(Date : 25/April/2424)

(Date : 25/April/2424)

मेरी मां ने भी प्रियंका गांधी की मां की तरह अपने मंगलसूत्र की कुर्बानी दी: विधायक विक्रमजीत सिंह चौधरी | सेंट सोल्जर ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के विद्यार्थियों ने जे.ई.ई मेन परीक्षा में अपने ग्रुप का नाम रोशन किया | के.एम.वी. में वैल्यू एडेड सोशल आउटरीच प्रोग्राम | इनोसेंट हार्ट्स के छात्रों का जे.ई.ई मेन्स-2024 में उत्कृष्ट प्रदर्शन | एपीजे कॉलेज ऑफ फाइन आर्टस जालंधर के विद्यार्थियों ने निःशुल्क सौंदर्य और त्वचा देखभाल समाधान सीखे |

सामाजिक गतिविधयां

आरईसी लिमिटेड ने रेल विकास निगम लिमिटेड के साथ समझौता किया

अगले 5 वर्षों में 35,000 करोड़ रुपये तक की मल्टी-मॉडल अवसंरचना परियोजनाओं को निधि उपलब्ध 

दिल्ली (ब्यूरो) :- आरईसी लिमिटेड ने 35,000 करोड़ रुपये तक की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है। इन परियोजनाओं को अगले 5 वर्षों में आरवीएनएल पूरा करेगा। इन परियोजनाओं में मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स हब परियोजनाएं, रेल बुनियादी ढांचा परियोजनाएं, सड़क, बंदरगाह और मेट्रो परियोजनाएं शामिल हैं। आरईसी के निदेशक (वित्त) अजॉय चौधरी और आरवीएनएल के निदेशक (संचालन) राजेश प्रसाद ने आरईसी के सीएमडी वीके देवांगन, आरवीएनएल के निदेशक (वित्त) संजीब कुमार, आरवीएनएल की डीपीई अनुपम बान, और आरईसी तथा आरवीएनएल के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। ऊर्जा मंत्रालय के तहत 1969 में स्थापित महारत्न सीपीएसई- आरईसी लिमिटेड ऊर्जा-बुनियादी ढांचा क्षेत्र के लिए दीर्घकालिक ऋण और अन्य वित्त उत्पाद प्रदान करता है जिसमें उत्पादन, ट्रांसमिशन, वितरण, नवीकरणीय ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहन, बैटरी स्टोरेज और ग्रीन हाइड्रोजन जैसी नई प्रौद्योगिकियां शामिल हैं। आरईसी ने हाल ही में गैर-विद्युत अवसंरचना क्षेत्र में भी विविधता ला दी है, जिसमें सड़क और एक्सप्रेसवे, मेट्रो रेल, हवाई अड्डे, आईटी संचार, सामाजिक और वाणिज्यिक अवसंरचना (शैक्षिक संस्थान, अस्पताल), बंदरगाह तथा स्टील और रिफाइनरी जैसे विभिन्न अन्य क्षेत्र के लिए इलेक्ट्रो-मैकेनिकल (ई एंड एम) कार्य शामिल हैं। आरईसी की ऋण पुस्तिका के अनुसार, आरईसी ने 4,74,275 करोड़ रुपये से अधिक के ऋण दिए हैं। आरवीएनएल, रेल मंत्रालय के अधीन "अनुसूची 'ए' नवरत्न" केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम है, जो भारतीय रेलवे की लगभग 30 प्रतिशत बुनियादी ढांचा आवश्यकताओं को पूरा करता है और पीपीपी मॉडल के तहत बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के कार्यान्वयन में भी अग्रणी रहा है। आरवीएनएल मुख्य रूप से रेलवे परियोजनाओं पर काम करता है और इसने सड़क, बंदरगाह, सिंचाई तथा मेट्रो परियोजनाओं में भी काम करना शुरू किया है, जिनमें से कई का रेलवे के बुनियादी ढांचे के साथ किसी न किसी तरह का जुड़ाव है।

उत्तर पूर्वी क्षेत्र में कृषि-बागवानी क्षेत्र का विकास

उत्तर पूर्वी क्षेत्रीय कृषि विपणन निगम लिमिटेड (एनईआरएएमएसी) ने अपने अम्ब्रेूला ब्रांड 'एन ई फ्रेश' के तहत 140 मीट्रिक टन से अधिक उपज खरीदी

लगभग 30 स्थानीय उद्यमी/एमएसएमई अपने प्रोसेस्ड  उत्पादों की ब्रांडिंग और विपणन के लिए वर्ष 2023 में एनईआरएएमएसी से जुड़े हैं

एनईआरएएमएसी ने जीआई टैग वाले उत्पादों के विपणन के लिए ब्रांड 'एनईआरएएमएसी प्रीमियम' लॉन्च किया  

उत्तर पूर्व बेंत और बांस विकास परिषद (एनईसीबीडीसी) ने असम के तीन जिलों में 900 हेक्टेेयर भूमि में वृक्षारोपण का कार्य पूरा किया, जिससे 750 किसान लाभान्वित हुए

एनईसीबीडीसी ने बेंत और बांस में 21 प्रशिक्षण/कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए और 463 से अधिक व्यक्तियों को प्रशिक्षित किया

दिल्ली (ब्यूरो) :- उत्तर पूर्वी क्षेत्रीय कृषि विपणन निगम लिमिटेड (एनईआरएएमएसी) उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय के तहत एक सार्वजनिक उपक्रम है। यह इस क्षेत्र के किसानों/उत्पादकों को उनकी उपज के लाभकारी मूल्य प्राप्त कराने के साथ-साथ क्षेत्र की कृषि, खरीद, प्रोसेसिंग और विपणन बुनियादी ढांचे को बढ़ाने में भी सहायता प्रदान करता है। एनईआरएएमएसी ने अपने अम्ब्रेेला ब्रांड 'एन ई फ्रेश' के तहत भी वर्ष 2023 में अनानास, एवोकैडो, काले चावल, काजू, बड़ी इलायची, दालचीनी और काली मिर्च आदि की 140 मीट्रिक टन से अधिक उपज खरीदी है। इसने ताजा अनानास और अन्य सब्जियों के लिए बाजार सम्पचर्क भी प्रदान किया है। एनईआरएएमएसी के पास खुदरा क्षेत्र में 130 से अधिक उत्पादों की उत्पाद श्रृंखला है। लगभग 30 स्थानीय उद्यमी/एमएसएमई अपने प्रोसेस्ड  उत्पादों की ब्रांडिंग और विपणन के लिए एनईआरएएमएसी से जुड़े हैं। खुदरा उत्पादों का विपणन सात शहरों/कस्बों में स्थित एनईआरएएमएसी के 12 स्टालों/खुदरा दुकानों के माध्यम से किया जाता है। इसमें कामाख्या और दीमापुर रेलवे स्टेशनों पर स्थित ‘एक स्टेशन एक उत्पाद (ओएसओपी)’ वाले दो स्टॉल भी शामिल हैं।

एनईआरएएमएसी ने जीआई टैग वाले उत्पादों के विपणन के लिए 'एनईआरएएमएसी प्रीमियम' ब्रांड भी लॉन्च किया है। एनईआरएएमएसी ने वर्ष के दौरान सभी 13 जीआई पंजीकृत कृषि-बागवानी उत्पादों के लिए उत्तीर-पूर्व क्षेत्र (एनईआर) के 1308 किसानों को उपयोगकर्ता प्राधिकार पंजीकरण की सुविधा प्रदान की है। यह उत्त र-पूर्व क्षेत्र के कृषि-बागवानी क्षेत्र के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की "10,000 किसान उत्पादन संगठनों (एफपीओ) का गठन और संवर्धन" योजना के तहत 15,500 किसानों को शामिल करते हुए पूरे उत्त0र-पूर्व क्षेत्र (एनईआर) में 205 एफपीओ का गठन किया गया है। एनईआरएएमएसी ने 17 कार्यक्रमों में भाग लिया/आयोजित किया और लगभग 2000 किसानों/उद्यमियों को कवर किया। वर्ष के दौरान, अगरतला में एनईआरएएमएसी का काजू प्रोसेसिंग प्लां ट (सीपीपी) का पुनरूद्धार हुआ और इसने कार्य शुरू किया। बायर्निहाट, मेघालय स्थित एकीकृत अदरक प्रोसेसिंग प्लांट (आईजीपीपी) का भी पीपीपी मोड के तहत पुनरूद्धार किया गया।

उत्तर पूर्व बेंत और बांस विकास परिषद (एनईसीबीडीसी) ने असम के तीन जिलों में 900 हेक्टेयर में वृक्षारोपण पूरा किया, जिसके तहत 3.30 लाख पौधे लगाए गए और इससे 750 किसान लाभान्वित हुए। एनईसीबीडीसी की मुख्य गतिविधियां क्षमता निर्माण, कौशल उन्नयन और प्रशिक्षण हैं। इस अवधि के दौरान, एनईसीबीडीसी ने 21 प्रशिक्षण/कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए और 463 से अधिक व्यक्तियों को बेंत और बांस में प्रशिक्षित किया है। पूर्वोत्तर परिषद (एनईसी), उत्तोर-पूर्व क्षेत्र विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित नागालैंड के सोविमा गांव, दीमापुर में बांस आधारित शिल्प एकाग्रता केंद्र (परियोजना लागत 448.46 लाख रूपए) का कार्य पूरा हो गया और नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो द्वारा इसका उद्घाटन किया गया। 22 नवम्बर 2023 को  अनेक गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में इसका उद्घाटन किया। यह केंद्र घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार के लिए नागालैंड के पारंपरिक और आधुनिक हथकरघा और हस्तशिल्प पर ध्यान केंद्रित करेगा। असम और मणिपुर के एनईसीबीडीसी क्लस्टरों के कारीगरों को लगभग 115 व्यावसायिक स्वास्थ्य सुरक्षा किट भी वितरित किए गए हैं।

राज्यसभा सदस्य डी.पी. वत्स ने ग्राम लाडपुर एवं कंजारी में आयोजित विकसित भारत संकल्प यात्रा को संबोधित किया

विकसित भारत संकल्प यात्रा के माध्यम से लोगों को मिल रहा भारत सरकार की योजनाओं का लाभ: डी.पी. वत्स

दिल्ली (ब्यूरो) :- विकसित भारत संकल्प यात्रा के तहत माननीय राज्यसभा सांसद डी.पी.वत्स ने फतेहगढ़ साहिब जिले के लाडपुर और कंजारी गांवों के निवासियों को संबोधित किया और कहा कि इस यात्रा का मुख्य  उद्देश्य भारत सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं को गांव-गांव तक पहुंचाना है। इस मौके पर उन्होंने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना और जल जीवन मिशन-हर घर जल आदि योजनाओं के बारे में भी जानकारी साझा की। गौरतलब है कि यह यात्रा फतेहगढ़ साहिब समेत पंजाब के सभी जिलों में चल रही है। इसके माध्यम से केंद्र सरकार की विभिन्न प्रमुख योजनाओं के बारे में जागरूकता पैदा की जा रही है और पात्र लाभार्थियों को मौके पर ही इन योजनाओं से जोड़ने के प्रयास किये जा रहे हैं। कार्यक्रम स्थल पर एलईडी स्क्रीन के साथ एक संकल्प यात्रा वैन भी मौजूद थी, जिसमें देश की सम्पूर्ण प्रगति को दर्शाते प्रधानमंत्री के रिकॉर्ड किए गए भाषणों, लाभार्थियों की कहानियों, पैम्फलेट, कैलेंडर और अन्य पुस्तकों के रूप में जागरूकता सामग्री रखी गई थी।

इस अवसर पर विभिन्न विभागों द्वारा बूथ भी लगाए गए ताकि क्षेत्रवासी मौके पर ही योजनाओं का लाभ उठा सकें। इस अवसर पर उपस्थित सभी लोगों को विकसित भारत की शपथ भी दिलाई गई। इस अवसर पर कृषि विकास को दर्शाने वाला ड्रोन भी प्रदर्शित किया गया। इसके तहत जैविक खेती का अभ्यास करने वाले किसानों के साथ रचनात्मक बातचीत के साथ-साथ दूरगामी सोच को बढ़ावा देने का लक्ष्य भी तय किया गया है। इसके साथ ही जनकल्याणकारी योजनाओं के बारे में लोगों को जागरूक किया गया। विकसित भारत संकल्प यात्रा भारत सरकार की एक व्यापक पहल है। बहुमुखी विकास परिप्रेक्ष्य पर आधारित इस यात्रा के माध्यम से देश के हर कोने में सरकारी योजनाओं का लाभ शत-प्रतिशत मिले, इसके लिए निरंतर प्रयास किए गए हैं।

पूर्वोत्तर क्षेत्र में तकनीकी बदलाव- नवाचार के माध्यम से विकास को गति

दिल्ली (ब्यूरो) :- एक दशक पहले, विशाल वन क्षेत्र और भूमि से घिरी भौगोलिक स्थिति के साथ पूर्वोत्तर क्षेत्र की चुनौतीपूर्ण स्थलाकृति को क्षेत्र के विकास और परिवहन संपर्क के लिए एक प्राकृतिक बाधा के रूप में माना जाता था। दस साल बाद, पूर्वोत्तर क्षेत्र के जिरीबाम-इम्फाल में दुनिया का दूसरा सबसे ऊंचा रेलवे घाट पुल एक जीवंत तकनीकी चमत्कार है, जो स्थलाकृति की चुनौतियों के बावजूद निर्बाध परिवहन संपर्क की सुविधा प्रदान करता है। 2014 के बाद से, क्षेत्र की वास्तविक क्षमता कालाभ उठाने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में 5 लाख करोड़ से अधिक खर्च किए गए हैं। प्रौद्योगिकी और डिजिटलीकरण पूर्वोत्तर क्षेत्र के समग्र विकास की रणनीति के अनिवार्य हिस्से बन गए हैं, जिनसे इस पहल को और गति मिली है। सार्वजनिक सेवा सुविधा व शासन से लेकर युवा और उद्यम तक, प्रौद्योगिकी का व्यापक उपयोग पूर्वोत्तर भारत के अमृत काल में एक नई क्रांति का वादा कर रहा है। मजबूत अवसंरचना सुनिश्चित करने के लिए, सड़कों के निर्माण में नवीनतम तकनीक का प्रयोग अनिवार्य कर दिया गया है। इससे प्रतिकूल मौसम की स्थिति में भी सड़कें अधिक सुदृढ़ रहेंगी। इसके अलावा, उत्तर पूर्व अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के तत्वावधान में सभी राज्यों ने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए कृषि और संबद्ध क्षेत्र; आपदा प्रबंधन; वन, पारितंत्र और पर्यावरण; जल संसाधन प्रबंधन; चिकित्सा और स्वास्थ्य; योजना और विकास तथा  परिवहन संचार के क्षेत्र में कार्य योजनाएं तैयार कीं हैं। कृषि और बागवानी इस क्षेत्र के दो सबसे संभावना वाले क्षेत्र हैं, जिनमें आर्थिक विकास और आजीविका सृजन की अपार संभावनाएं हैं। अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग भू-क्षेत्र व बागवानी अवसंरचना को मापने, स्थल उपयुक्तता के मूल्यांकन, किसानों के लिए मोबाइल ऐप आदि के लिए किया जा रहा है। पूर्वोत्तर भारत के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी कार्यक्रम (एसटीआईएनईआर), जो एनईआर में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए उत्तर-पूर्वी परिषद (एनईसी) के तहत एक समर्पित योजना है, के माध्यम से 600 से अधिक उद्यमियों, हजारों किसानों और कारीगरों को विभिन्न प्रौद्योगिकियों से लाभ हुआ है। उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय परियोजनाओं की निगरानी के लिए भी प्रौद्योगिकी का गहनता से उपयोग कर रहा है। लगभग सभी परियोजना स्थलों को जियो-टैग किया गया है और एक परियोजना निगरानी पोर्टल लॉन्च किया गया है। डिजिटल नवाचार परियोजनाओं के त्वरित कार्यान्वयन और कुशल निगरानी में मदद कर रहा है। पहली बार पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय ने राज्य सरकारों के साथ सहज सहयोग के लिए सभी राज्यों में अपनी क्षेत्रीय इकाइयां स्थापित की हैं। क्षेत्रीय इकाइयों के लिए एक मोबाइल ऐप विकसित किया जा रहा है, जिसके माध्यम से इकाइयां परियोजनाओं के तेजी से कार्यान्वयन और राज्य सरकार तथा केंद्रीय एजेंसियों के साथ बेहतर समन्वय सुनिश्चित करेंगी। स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में, टेलीमेडिसिन और मोबाइल डायग्नोस्टिक्स के माध्यम सेडिजिटल उपायों का समन्वय चिकित्सा सेवाओं को सुलभ बनाने की दिशा में क्रांतिकारी बदलाव लाने की क्षमता रखता है। धरातल पर किए जाने वाले एक महत्वपूर्ण विकास में उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय (डोनर) और टाटा ट्रस्ट के सहयोगात्मक प्रयास शामिल हैं। इन सहयोगात्मक प्रयासों का लक्ष्य सभी पूर्वोत्तरराज्यों में अत्याधुनिक कैंसर अस्पताल स्थापित करना है। डोनर ने पहले ही गुवाहाटी में उच्च तकनीक वाले डॉ. बी. बोरूआ कैंसर संस्थान के लिए पीएम-डिवाइन पहल के तहत 129करोड़ रुपये का पर्याप्त अनुदान आवंटित किया है। इसके अलावा, 5जी आधारित स्वास्थ्य अनुप्रयोगों को इस क्षेत्र के सभी राज्यों में शुरू किया गया है ताकि घर-घर निदान, टेलीमेडिसिन आदि जैसी सुविधाओं को संभव बनाया जा सके। इन उपलब्धियों में नईकड़ी जोड़ते हुए, असम के गुवाहाटी में एक अत्याधुनिक 3डी प्रिंटिंग सेंटर ऑफ एक्सीलेंस का उद्घाटन किया गया हैजो स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में तकनीकी प्रगति की दिशा में एक महत्वपूर्ण छलांग है। तकनीकी प्रगति से इस क्षेत्र के प्रतिभाशाली व कुशल युवाओं के लिए नए रास्ते खुलने की उम्मीद है। हाल ही में, हमने पूर्वोत्तर क्षेत्र के सभी राज्यों में भारत की पहली 5-जी प्रशिक्षण प्रयोगशालाएं शुरू कीं। ये प्रयोगशालाएं डिजिटल खाई को पाटने और भविष्य के अनुकूल कौशल हासिल करने में युवाओं कीसहायता करेंगी। सिक्किम और असम में 75सरकारी स्कूलों और 4जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों (डीआईईटी) में स्मार्ट वर्चुअल क्लासरूम सुविधाएं स्थापित करके टेली-एजुकेशन की एक सफल परियोजना क्रियान्वित की गई है। इस पहल का प्राथमिक उद्देश्य इस इलाके के दूरदराज और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले विद्यार्थियों के लिए शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाना है। डोनर भविष्य में ऐसी और पहलों को वित्तपोषित करेगा। प्रौद्योगिकी के नए क्षेत्रों में उभरते उद्यमियों की अगली कतार तैयार करने हेतु एमईआईटीवाईदेशभर में विशिष्ट डोमेन से जुड़े उत्कृष्टता केन्द्र भी स्थापित कर रहा है। इस क्षेत्र के सभी आठराज्यों की राजधानियों में स्वास्थ्य सेवा, कृषि में आईओटी, ग्राफिक डिज़ाइन, गेमिंग, जीआईएसआदि से संबंधित उत्कृष्टता केन्द्रखोले जा रहे हैं। यह क्षेत्र जल्द ही शुरू होने वाले पूर्वोत्तर के लिए राष्ट्रीय डेटा सेंटर से भी लाभान्वित होने के लिए तैयार है। कुल 348 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जा रहायह डेटा सेंटर इस क्षेत्र की डिजिटलीकरण क्षमता को बढ़ाएगा, सभी क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा और सभी क्षेत्रों में सेवाओं की आपूर्ति को सुदृढ़ करेगा। हाल के वर्षों में, पूर्वोत्तरने डिजिटल सुविधाओं को अपनाने की दिशा में काफी संभावनाएं दर्शायी हैं। पूर्वोत्तर क्षेत्र (एनईआर) में, 47प्रतिशतलोगों के पास स्मार्टफोन हैं, जो 48प्रतिशतके राष्ट्रीय औसत लगभग बराबर है। दिलचस्प बात यह है कि पूर्वोतर क्षेत्र में मोबाइल और बैंक खातों का लिंकेज भी 86प्रतिशतके राष्ट्रीय औसत केबराबर है। हमसामान्य सेवा केंद्रों के विकास, आधार की पहुंच में वृद्धि और महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण व भागीदारी को बढ़ावा देने हेतु इस अवसर का उपयोग करके इसका लाभ उठाने के लिए विभिन्न गतिविधियों की रणनीति बना रहे हैं। देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र के पास प्रौद्योगिकी के उपयोग के माध्यम से अपने विकास को गति देने का जबरदस्त अवसर है। माननीय प्रधानमंत्री के डिजिटल इंडिया के दृष्टिकोण के अनुरूप, नीति निर्माताओं, व्यवसाय जगततथा व्यक्तियों को एक साथ आना चाहिए और इस अवसर का लाभ उठाने तथा व्यापक जन कल्याण के उद्देश्य से इसे अपनाने के लिए प्रभावी ढंग से सहयोग करना चाहिए। निजी क्षेत्र को सक्रिय रूप से अपने कामकाज में प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने के अवसरों की तलाश करनी चाहिए और अपनी दक्षता एवं प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने हेतु डिजिटलीकरण, स्वचालन और डेटा विश्लेषण को अपनाना चाहिए। पूर्वोत्तर क्षेत्र में हो रहे इस बदलाव का हिस्सा बनने का यह एक रोमांचक समय है और इस क्षेत्र को तकनीकी-नवाचार और तकनीक-आधारित उद्यमिता के पावरहाउस के रूप में स्थापित करने के प्रयास जारी हैं।

विकसित भारत संकल्प यात्रा लाखों लोगों को सशक्त बना रही है: हर कोने तक पहुंच रही है, हर जीवन को छू रही है

1.64 करोड़ नागरिकों को आयुष्मान भारत स्वास्थ्य कवरेज प्राप्त हुआ, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत 9.47 लाख से अधिक नामांकित, 'माय भारत' में 27.31 लाख युवा शामिल

दिल्ली (ब्यूरो) :- आउटरीच गतिविधियों के माध्यम से जागरूकता बढ़ाने और भारत सरकार द्वारा शुरू की गई विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को पूरा करने के लिए विकसित भारत संकल्प यात्रा पूरे देश में गति पकड़ रही है। इस यात्रा को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 नवंबर, 2023 को खूंटी, झारखंड से देश भर के विभिन्न स्थानों से एक साथ लॉन्च की गई कई सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) वैन के साथ हरी झंडी दिखाई थी। यात्रा का लक्ष्य 25 जनवरी 2024 तक देश भर में 2.60 लाख से अधिक ग्राम पंचायतों और 4000 से अधिक शहरी स्थानीय निकायों को कवर करना है। यह यात्रा सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के बारे में जागरूकता पैदा करते हुए देश के कोने-कोने तक पहुंच गई है। यह पहल सुनिश्चित करती है कि ये सामाजिक कल्याण कार्यक्रम देश के प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचें,  यहाँ तक कि सबसे दूरस्थ व्यक्ति तक भी। यात्रा के हिस्से के रूप में, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना नामांकन, माय भारत स्वयंसेवक पंजीकरण, आयुष्मान कार्ड का वितरण जैसी विभिन्न ऑन-स्पॉट सेवाएं भी प्रदान की जा रही हैं। यात्रा के दौरान बड़ी संख्या में नागरिकों ने विभिन्न सरकारी योजनाओं में अपनी उल्लेखनीय भागीदारी प्रदर्शित की है। इस पूरी यात्रा के दौरान लोगों को अपने उचित विशेषाधिकारों का प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

यात्रा के दौरान, 9.47 लाख से अधिक लोगों को प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) के तहत खाना पकाने के स्वच्छ ईंधन तक पहुंच प्रदान की गई , जिससे परिवारों को धुएं से भरी रसोई से मुक्ति मिली। 1.64 करोड़ से अधिक आयुष्मान कार्डों का वितरण यह सुनिश्चित कर रहा है कि नागरिकों को प्रति परिवार प्रति वर्ष 5 लाख रुपये का व्यापक स्वास्थ्य कवर मिले। यात्रा के हिस्से के रूप में, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीवाई) ने 18.15 लाख से अधिक नागरिकों के लिए दुर्घटना बीमा प्रदान किया । 10.86 लाख से अधिक व्यक्तियों ने प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई) का लाभ उठाया है , जो जीवन बीमा प्रदान करती है। ये दोनों योजनाएं पूरे भारत में वित्तीय समावेश को आगे बढ़ा रही हैं। इसके अतिरिक्त, यात्रा के दौरान 6.79 लाख से अधिक स्ट्रीट वेंडरों को प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर आत्मनिर्भर निधि (पीएम स्वनिधि) के तहत कार्यशील पूंजी ऋण दिया गया। 'माय भारत' को अपनाते हुए, 27.31 लाख से अधिक युवाओं ने अपना पंजीकरण कराया, जो विकसित भारत संकल्प यात्रा के ढांचे के दायरे में जुड़ाव की एक बड़ी नई लहर का प्रतीक है।

ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਤੀਰਥ ਯਾਤਰਾ ਸਕੀਮ ਤਹਿਤ ਸ੍ਰੀ ਆਨੰਦਪੁਰ ਸਾਹਿਬ ਤਲਵੰਡੀ ਸਾਬੋ ਨੈਣਾ ਦੇਵੀ ਧਾਰਮਿਕ ਸਥਾਨਾਂ ਲਈ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਬੱਸਾਂ ਰਵਾਨਾ

ਸਕੀਮ ਦਾ ਲਾਭ ਲੈਣ ਲਈ ਸ਼ਰਧਾਲੂ ਆਪਣੀ ਅਗਾਊਂ ਰਜਿਸਟ੍ਰੇਸ਼ਨ ਬਣਾਉਣ ਯਕੀਨੀ

ਮੋਗਾ (ਕਮਲ) :- ਪੰਜਾਬ ਸਰਕਾਰ ਦੀ 'ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਤੀਰਥ ਯਾਤਰਾ ਸਕੀਮ' ਤਹਿਤ ਜਿਲ੍ਹਾ ਮੋਗਾ ਦੇ ਸ਼ਰਧਾਲੂ ਵੱਡੀ ਗਿਣਤੀ ਵਿੱਚ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਬੱਸਾਂ ਰਾਹੀਂ ਧਾਰਮਿਕ ਸਥਾਨਾਂ ਦੇ ਮੁਫ਼ਤ ਦਰਸ਼ਨ ਕਰ ਰਹੇ ਹਨ। ਸਕੀਮ ਤਹਿਤ ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਬੱਸਾਂ ਵਿੱਚ ਸ਼ਰਧਾਲੂਆਂ ਲਈ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਪ੍ਰਬੰਧ ਕੀਤੇ ਗਏ ਹਨ। ਮੁਫਤ ਖਾਣਾ, ਰਹਿਣ - ਸਹਿਣ ਤੇ ਸ਼ਰਧਾਲੂ ਕਿੱਟਾਂ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਟੂਰਿਸਟ ਗਾਈਡ ਦੀਆਂ ਸਹੂਲਤਾਂ ਮੁਫਤ ਮੁਹੱਈਆ ਕਰਵਾਈਆਂ ਜਾ ਰਹੀਆਂ ਹਨ। ਜਾਣਕਾਰੀ ਦਿੰਦਿਆਂ ਡਿਪਟੀ ਕਮਿਸ਼ਨਰ ਮੋਗਾ ਕੁਲਵੰਤ ਸਿੰਘ ਨੇ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਅੱਜ ਬਾਘਾਪੁਰਾਣਾ ਤੋਂ 40 ਤੋਂ ਵਧੇਰੇ  ਯਾਤਰੀਆਂ ਦੀ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਬੱਸ ਨੂੰ ਨੈਣਾ ਦੇਵੀ ਲਈ ਰਵਾਨਾ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਹੈ। ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ 45 ਯਾਤਰੀਆਂ ਦੀ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਬੱਸ ਕੋਟ ਈਸੇ ਖਾਂ ਤੋਂ ਸ੍ਰੀ ਆਨੰਦਪੁਰ ਸਾਹਿਬ ਤੇ ਤਲਵੰਡੀ ਸਾਬੋ ਲਈ ਰਵਾਨਾ ਕੀਤੀ ਗਈ ਹੈ। ਗੱਲਬਾਤ ਕਰਦਿਆਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੱਸਿਆ ਕਿ 'ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਤੀਰਥ ਯਾਤਰਾ ਸਕੀਮ' ਤਹਿਤ ਆਮ ਲੋਕਾਂ ਲਈ ਅਤਿ ਸਹਾਈ ਸਿੱਧ ਹੋ ਰਹੀ ਹੈ।

ਪੰਜਾਬ ਸਰਕਾਰ ਵੱਲੋਂ ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ਪਹਿਲੀ ਪਾਤਸ਼ਾਹੀ ਸ਼੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਪੁਰਬ ਮੌਕੇ 27 ਨਵੰਬਰ ਨੂੰ ਇਸ ਸਕੀਮ' ਦੀ ਸ਼ੁਰੂਆਤ ਕੀਤੀ ਗਈ ਹੈ। ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਮੋਗਾ ਨਾਲ ਸਬੰਧਤ ਸ਼ਰਧਾਲੂ ਉਕਤ ਧਾਰਮਿਕ ਸਥਾਨਾਂ ਦੇ ਦਰਸ਼ਨਾਂ ਲਈ ਟਰਾਂਸਪੋਰਟ ਵਿਭਾਗ ਦੀ ਵੈਬਸਾਈਟ ਤੋਂ ਫਾਰਮ ਡਾਊਨਲੋਡ ਕਰਕੇ ਆਪਣੇ ਹਲਕੇ ਦੇ ਵਿਧਾਇਕ ਜਾਂ ਐੱਸ ਡੀ ਐੱਮ ਦਫ਼ਤਰ ਵਿਖੇ ਜਮ੍ਹਾ ਕਰਵਾ ਸਕਦੇ ਹਨ। ਹਰੇਕ ਯਾਤਰੀ ਲਈ ਆਪਣੀ ਅਗਾਊਂ ਰਜਿਸਟ੍ਰੇਸ਼ਨ ਕਰਵਾਉਣੀ ਲਾਜ਼ਮੀ ਹੈ। ਬੱਸਾਂ ਵਿੱਚ ਸਰਕਾਰ ਦੀਆਂ ਹਦਾਇਤਾਂ ਅਨੁਸਾਰ ਯਾਤਰੀਆਂ ਨੂੰ ਹਰ ਸੰਭਵ ਸੁਵਿਧਾ ਦਿੱਤੀ ਜਾਵੇਗੀ। ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਇਤਿਹਾਸਕ ਧਾਰਮਿਕ ਸਥਾਨਾਂ 'ਤੇ ਮੱਥਾ ਟੇਕਣ ਦਾ ਅਜਿਹਾ ਮੌਕਾ ਮਿਲਣ 'ਤੇ ਸ਼ਰਧਾਲੂਆਂ ਨੇ ਬਹੁਤ ਖੁਸ਼ੀ ਅਤੇ ਆਤਮਿਕ ਸੰਤੁਸ਼ਟੀ ਪ੍ਰਗਟਾਈ। ਸ਼ਰਧਾਲੂਆਂ ਨੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਸੂਬਾ ਸਰਕਾਰ ਵੱਲੋਂ ਸ਼ੁਰੂ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਇਹ ਉਪਰਾਲਾ ਸ਼ਲਾਘਾਯੋਗ ਹੈ ਜੋ ਉਨ੍ਹਾਂ ਸਾਰੇ ਲੋਕਾਂ ਲਈ ਸਹਾਈ ਹੋਵੇਗਾ ਜੋ ਇਨ੍ਹਾਂ ਧਾਰਮਿਕ ਸਥਾਨਾਂ 'ਤੇ ਜਾਣਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਸਨ ਪਰ ਕਿਸੇ ਨਾ ਕਿਸੇ ਕਾਰਨ ਕਰਕੇ ਨਹੀਂ ਸਨ ਜਾ ਸਕੇ।   

ਵਧੀਕ ਡਿਪਟੀ ਕਮਿਸ਼ਨਰ ਅਨੀਤਾ ਦਰਸ਼ੀ ਵੱਲੋਂ ''ਸੰਕਲਪ'' ਸਕੀਮ ਤਹਿਤ ਬੇਕਰੀ ਕੋਰਸ ਦੀ ਸ਼ੁਰੂਆਤ

60 ਲੜਕੀਆਂ ਲੈਣਗੀਆਂ ਕੋਰਸ ਦੀ ਮੁਫ਼ਤ ਟ੍ਰੇਨਿੰਗ, ਵੰਡੀਆਂ ਜਾਣਗੀਆਂ ਮੁਫ਼ਤ ਬੇਕਰੀ ਕਿੱਟਾਂ

ਆਪਣਾ ਕਾਰੋਬਾਰ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰਨ 'ਤੇ ਪ੍ਰਫੁੱਲਿਤ ਕਰਨ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਸ਼ਾਸ਼ਨ ਕਰੇਗਾ ਹਰ ਸੰਭਵ ਸਹਾਇਤਾ-ਵਧੀਕ ਡਿਪਟੀ  ਕਮਿਸ਼ਨਰ (ਜ)

ਮੋਗਾ (ਕਮਲ) :- ਬੇਰੋਜ਼ਗਾਰ ਲੜਕੇ-ਲੜਕੀਆਂ ਨੂੰ ਉਦਯੋਗ ਜਾਂ ਹੋਰ ਕਿੱਤਾਮੁਖੀ ਸਿਖਲਾਈ ਦੇ ਕੇ ਬਿਹਤਰ ਰੋਜ਼ੀ ਰੋਟੀ ਦੇ ਕਾਬਿਲ ਬਣਾਉਣ ਲਈ ਪੰਜਾਬ ਹੁਨਰ ਵਿਕਾਸ ਮਿਸ਼ਨ ਤਹਿਤ ਸੰਕਲਪ ਸਕੀਮ ਅਤਿ ਸਹਾਈ ਸਿੱਧ ਹੋ ਰਹੀ ਹੈ। ਸੰਕਲਪ ਸਕੀਮ ਤਹਿਤ ਮੁਫ਼ਤ ਕਿੱਤਾਮੁਖੀ ਸਿਖਲਾਈ ਤਾਂ ਦਿੱਤੀ ਹੀ ਜਾ ਰਹੀ ਹੈ ਇਸਦੇ ਨਾਲ-ਨਾਲ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪ੍ਰਸ਼ਾਸ਼ਨ ਵੱਲੋਂ ਸਿਖਲਾਈ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਮਾਰਕੀਟਿੰਗ ਵਿੱਚ ਵੀ ਮਦਦ ਕੀਤੀ ਜਾਵੇਗੀ। ਇਹ ਸਭ ਜਾਣਕਾਰੀ ਵਧੀਕ ਡਿਪਟੀ ਕਮਿਸ਼ਨਰ (ਵਿਕਾਸ) ਮੋਗਾ ਅਨੀਤਾ ਦਰਸ਼ੀ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਹੁਨਰ ਵਿਕਾਸ ਮਿਸ਼ਨ ਦੇ ਸੰਕਲਪ ਸਕੀਮ ਤਹਿਤ ਬਣੇ ਅਮਾਇਰਾ ਗਰੁੱਪ ਆਫ਼ ਇੰਸਟੀਚਿਊਟ ਮੋਗਾ ਵਿਖੇ ਸਾਂਝੀ ਕੀਤੀ। ਅਨੀਤਾ ਦਰਸ਼ੀ ਵੱਲੋਂ ਇੱਥੇ 45 ਦਿਨਾਂ ਦੇ ਮੁਫ਼ਤ ਬੇਕਰੀ ਦੇ ਕੋਰਸ ਦੀ ਸਟਾਫ਼ ਤੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਵਿੱਚ ਸ਼ੁਰੂਆਤ ਕਰਵਾਈ।

ਇਹ ਟ੍ਰੇਨਿੰਗ 60 ਲੜਕੀਆਂ ਨੂੰ ਮੁਹੱਈਆ ਕਰਵਾਈ ਜਾਵੇਗੀ ਤਾਂ ਕਿ ਉਹ ਆਪਣੀ ਰੋਜ਼ੀ ਰੋਟੀ ਕਮਾਉਣ ਲਈ ਪ੍ਰਭਾਵਸ਼ਾਲੀ ਤਰੀਕੇ ਨਾਲ ਆਤਮ ਨਿਰਭਰ ਬਣ ਸਕਣ। ਬੇਕਰੀ ਦੇ ਇਸ ਕੋਰਸ ਵਿੱਚ ਸਾਰੀਆਂ ਲੜਕੀਆਂ ਨਾਲ ਗੱਲਬਾਤ ਕਰਦਿਆਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਅੱਜ ਦੇ ਸਮੇਂ ਵਿੱਚ ਬੇਰੋਜ਼ਗਾਰੀ ਨੂੰ ਦੂਰ ਕਰਨ ਲਈ ਕਿੱਤਾਮੁਖੀ ਸਿਖਲਾਈ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਦੀ ਬਹੁਤ ਜਿਆਦਾ ਜਰੂਰਤ ਹੈ।ਲੜਕੀਆਂ ਜਦੋਂ ਇਸ ਕੋਰਸ ਨੂੰ ਸਫ਼ਲਤਾਪੂਰਵਕ ਪੂਰਾ ਕਰਨ ਲੈਣਗੀਆਂ ਤਾਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਮਿਸ਼ਨ ਤਹਿਤ ਆਪਣਾ ਕਾਰੋਬਾਰ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰਨ, ਇਸਨੂੰ ਪ੍ਰਫੁੱਲਤ ਕਰਨ ਤੱਕ ਪੂਰੀ ਮੱਦਦ ਕੀਤੀ ਜਾਵੇਗੀ। ਕੋਰਸ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਲੜਕੀਆਂ ਬੇਕਰੀ ਕਿੱਟਾਂ ਜਿਹੜੀਆਂ ਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਆਪਣਾ ਕਾਰੋਬਾਰ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰਨ ਵਿੱਚ ਸਹਾਈ ਸਿੱਧ ਹੋਣਗੀਆਂ ਬਿਲਕੁਲ ਮੁਫ਼ਤ ਮੁਹੱਈਆ ਕਰਵਾਈਆਂ ਜਾਣਗੀਆਂ। ਇਸ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮ ਦੇ ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਮੈਨੇਜਰ ਪੀ.ਐਸ.ਡੀ.ਐਮ ਪੁਸ਼ਰਾਜ ਜਾਜਰਾ ਨੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨਾਲ ਗਾਲੱਬਾਤ ਕਰਦੇ ਹੋਏ ਸਕੀਮ ਚ ਮਿਲਨ ਵਾਲੇ ਲਾਭਾਂ ਬਾਰੇ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦਿੱਤੀ ਅਤੇ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਆਉਣ ਵਾਲੇ ਸਮੇਂ ਵਿੱਚ ਹੋਰ ਵੀ ਕਈ ਸਾਰੀਆ ਸਕੀਮਾਂ ਅਯੋਜਿਤ ਕੀਤੀਆ ਜਾਣਗੀਆ ਜਿਸ ਨਾਲ ਹਰ ਵਰਗ ਨੂੰ ਲਾਭ ਹੋਵੇਗਾ। ਪ੍ਰੋਗਰਾਮ ਦੌਰਾਨ ਸੈਂਟਰ ਮੈਨੇਜਰ ਕਰੀਨਾ ਜੈਦਕਾ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਸੈਂਟਰ ਦਾ ਸਮੂਹ ਸਟਾਫ਼ ਹਾਜ਼ਰ ਸੀ।

31 ਜਨਵਰੀ ਤੱਕ ਸੇਵਾ ਕੇਂਦਰਾਂ ਦੇ ਸਮੇਂ ’ਚ ਕੀਤੀ ਤਬਦੀਲੀ ਸਵੇਰੇ 10 ਤੋਂ ਸ਼ਾਮ 4:30 ਵਜੇ ਤੱਕ ਮਿਲਣਗੀਆਂ ਸੇਵਾਵਾਂ

ਮੋਗਾ (ਕਮਲ) :- ਡਿਪਟੀ ਕਮਿਸ਼ਨਰ ਮੋਗਾ ਕੁਲਵੰਤ ਸਿੰਘ ਨੇ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦਿੰਦਿਆ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਸੇਵਾ ਕੇਂਦਰਾਂ ਦਾ ਸਮਾਂ 4 ਜਨਵਰੀ 2024 ਤੋਂ ਸਵੇਰੇ 10 ਵਜੇ ਤੋਂ ਸ਼ਾਮ 4:30 ਵਜੇ ਤੱਕ ਦਾ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਹੈ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਡਾਇਰੈਕਟਰ ਪ਼੍ਰਸ਼ਾਸਕੀ ਸੁਧਾਰ ਵੱਲੋਂ ਜਾਰੀ ਪੱਤਰ ਅਨੁਸਾਰ ਠੰਢ ਦੇ ਮੌਸਮ ਅਤੇ ਧੁੰਦ ਕਾਰਨ ਜ਼ਿਲ੍ਹਿਆਂ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਪੱਧਰ ’ਤੇ ਸੇਵਾ ਕੇਂਦਰਾਂ ਦਾ ਸਮਾਂ ਤਬਦੀਲ ਕਰਨ ਲਈ ਕਿਹਾ ਗਿਆ ਹੈ, ਜਿਸ ਤਹਿਤ ਮੋਗਾ ਜ਼ਿਲ੍ਹੇ ’ਚ 4 ਜਨਵਰੀ ਤੋਂ ਸਾਰੇ ਸੇਵਾ ਕੇਂਦਰਾਂ ਦਾ ਸਮਾਂ ਸਵੇਰ 10 ਵਜੇ ਤੋਂ ਸ਼ਾਮ 4:30 ਵਜੇ ਤੱਕ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ਜੋ ਕਿ 31 ਜਨਵਰੀ 2024 ਤੱਕ ਲਾਗੂ ਰਹੇਗਾ।

तीसरा पर्यावरण संरक्षण मेला-2024 नेहरू रोज़ गार्डन लुधियाना में 3 और 4 फरवरी, 2024 को होगा

अलग-अलग कैटेगरी के लिए 5 लाख रुपए से ज्यादा के इनाम दिए जाएंगे

डिप्टी कमिश्नर की ओर से जिलेवासियों से पुरस्कार के लिए शामिल होने और आवेदन करने की अपील

मोगा (कमल) :- तीसरा पर्यावरण संरक्षण मेला-2024, 3 और 4 फरवरी, 2024 को बाबा गुरमीत सिंह के मार्गदर्शन में नेहरू रोज़ गार्डन लुधियाना में आयोजित किया जा रहा है। इस मेले में पर्यावरण संरक्षण से संबंधित 100 से अधिक स्टॉल लगाए जाएंगे, जिनमें देशी प्रजातियों के अधिक पेड़, जल संरक्षण, मृदा संरक्षण, जैविक किचन बागवानी, जल प्रबंधन और खाद बनाना, वायु प्रदूषण में कमी, ध्वनि प्रदूषण, ऊर्जा की बचत, सौर ऊर्जा, स्वस्थ भोजन जिसमें बाजरा पर विशेष जोर दिया गया है, बारे में जानकारी दी जाएगी। डिप्टी कमिश्नर मोगा कुलवंत सिंह ने कहा कि 'सोच' (सोसाइटी फॉर एनवायर्नमेंटल ट्रीटमेंट एंड कंजर्वेशन) एक गैर-लाभकारी संगठन है जो प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और लोगों को प्रकृति से दोबारा जोड़ने के लिए काम कर रहा है। यह संस्था पिछले दो वर्षों से पर्यावरण संरक्षण मेलों का आयोजन कर रही है जिसके माध्यम से लोगों में प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के प्रति जागरूकता पैदा की जा रही है।कुलवंत सिंह ने कहा कि इस पर्यावरण संरक्षण मेले में विभिन्न क्षेत्रों में सराहनीय कार्य करने वाली ग्राम पंचायतों, गैर सरकारी संगठनों, व्यक्तियों, छात्रों आदि को 10 पुरस्कार दिए जाएंगे। उन्होंने पुरस्कारों के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि एक लाख की पुरस्कार राशि वाला पहला पुरस्कार 'पुरातन झरी पुरस्कार' पंजाब की उस पंचायत या संस्था को दिया जाएगा जिसने प्राचीन झरी को कम से कम 100 वर्षों से प्राकृतिक रूप में संरक्षित रखा है। 75 हजार रुपये की पुरस्कार राशि वाला दूसरा 'जिथे सफाई और खुदाई' पुरस्कार पंजाब की उस ग्राम पंचायत/संस्था को दिया जाएगा जिसने अपने गांव को प्रकृति के करीब रखते हुए सड़कों, तालाबों, सार्वजनिक स्थानों आदि को साफ रखा है। 50,000 की पुरस्कार राशि वाला तीसरा पुरस्कार उस मेहनती व्यक्ति/व्यक्तियों को दिया जाएगा जो पंजाब में वन्य जीवन की सुरक्षा, देखभाल और बचाव में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।  चौथा पुरस्कार 50,000 रुपये का 'जैविक खेती पुरस्कार' होगा। यह पुरस्कार पंजाब के प्रकृति-प्रेमी किसान को दिया जाएगा, जो धरती को मां मानकर न तो आग लगाएगा और न ही जलाएगा। गेहूं और धान के फसल चक्र के बजाय, रासायनिक खेती के तरीके से वह विभिन्न प्रकार की फसलों की खेती करेंगे। जैविक संसाधनों से युक्त जैविक कार्बन युक्त भूमि वाला किसान इस पुरस्कार के लिए पात्र होगा। 25 हजार रुपये की पुरस्कार राशि वाला पांचवां पुरस्कार 'छत ते बगीची पुरस्कार' पंजाब के प्रकृति प्रेमी को दिया जाएगा, जो जैविक संसाधनों का उपयोग करके गृह उद्यान बनाकर सब्जियां, फल और फूल आदि प्राप्त कर रहा है। 25 हजार रुपये की पुरस्कार राशि वाला छठा 'ग्रीन कैंपस अवार्ड' पंजाब के किसी भी प्रकृति-प्रेमी सरकारी और निजी कॉलेज को दिया जाएगा, जिसमें हरियाली और पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देकर परिसर को स्वच्छ और प्रकृति के अनुकूल बनाया गया है। सातवां पुरस्कार 'मल्टीमॉडल एग्रीकल्चर मॉडल अवॉर्ड' होगा। यह पुरस्कार पंजाब के किसी भी कृषि कॉलेज के उन प्रकृति-प्रेमी छात्रों द्वारा तैयार किए गए मल्टीमॉडल खेती के मॉडल को दिया जाएगा, जो पर्यावरण संरक्षण के लिए मॉडल का प्रदर्शन करेंगे। इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए 94637-74370 पर संपर्क किया जा सकता है। आठवां पुरस्कार 'पर्यावरण संरक्षण और मॉडल पुरस्कार' होगा, यह पुरस्कार प्रकृति के प्रति समर्पित सरकारी स्कूलों और निजी स्कूलों के उन छात्रों को दिया जाएगा जिन्होंने पर्यावरण संरक्षण के लिए रोल मॉडल का प्रदर्शन किया है। प्रतियोगिता के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि 25 जनवरी, 2024 है। इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए 9501800708 पर संपर्क किया जा सकता है। नौवां पुरस्कार 'पर्यावरण लघु फिल्म पुरस्कार' होगा। यह पुरस्कार पंजाब के पर्यावरण से संबंधित विषय पर बनी लघु फिल्म (अधिकतम तीन मिनट) को दिया जाएगा।  इस पुरस्कार के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि 8 जनवरी 2024 है। दसवां पुरस्कार पर्यावरण संरक्षण पर फोटोग्राफी से संबंधित होगा और पंजाब के एक गैर-पेशेवर फोटोग्राफर द्वारा ली गई तस्वीर को दिया जाएगा। फोटोग्राफर द्वारा ली गई तस्वीर आवासीय क्षेत्र में देखी गई प्रकृति या जीव-जंतुओं से संबंधित होनी चाहिए। डिप्टी कमिशनर ने कहा कि इन पुरस्कारों के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि, आवेदन प्रपत्र या अधिक जानकारी www.sochngo.org पर प्राप्त की जा सकती है या मोबाइल नंबर 82839-33002 पर संपर्क किया जा सकता है। उन्होंने जिलेवासियों से इसमें सक्रिय रूप से भाग लेने की अपील की कि इस मेले और पुरस्कारों के लिए आवेदन अवश्य करें।

अलायंस क्लब जालंधर ने आर्य मॉडल हाई स्कूल गड़ा में छात्रों को स्टेशनरी एंव गर्म स्वेटर वितरित किए

जालंधर (अरोड़ा) :- अलायंस क्लब जालंधर समर्पण ने  सेवा की प्रकल्पों की लड़ी को आगे बढ़ाते हुए प्रधान  दया कृष्ण छाबड़ा व रीजन चेयरमैन संजीव गंभीर की अगुवाई में आर्य मॉडल हाई  स्कूल गड़ा में छात्रों  को स्टेशनरी एंव गर्म स्वेटर   वितरित किए। इस प्रोजेक्ट में अशोक बजाज ने आपने पिता जी की याद में सहयोग किया। गंभीर ने कहा कि अलायंस क्लब समर्पण प्रधान दया कृष्णा छाबड़ा की अगुवाई में समाज व मानवता की सेवा के प्रोजेक्ट लगातार कर रहे हैं जैसे कि फूड फार हंगर, पर्यावरण संरक्षण, जरूरतमंद लोगों को  गर्म कपड़े देना,लड़कियों को शादी का सामान देना, आंखों के ऑपरेशन करवाना एंव स्कूलों में जरूरतमंद बच्चों को स्टेशनरी देना बहुत ही सराहनीय कार्य किए हैं। इस मौके पर सचिव पीके गर्ग, आई सी सी एन के महेंद्रू, रीजन चेयरमैन संजीव गंभीर, डिस्ट्रिक्ट पीआरओ ई मीडिया जगन नाथ सैनी, सीनियर सदस्य ऐली कुलविंदर फुल्ल, गुलजारी लाल गुप्ता, प्रदीप शर्मा, ऐ के बहल, अशोक बजाज, गुलशन कपूर, लोकेश बजाज, रमेश बजाज, मनोहर लाल डोगरा, प्रिसिंपल अराधना शर्मा, स्टाफ व अन्य सदस्य उपस्थित थे।

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