायु परिवर्तन अनुकूलन और आपदा जोखिम न्यूनीकरण के बारे में विचार-विमर्श: व्यावहारिक समाधान, आईओआर में आपदा प्रतिक्रिया: एक सहयोगात्मक दृष्टिकोण और आपदा न्यूनीकरण और प्रतिक्रिया में एनजीओ सहयोग: 09 अक्टूबर 23 को संगोष्ठी के दौरान विषय वस्तु विशेषज्ञों द्वारा एकीकृत दृष्टिकोण अपनाया जाएगा। 10 और 11 अक्टूबर 23 को एक औद्योगिक प्रदर्शन की योजना बनाई गई है जिसमें फिक्की, सेना, आईएन, आईएएफ, आईसीजी, एनडीआरएफ, एसडीएमए और एनएसआरसी द्वारा विभिन्न एचएडीआर उपकरण प्रदर्शित किए जाएंगे। इसके अलावा, 11 अक्टूबर 23 को एक बहु-एजेंसी क्षमता प्रदर्शन आयोजित किया जाएगा, जिसमें बारीकियों और महत्वपूर्ण पाठों को उजागर करने के लिए बचाव और राहत पर अभ्यास का प्रदर्शन किया जाएगा। इस वर्ष के अभ्यास के प्रतीक चिन्ह में सभी भाग लेने वाली एजेंसियों के शिखर और प्रतीक चिन्ह और सभी देशों के झंडों को एक ही इकाई में दर्शाया गया है, जो दर्शाता है कि एचएडीआर सभी एजेंसियों द्वारा संयुक्त और एकीकृत कार्रवाई पर निर्भर करेगा।

8 अक्टूबर को विश्व डिस्लेक्सिया दिवस आयोजित किया गया

दिल्ली (ब्यूरो) :- विश्व डिस्लेक्सिया दिवस का आयोजन प्रतिवर्ष किया जाता है। यह  एक सामान्य शिक्षण विकार है जो किसी व्यक्ति की ठीक से पढ़ने और लिखने की क्षमता को प्रभावित करता है। डिस्लेक्सिया से पीड़ित लोगों के लिए धाराप्रवाह पढ़ना और लिखना चुनौतीपूर्ण कार्य है। डिस्लेक्सिया से पीड़ित व्यक्ति अक्सर तेजी से पढ़ने और लिखने में असमर्थ होते हैं। इस कार्य में उनसे गलतियां हो जाती हैं। डिस्लेक्सिया से पीड़ित व्यक्तियों को पढ़ने, लिखने, शब्दावली और उन कार्यों में कठिनाई हो सकती है जिनमें हाथ-आँख के समन्वय की आवश्यकता होती है। विश्व डिस्लेक्सिया दिवस के आयोजन का उद्देश्य इन मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाना और इस तरह के विकार के प्रबंधन के लिए कार्यप्रणाली और कार्यवाही सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है। इसका उद्देश्य समावेशिता, शिक्षा तक पहुंच और डिस्लेक्सिया से पीड़ित व्यक्तियों को उनके सीखने के प्रयासों में समर्थन देने के लिए प्रभावी रणनीतियों को कार्यरूप में परिणत करने हेतु बढ़ावा देना है।

भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के तहत दिव्यांग व्यक्तियों के सशक्तिकरण विभाग (डीईपीडब्ल्यूडी) देश के दिव्यांग व्यक्तियों के सभी विकास एजेंडे की देखभाल करने वाला नोडल विभाग है। जनता के बीच डिस्लेक्सिया के बारे में जागरूकता बढ़ाने की दृष्टि से, विभाग ने संबद्ध संस्थानों के माध्यम से देश भर में 30 से अधिक स्थानों पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया। इन कार्यक्रमों में वेबिनार, सेमिनार, जागरूकता कार्यक्रम, तीन दिवसीय कार्यशाला, पोस्टर और क्विज़ प्रतियोगिता जैसी गतिविधियां आयोजित की गयीं।

ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਮੈਜਿਸਟ੍ਰੇਟ ਨੇ ਲਗਾਈ ਸ਼ਾਮ 7 ਵਜੇ ਤੋਂ ਸਵੇਰੇ 9 ਵਜੇ ਤੱਕ ਕੰਬਾਈਨਾਂ ਨਾਲ ਝੋਨਾ ਕੱਟਣ ਉੱਪਰ ਪਾਬੰਦੀ

ਪਾਬੰਦੀ ਆਦੇਸ਼ 30 ਨਵੰਬਰ ਤੱਕ ਲਾਗੂ ਰਹਿਣਗੇ, ਕਿਸਾਨ ਕਰਨ ਹਦਾਇਤਾਂ ਦੀ ਇੰਨ ਬਿੰਨ ਪਾਲਣਾ-ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਮੈਜਿਸਟ੍ਰੇਟ ਕੁਲਵੰਤ ਸਿੰਘ

ਮੋਗਾ (ਕਮਲ) :- ਝੋਨੇ ਦੀ ਕਟਾਈ ਦਾ ਸੀਜ਼ਨ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਣ ਵਾਲਾ ਹੈ। ਆਮ ਤੌਰ ਤੇ ਵੇਖਣ ਵਿੱਚ ਆਇਆ ਹੈ ਕਿ ਝੋਨੇ ਕੱਟਣ ਲਈ ਕੰਬਾਈਨਾਂ 24 ਘੰਟੇ ਕੰਮ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ। ਸਵੇਰੇ 9 ਵਜੇ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਝੋਨੇ ਦੀ ਫ਼ਸਲ ਤੇ ਤਰੇਲ ਕਾਫ਼ੀ ਜਿਆਦਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਤਰੇਲ ਕਾਰਣ ਜਿੱਥੇ ਝੋਨੇ ਦੀਆਂ ਮੁੰਜਰਾਂ ਨਾਲੋਂ ਦਾਣੇ ਝੜਦੇ ਨਹੀਂ, ਉਥੇ ਵੱਧ ਨਮੀ ਕਾਰਣ ਫ਼ਸਲ ਦੇ ਦਾਣੇ ਕਾਲੇ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਫ਼ਸਲ ਦੀ ਕੁਆਲਟੀ ਵਿੱਚ ਗਿਰਾਵਟ ਆ ਜਾਂਦੀ ਹੈ। ਇਸ ਨਾਲ ਹੀ ਸ਼ਾਮ 7 ਵਜੇ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਵੀ ਤਰੇਲ ਪੈਣ ਕਾਰਣ ਅਤੇ ਦੇਰ ਰਾਤ ਫਸ਼ਲ ਦੀ ਕਟਾਈ ਕਾਰਣ ਨੁਕਸਾਨ ਹੋਣੇ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ। ਅਜਿਹੇ ਝੋਨੇ ਨੂੰ ਜਦੋਂ ਜਿੰਮੀਦਾਰਾਂ ਵੱਲੋਂ ਮੰਡੀਆਂ ਵਿੱਚ ਲਿਆਂਦਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਨੀ ਨਿਰਧਾਰਤ ਮਾਪਦੰਡਾਂ ਮੁਤਾਬਿਕ ਨਾ ਹੋਣ ਕਰਕੇ ਖਰੀਦ ਏਜੰਸੀਆਂ ਅਜਿਹੀ ਫ਼ਸਲ ਨੂੰ ਖਰੀਖਣ ਤੋਂ ਸੰਕੋਚ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ ਅਤੇ ਖਰੀਦ ਏਜੰਸੀਆਂ ਵੱਲੋਂ ਅਜਿਹੇ ਵੱਧ ਨਮੀਂ ਵਾਲੇ ਝੋਨੇ ਦੀ ਖਰੀਦ ਨਹੀਂ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ। ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਜਿਮੀਦਾਰਾਂ ਵੱਲੋਂ ਮੰਡੀਆਂ ਵਿੱਚ ਵੱਧ ਨਮੀ ਵਾਲਾ ਝੋਨਾ ਲਿਆਉਣ ਕਾਰਣ ਥਾਂ ਦੀ ਘਾਟ ਵੀ ਪੈਦਾ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ, ਜਿਸ ਨਾਲ ਅਮਨ ਕਾਨੂੰਨ ਦੀ ਸਥਿਤੀ ਨੂੰ ਖਤਰਾ ਪੈਂਦਾ ਹੈ।

ਇਨ੍ਹਾਂ ਸ਼ਬਦਾਂ ਦਾ ਪ੍ਰਗਟਾਵਾ ਕਰਦਿਆਂ ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਮੈਜਿਸਟ੍ਰੇਟ-ਕਮ-ਡਿਪਟੀ ਕਮਿਸ਼ਨਰ ਮੋਗਾ ਕੁਲਵੰਤ ਸਿੰਘ ਨੇ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਉਕਤ ਨੂੰ ਧਿਆਨ ਵਿੱਚ ਰੱਖਦੇ ਹੋਏ ਫੌਜ਼ਦਾਰੀ ਜਾਬਤਾ ਸੰਘਤਾ ਦੀ ਧਾਰਾ 144 ਤਹਿਤ ਪ੍ਰਾਪਤ ਅਧਿਕਾਰਾਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰਦੇ ਹੋਏ ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਮੋਗਾ ਹਦੂਦ ਅੰਦਰ ਸ਼ਾਮ 7 ਵਜੇ ਤੋਂ ਸਵੇਰੇ 9 ਵਜੇ ਤੱਕ ਕੰਬਾਈਨਾਂ ਨਾਲ ਝੋਨਾ ਕੱਟਣ ਤੇ ਪਾਬੰਦੀ ਲਗਾਈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ। ਇਹ ਹੁਕਮ 30 ਨਵੰਬਰ, 2023 ਤੱਕ ਲਾਗੂ ਰਹਿਣਗੇ। ਕੁਲਵੰਤ ਸਿੰਘ ਨੇ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਕਿਸਾਨ ਇਨ੍ਹਾਂ ਹੁਕਮਾਂ ਦੀ ਪਾਲਣਾ ਕਰਕੇ ਸਰਕਾਰ ਅਤੇ ਆਪਣੇ ਕੀਮਤੀ ਸਮੇਂ ਦੀ ਬੱਚਤ ਕਰਨ।

भगवान वाल्मीक जी का प्रकटोत्सव 28 अक्तूबर को, जिला प्रशासन ने शुरू की तैयारियां

लोकसभा सदस्य सुशील कुमार रिंकू ने प्रबंधो का लिया जायजा

डिप्टी कमिश्नर ने प्रोग्राम को उचित ढंग से करवाने के लिए विभिन्न विभागों के अधिकारियों को सौंपी जिम्मेदारी

जालंधर (अरोड़ा) :- जिला प्रशासन ने 28 अक्तूबर को मनाए जाने वाले भगवान वाल्मीकि प्रकटोत्सव से एक दिन पहले 27 अक्तूबर को निकलने वाली शोभा यात्रा की तैयारियां शुरू कर दी है, ताकि समागम में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं को कोई असुविधा न हो। लोकसभा सदस्य सुशील कुमार रिंकू ने आज यहां जिला प्रशासकीय कंपलैक्स में डिप्टी कमिश्नर विशेष सारंगल सहित विभिन्न परिषदों, समाज, संगठनों के प्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ एक बैठक दौरान कहा कि भगवान वाल्मीक जी का प्रकटोत्सव पूरी श्रद्धा के साथ मनाया जाएगा और इस संबंधी प्रबंधो में कोई कमी नहीं रहने दी जाएगी। लोकसभा सदस्य ने नागरिक और पुलिस प्रशासन के अधिकारियों से कहा कि वे 21 अक्तूबर को भगवान वाल्मीक जी के प्रकट उत्सव, शोभा यात्रा और वाल्मीकि आश्रम की भव्य तीर्थयात्रा के लिए उचित प्रबंध सुनिश्चित करें ताकि प्रोग्राम में भाग लेने वाले श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की परेशानी न हो। उन्होंने कहा कि समीतियां एवं जिला प्रशासन आपसी तालमेल से कार्य करें ताकि इस महत्वपूर्ण दिन को सफलतापूर्वक करवाया जा सके। इस अवसर पर डिप्टी कमिश्नर विशेष सारंगल ने संबंधित अधिकारियों को आयोजन संबंधी सभी आवश्यक प्रबंध समय पर सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने विभिन्न विभागों के अधिकारियों को जिम्मेदारी सौपी और कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि समागम संबंधी किसी भी प्रकार की कमी न रहे। डिप्टी कमिश्नर ने पंजाब स्टेट पावर कारपोरेशन के अधिकारियों से कहा कि निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के इलावा कार्यक्रम और शोभा यात्रा के मार्ग पर यदि बिजली के तार लटक रहे है तो उन्हें तुरंत ठीक करवाया जाए। बैठक के दौरान स्वास्थ्य विभाग को मैडीकल टीमें तैनात करने तथा फायर विभाग को फायर ब्रिगेड की पर्याप्त व्यवस्था करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने शोभा यात्रा मार्ग की सड़कों की मुरम्मत, पीने के पानी की व्यवस्था, सार्वजनिक शौचालय और चौक के सौंदर्यीकरण का निर्देश देते हुए पुलिस विभाग को यातायात और सुरक्षा के समुचित प्रबंध करने को भी कहा। उन्होंने कहा कि प्रबंध समय से पूरे कर लिए जाए ताकि आयोजन उचित ढंग से संपन्न हो सके। इस अवसर पर डिप्टी कमिश्नर आफ पुलिस जगमोहन सिंह, अतिरिक्त डिप्टी कमिश्नर (ज) मेजर अमित महाजन, चंदन ग्रेवाल, एस.डी.एम. बलबीर राज सिंह, विभिन्न विभागों के अधिकारी और विभिन्न परिषदों, समाज, संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

जिले की मंडियों में रविवार तक कुल 52905 मीट्रिक टन धान की आवक हुई: डिप्टी कमिश्नर

50333 मीट्रिक टन फसल की खरीद

खरीदी गई फसल का किसानों को 91 करोड़ रुपए का भुगतान

जालंधर (अरोड़ा) :- डिप्टी कमिश्नर विशेष सारंगल ने आज बताया कि 8 अक्तूबर तक जिले की मंडियों में कुल 52905 मीट्रिक टन धान की आमद हुई है, जिसमें से 50333 मीट्रिक टन फसल खरीदी जा चुकी है। इस संबंध में अधिक जानकारी देते हुए डिप्टी कमिश्नर ने बताया कि पनग्रेन द्वारा 16527 मीट्रिक टन, मार्कफेड द्वारा 11237 मीट्रिक टन, पनसप द्वारा 18180 मीट्रिक टन, पंजाब स्टेट वेयरहाउस कॉरपोरेशन द्वारा 3881 मीट्रिक टन तथा निजी व्यापारियों द्वारा 508 मीट्रिक टन धान की खरीद की गई है। उन्होंने आगे बताया कि जिला प्रशासन द्वारा खरीदी गई फसल की एक साथ लिफ़्टिंग एवं भुगतान सुनिश्चित किया गया है। उन्होंने कहा कि किसानों को खरीदी गई फसल का 91 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है। किसानों की उपज खरीदने के लिए राज्य सरकार की वचनबद्धता को दोहराते हुए, डिप्टी कमिश्नर ने कहा कि धान की उचित खरीद, लिफ़्टिंग और भुगतान सुनिश्चित करने और उनकी फसलों को मंडियों में बिक्री के लिए लाने के लिए मंडियों में व्यापक प्रबंध किए गए ताकि किसानों को किसी भी प्रकार की परेशानी न हो। डिप्टी कमिश्नर ने किसानों से भी अपील की कि वे सरकार द्वारा निर्धारित नमी सीमा के अनुसार सूखा धान ही मंडियों में लाएं ताकि उनकी फसल बिना किसी देरी के खरीदी जा सके। इसके अलावा उन्होंने किसानों से धान की कटाई के बाद पराली न जलाने की भी अपील की ताकि मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण को पराली जलाने के नकारात्मक प्रभावों से बचाया जा सके।

विद्यार्थियों के लिए कॅरियर मार्गदर्शन सैमीनार का आयोजन

जालंधर (अरोड़ा) :- जिला प्रशासन के नेतृत्व में जिला रोजगार एवं कारोबार ब्यूरो और मॉडल करियर सेंटर ने एक करियर मार्गदर्शन सैमीनार का आयोजन किया, जिसमें छात्रों को विभिन्न क्षेत्रों में करियर की संभावनाओं के बारे में जानकारी दी गई। सैमीनार के दौरान विशेष रूप से उपस्थित अतिरिक्त डिप्टी कमिश्नर-कम-सीईओ जिला रोजगार एवं कारोबार ब्यूरो वरिंदरपाल सिंह बाजवा ने विद्यार्थियों को नागरिक एवं रक्षा सेवाओं के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस पहल का उद्देश्य छात्रों को करियर मार्गदर्शन प्रदान करना है ताकि वे सही पेशा चुनकर अपना भविष्य सुरक्षित कर सकें। इस मौके पर जिला रोजगार एवं कारोबार ब्यूरो के डिप्टी डायरेक्टर गुरमेल सिंह ने विद्यार्थियों को डीबीईई वारा प्रदान की गई सेवाओ से अवगत करवाया। एलपीयू, फगवाड़ा के कैरियर मार्गदर्शन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी वरुण नायर ने उच्च शिक्षा के सभी विकल्पों के बारे में जानकारी दी और जिला शिक्षा कार्यालय के जिला मार्गदर्शन काउंसलर डा. सुरजीत लाल ने विद्यार्थियों को सॉफ्ट स्किल के बारे में जानकारी दी। डिप्टी सीईओ, डीबीईई नवदीप सिंह ने स्वरोजगार, स्टार्टअप आईडीए के बारे में प्रेरित किया। जबकि कैरियर काउंसलर, डीबीईई हरमनदीप सिंह ने विद्यार्थियों को विभिन्न तकनीकी कोर्स के बारे जानकारी दी। यंग प्रोफेशनल, मॉडल करियर सेंटर के शाह फैसल ने नेशनल करियर सेंटर द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं के बारे में जानकारी  सांझा की। सैमीनार में विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया, जिनके करियर संबंधी सवालों के जवाब विशेषज्ञों ने दिए।

रिंकू ने यूनाइटेड स्पोर्ट्स क्लब के 17 विद्यार्थियों को खेड़ा वतन पंजाब दीयां में बेहतरीन प्रदर्शन के लिए किया सम्मानित

जालंधर (अरोड़ा) :- खेड़ा वतन पंजाब दीयां के महा खेल आयोजन में विभिन्न मुकाबलों के तहत 17 मेडल जीतने वाले जालंधर के बस्ती दानिशमंदा स्थित यूनाइटेड स्पोर्ट्स क्लब शिवपुरी के युवा खिलाड़ियों की हौसला अफजाई करते हुए लोकसभा सदस्य सुशील कुमार रिंकू ने कहा कि हमारे युवा पूरे देश में पंजाब का नाम रोशन कर रहे हैं।  उन्होंने कहा कि पंजाब में हुई खेडां वतन पंजाब दियां में युनाइटेड स्पोर्ट्स क्लब शिवपुरी बस्ती दानिशमंदा के बच्चों ने भाग लिया और 17 गोल्ड,  सिल्वर और कांस्य मैडल हासिल किये।  इस उपलब्धि से पूरे जालंधर का नाम रोशन हुआ है जो कि क्लब के लिए एक सम्मान वाली बात है।

रिंकू ने स्पोर्ट्स क्लब को भविष्य में होने वाले खेल आयोजनों में हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया और कहा कि वह अपने युवा खिलाड़ियों को ऐसे ही तैयार करते रहे ताकि आगे चलकर स्पोर्ट्स की फील्ड में हमारे बच्चे सबसे आगे रहें। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान की अगुवाई में पंजाब सरकार भी राज्य में खेलों का स्तर बढ़ने के लिए लगातार प्रयास कर रही है जिसके तहत बड़े-बड़े खेल आयोजन करवाए जा रहे हैं और नई स्पोर्ट्स नीति भी लागू की गई है ताकि पंजाब बच्चे आगे चलकर इस क्षेत्र में बड़ी ऊंचाइयां छू सके। इस दौरान क्लब ने रिंकू का आभार व्यक्त किया जिन्होंने विधायक रहते हुए यहां रेसलिंग  क्लब की शुरुआत करवाई थी। रिंकू ने कहा कि भविष्य में भी वह  क्लब के साथ खड़े रहेंगे।

भारत के पक्षी और उनके संरक्षण के प्रयास: संरक्षण योग्य एक पंखयुक्त विरासत

बिवाश रंजन, अतिरिक्त वन महानिदेशक (वन्यजीव), पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय

जालंधर (ब्यूरो) :- भारत पक्षियों के मामले में एक अनूठी विविधता वाला का देश है। यहां के विविध भौगोलिक इलाकों में  पक्षियों की बहुरंगी प्रजातियां निवास करती हैं। उत्तर में बर्फ से ढके हिमालय से लेकर दक्षिण में पश्चिमी घाट के मनमोहक जंगलों तक, और पश्चिम में राजस्थान के शुष्क रेगिस्तानों से लेकर उत्तर-पूर्व की हरी-भरी आर्द्रभूमि तक, भारत का पक्षी जगत इसके भूगोल की तरह ही विविधताओं से भरा है। स्टेट ऑफ इंडियाज बर्ड्स (एसओआईबी) 2023 रिपोर्ट से यह पता चलता है कि यह देश पक्षियों की 1,300 से अधिक प्रजातियों का निवास-स्थान है और पक्षियों की वैश्विक विविधता के लगभग 12.40 प्रतिशत हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है। पक्षियों की इन 1,353 प्रजातियों में से 78 प्रजातियां (5 प्रतिशत) इस देश में स्थानिक हैं। हालांकि, इस जीवंत झुंड का भविष्य तेजी से अंधकारमय हो रहा है  क्योंकि इनके निवास स्थान के विनाश, प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन उनके अस्तित्व को खतरे में डाल रहे हैं।

 

इस क्षेत्र में पक्षियों को वर्तमान में कई प्रकार के खतरों का सामना करना पड़ रहा है। इनमें से सबसे महत्वपूर्ण खतरा निवास स्थान की हानि और ह्रास है। इसके बाद मानव और वन्यजीवों के बीच का संघर्ष है। आवासों की क्षति एवं हानि के मूल कारण जटिल व आपस में जुड़े हुए हैं। इन कारणों में शहरीकरण, ढांचागत विकास, वर्तमान कृषि पद्धतियां, अत्यधिक दोहन के कारण प्राकृतिक वन आच्छादन को खतरा, संसाधनों की उच्च विदेशी मांग और संरक्षण समर्थक नीतियों का अपर्याप्त कानूनी प्रवर्तन शामिल हैं। जलवायु परिवर्तन एक और मंडराता हुआ खतरा है - मौसम के बदलते ढर्रे (पैटर्न), प्रवासन के बदले हुए मार्ग और भोजन की उपलब्धता में व्यवधान पक्षियों की कई प्रजातियों के अस्तित्व को प्रभावित कर रहे हैं। बढ़ता तापमान पक्षियों के प्रजनन और घोंसला बनाने के पैटर्न को प्रभावित कर रहा है। परिणामस्वरूप, कई पक्षियों के लिए अनुकूलन करना चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है। आक्रामक प्रजातियों का समावेश एवं प्रसार भी संसाधनों के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ाकर और इकोसिस्टम में परिवर्तन करके देशज पक्षियों की आबादी पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

इन खतरों से निपटने के लिए भारत ने पक्षियों के संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित 10-वर्षीय योजना – “देश में पक्षियों की विविधता, उनके इकोसिस्टम, आवास और भौगोलिक परिदृश्य के संरक्षण के लिए दूरदर्शी परिप्रेक्ष्य योजना (2020-2030)” – का उद्देश्य भारत में पक्षियों और उनके आवासों के संरक्षण से संबंधित कार्रवाई को आगे बढ़ाना है। यह कदम भारत की राष्ट्रीय वन्यजीव कार्य योजना (2017 से 2031 तक) के अतिरिक्त है। इस कार्य योजना में भी पक्षियों एवं उनके आवासों की सुरक्षा से जुड़े कई संरक्षण कार्य शामिल हैं। यह योजना पक्षियों की दुर्लभ एवं लुप्तप्राय प्रजातियों की रक्षा के लिए छोटी, मध्यम और दीर्घकालिक योजनाओं की एक श्रृंखला का प्रस्ताव करती है, गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजातियों की पुनर्प्राप्ति के लिए कार्यक्रम शुरू करती है, उनकी घटती हुई आबादी को थामने के लिए भौगोलिक परिवेश से संबंधित दृष्टिकोण पेश करती है। यह योजना इस तथ्य को भी रेखांकित करती है कि ग्रीन हाउस गैसों (जीएचजी) के उत्सर्जन के स्तर में बढ़ोतरी करने वाली मानवजनित गतिविधियां वैश्विक स्तर पर पर्यावरण पर भी प्रभाव डाल रही हैं। और इसीलिए,  वह पक्षिजात (एविफॉन) पर ऐसे प्रभावों को कम व नियंत्रित करने के लिए वैज्ञानिक उपायों का आहवान करती है। भारत ने पक्षियों के महत्वपूर्ण प्राकृतिक वासों की सुरक्षा के प्रयासों को हमेशा प्राथमिकता दी है। आर्द्रभूमि की बहाली, पुनर्वनीकरण पहल और जैविक कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना कुछ ऐसी रणनीतियां हैं, जिनका उपयोग किया जा रहा है। इसके अलावा, भारत के पक्षियों की सुरक्षा के लिए अवैध शिकार एवं अवैध वन्यजीव व्यापार के खिलाफ सख्त कानून आवश्यक हैं। भारत ने 2016 में 2017-2031 की अवधि के लिए तीसरी राष्ट्रीय वन्यजीव कार्य योजना का अनावरण किया था, जिसमें वन्यजीवों के संरक्षण हेतु भविष्योन्मुखी रोडमैप का विवरण दिया गया है। यह कार्य योजना इस अर्थ में अनूठी है कि इसमें पहली बार भारत ने वन्यजीवों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से संबंधित चिंताओं को पहचाना गया है और इनकी रोकथाम एवं अनुकूलन के लिए आवश्यक कार्यों को वन्यजीव प्रबंधन योजना की प्रक्रियाओं में समन्वित करने पर जोर दिया है। यह कार्य योजना इकोलॉजी की दृष्टि से मूल्यवान सभी वन्यजीवों के संरक्षण हेतु “भौगोलिक परिदृश्य से संबंधित दृष्टिकोण” को अपनाती है। भारत के पक्षियों की विविधता भरी आबादी इस देश की प्राकृतिक समृद्धि का प्रमाण है। हालांकि, इन खूबसूरत पक्षियों को निवास स्थान के नुकसान से लेकर जलवायु परिवर्तन जैसे कई खतरों का सामना करना पड़ रहा है। उनके भविष्य की सुरक्षा के लिए संरक्षण के प्रयास आवश्यक हैं। संरक्षित क्षेत्रों, कानूनी उपायों, आवास बहाली और जन-जागरूकता के माध्यम से, भारत अपनी पंखयुक्त विरासत की रक्षा के लिए अथक प्रयास कर रहा है। प्रत्येक व्यक्ति इन प्रयासों को समर्थन देकर और उनमें भागीदारी करके अपना योगदान दे सकता है ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए भारत के आकाश में अनमोल रंग-बिरंगे पक्षियों और उनके कोलाहल का बने रहना सुनिश्चित हो सके।

1 2 3 4 5
  • About Us

    Religious and Educational Newspaper of Jalandhar which is owned by Sarv Sanjha Ruhani Mission (Regd.) Jalandhar