(Date : 29/March/2424)

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ਮੈਰੀਟੋਰੀਅਸ ਅਤੇ ਸਕੂਲ ਆਫ਼ ਐਮੀਨੈਂਸ ਲਈ ਪ੍ਰਵੇਸ਼ ਪ੍ਰੀਖਿਆ 30 ਮਾਰਚ ਨੂੰ | ਸਕਿਲ ਸੈਂਟਰ ਦੌਲਤਪੁਰਾ ਨਵਾਂ ਵਿੱਚ ਵੋਟਰ ਜਾਗਰੂਕਤਾ ਫੈਲਾਈ | सीपीडब्ल्यूडी के सहायक एग्जीक्यूटिव इंजीनियरों ने राष्ट्रपति से मुलाकात की | डिप्टी कमिश्नर ने दिव्यांग वोटरों की लोक सभा में सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए जिला स्तरीय निगरानी कमेटी का गठन | डिप्स हर क्षेत्र में शत प्रतिशत परिणाम देने वाला शिक्षण संस्थान |

सामाजिक गतिविधयां

मानवाधिकार कांग्रेस पार्टी के पहले स्थापना दिवस पर प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में हुई प्रेस वार्ता, आरती राजपूत बनी महिला प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय अध्यक्ष

दिल्ली (JJS) - मानवाधिकार कांग्रेस पार्टी के पहले स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में दिनाँक 5 जनवरी 2023 दिन गुरुवार प्रेस क्लब आफ इंडिया में प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया। मानवाधिकार कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर एम आर अंसारी ने कहा कि हम देश भर में शिक्षा, सुरक्षा,रोजगार का अधिकार (Right To Rmployment), बाल सुरक्षा, कृषि,उधोग, महिला सुरक्षा, धार्मिक आजादी, सामाजिक सुरक्षा/संरक्षण, व्यापारियों का संरक्षण, स्वास्थ्य, समानता के अधिकारों पर काम करेंगे एवं समाज के प्रत्येक वर्ग को साथ लेकर काम करेंगे। उन्होंने बताया कि मानवाधिकार कांग्रेस पार्टी के स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में देश भर से आये मुख्य पदाधिकारियों के साथ यू पी भवन दिल्ली में समीक्षा बैठक की और आगामी विधानसभा एवं लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर जमीनी स्तर पर काम करने व ब्लाक स्तर से बूथ स्तर तक के पदाधिकारी बनाने का आहवान किया। यह भी निर्णय लिया गया कि राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारी सभी प्रदेशों का दौरा कर पार्टी को मजबूत बनाने का कार्य करेंगे।

समीक्षा बैठक में पार्टी को सुचारू रूप से चलाने के लिए राष्ट्रीय सलाहकार समिति व कोर कमेटी का गठन का किया गया। और सभी प्रदेशों के प्रदेश अध्यक्ष मनोनित कर उनको मनोनयन पत्र सौपा गया। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष गिरधारी वैष्णव लिलिया ने प्रेस वार्ता में बताया कि मानवाधिकार कांग्रेस पार्टी सबसे ज्यादा शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करेगी। आज भारत के लाखों बच्चे शिक्षा के संबंध में विदेश जा रहे हैं जो की चिंता का विषय है, वह देश कभी आगे नहीं बढ़ सकता जिस देश में शिक्षा के रास्ते तंग कर दिए गए हों, दुनिया में जिस देश ने हर क्षेत्र में तरक्की की है उसके पीछे सबसे बड़ा हाथ शिक्षा है और हमारे यहां शिक्षा को व्यापार बना दिया गया अमीर व्यक्ति अपने बच्चों को शिक्षा दिलाने में सक्षम है, लेकिन गरीब अपने बच्चों को शिक्षा नहीं दे पा रहा है यह हमारे देश के लिए सबसे बड़ी चुनौती व शर्म की बात है।

राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व प्रवक्ता एम अनवारूल हक ने कहा कि देश में मानव अधिकारों की रक्षा के लिए अभियान चलाया जाएगा। कुछ समय से हमारे देश में मानवता को शर्मसार करने वाली घटनाएं सामने आ रही है, यहां तक की छोटी-छोटी बातों पर लोग एक दूसरे की जान लेने पर उतारू हैं मानवाधिकार कांग्रेस पार्टी देशभर में मानवता का झंडा ऊंचा करने का काम करेगी जब तक आपसी भाईचारा आपसी तालमेल समाज में पैदा नहीं होगा तब तक देश तरक्की नहीं कर सकता किसी एक समाज को पीछे धकेल कर देश के एक अंग को भंग करने जैसा है हम हक़ीक़त में सभी समाज को जोड़ने तथा साथ लेकर चलने का काम करेंगे। राष्ट्रीय प्रमुख महासचिव एडवोकेट मेराज अंसारी ने बताया कि संविधान द्वारा हर एक व्यक्ति को जो छह मौलिक अधिकार समानता का अधिकार स्वतंत्रता का अधिकार शोषण के विरुद्ध अधिकार धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार संस्कृति और शैक्षिक का अधिकार संवैधानिक उपचार का अधिकार दिए गए हैं। यह सब आज संविधान के पन्नों में ही दफन होकर रह गए है आज भी देश का बहुत बड़ा वर्ग इन अधिकारों से वंचित है, मानवाधिकार कांग्रेस पार्टी पूर्ण रूप से इन अधिकारों के लिए संघर्ष करती रहेगी।

राष्ट्रीय महासचिव आशीष कौशिक उर्फ योगी ने बताया कि मानवाधिकार कांग्रेस पार्टी आगामी होने वाले चुनाव में एक नई उमंग लेकर आयेगी जो आम जनता के अधिकारों एवं उनके हितों की रक्षा के लिए हर सम्भव प्रयास करेगी उसके लिए हर कुर्बानी देने के लिए एमसीपी का एक-एक कार्यकर्ता तैयार है। राष्ट्रीय अध्यक्ष महिला प्रकोष्ठ आरती राजपूत ने कहा कि भारत का संविधान दुनिया में सर्वश्रेष्ठ संविधान है मगर आज पूरी दुनिया में भारत का स्तर गिरता जा रहा है जिसका मुख्य कारण यह है कि संविधान को अपने स्तर से चलाने की कोशिश की जा रही है कानून एक ही है मगर एक अमीरों के लिए और एक गरीबों के लिए बनकर रह गया उन्होंने कहा कि देश में जवान किसान का मनोबल गिरता जा रहा है जो कि चिंता का विषय है मानवाधिकार कांग्रेस पार्टी रणनीति बना देश भर में उनका मनोबल बढ़ाने का काम करेगी यदि फिर भी इस विषय में सरकार कोई फैसला नहीं लेती है तो देश भर में आंदोलन किया जाएगा।

प्रेस वार्ता में मौजूद पदाधिकारियों में रूपेश धवन राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, अशोक रामप्पा हिरेकुराबर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष , तालिब बेग राष्ट्रीय महासचिव ,शेख मुजफ्फर अली राष्ट्रीय सचिव ,हाजी सैय्यद लायक राष्ट्रीय संगठन सचिव , एडवोकेट पायल पोपतानी राष्ट्रीय महासचिव यूथ प्रकोष्ठ, नौशाद अंसारी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष यूथ प्रकोष्ठ, गणेश शंकर यादव प्रदेश उपाध्यक्ष उत्तर प्रदेश, मसूद आलम प्रदेश सचिव उत्तर प्रदेश, ऋषभ शर्मा प्रदेश सचिव उत्तर प्रदेश, मोती लाल यादव प्रदेश अध्यक्ष दिल्ली, आदिल शाद प्रदेश उपाध्यक्ष दिल्ली, फहीम अंसारी प्रदेश उपाध्यक्ष दिल्ली, केदार सिंह कुशवाह, प्रदेश अध्यक्ष मध्यप्रदेश, जुबैर आलम प्रदेश अध्यक्ष जम्मू कश्मीर, सैयद कबीर गिलानी प्रदेश महासचिव जम्मू कश्मीर, अजय कुमार प्रदेश सचिव पिछड़ा वर्ग उत्तर प्रदेश, अश्विनी कुमार पंजाब तहसीम अंसारी, हाजी शेख इलियास, शना अली आदि पदाधिकारी उपस्थित रहे।

केंद्रीय मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर 6 जनवरी 2023 को वाई20 शिखर सम्मेलन के पूर्वावलोकन कार्यक्रम में वाई20 की थीम, लोगो और वेबसाइट लॉन्च करेंगे

वाई20 के हिस्से के रूप में चलाई जाने वाली गतिविधियां वैश्विक युवा नेतृत्व और साझेदारी पर केंद्रित होंगी

दिल्ली (JJS) :-  मुख्य आकर्षण:

• अंतिम वाई-20 शिखर सम्मेलन के पूर्व अगले 8 महीनों के लिए देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में विचार-विमर्श और संगोष्ठियां आयोजित करने के साथ-साथ अनेक सम्मेलन किये जायेंगे।

• भारत का प्रमुख फोकस विश्व के युवा नेताओं को एक साथ लाने,  बेहतर भविष्य पर चर्चा करने तथा कार्रवाई के लिए एजेंडा तैयार करने पर है।

केंद्रीय युवा कार्यक्रम और खेल मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर 6 जनवरी 2023 को आकाशवाणी रंग भवन, नई दिल्ली में वाई-20 शिखर सम्मेलन के पूर्वावलोकन कार्यक्रम में वाई-20 की थीम, लोगो और वेबसाइट लॉन्च करेंगे। भारत पहली बार वाई-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है। 6 जनवरी को आयोजित होने वाला कार्यक्रम को दो सत्रों में विभाजित होगा। पहले सत्र में युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर लोगो लॉन्च, वेबसाइट और थीम लॉन्च करेंगे। दूसरे सत्र में पैनल चर्चा (युवा एचीवर्स) होगी। पैनल चर्चा में इस विषय पर विचार किया जाएगा कि भारत महाशक्ति बनने के लिए अपनी युवा आबादी का उपयोग कैसे कर सकता है और पैनल के सदस्यों की व्यक्तिगत सफलता की कहानियों पर चर्चा भी हो सकती है। युवा-20 इंगेजमेंट समूह में भारत का मुख्य फोकस विश्व के युवा नेताओं को एक साथ लाने, बेहतर भविष्य के लिए विचार-विमर्श करने तथा कार्रवाई एजेंडा तैयार करने पर है।

हमारी अध्यक्षता के दौरान वाई-20 की गतिविधियां वैश्विक युवा नेतृत्व और साझेदारी पर केंद्रित होंगी। अंतिम युवा-20 शिखर सम्मेलन से पहले अगले 8 महीनों के लिए वाई-20 के पांच विषयों पर सम्मेलन होंगे और साथ-साथ देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में विभिन्न विचार-विमर्श तथा संगोष्ठियां आयोजित की जायेंगी। भारत के लिए जी-20 की अध्यक्षता "अमृतकाल" के प्रारंभ का भी प्रतीक है। अमृतकाल 15 अगस्त 2022 को भारत स्वतंत्रता की 75 वीं वर्षगांठ से प्रारंभ होकर 25 साल की अवधि यानी स्वतंत्रता की शताब्दी तक मनाया जाएगा। यह एक भविष्यवादी, समृद्ध, समावेशी और विकसित समाज की ओर बढ़ने के लिए है जिसके मूल में मानव-केंद्रित दृष्टिकोण है। भारत वसुधैव कुटुम्बकम के विचार को मूर्त रूप देते हुए समग्र कल्याण सुनिश्चित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर व्यावहारिक समाधान खोजने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

गाजियाबाद - पं. दीन दयाल उपाध्याय खंड (762 किलोमीटर) भारतीय रेल का सबसे लंबा पूर्ण स्वचालित ब्लॉक सिग्नलिंग खंड बन गया है

वित्तीय वर्ष 2022-23 (30 दिसंबर 2022) के दौरान उत्तर मध्य रेलवे में शुरू किया गया कुल स्वचालित सिग्नल 139.42 आरकेएम है

रेलगाड़ियों के परिचालन और सुरक्षा बढ़ाने में डिजिटल तकनीकों का लाभ उठाने हेतु बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग को अपनाया जा रहा है

दिल्ली (JJS) :-  भारतीय रेल के मौजूदा उच्च घनत्व वाले मार्गों पर और अधिक रेलगाडियां चलाने के लिए लाइन क्षमता बढ़ाने हेतु, स्वचालित ब्लॉक सिग्नलिंग (एबीएस) एक किफायती उपाय है। भारतीय रेल मिशन मोड पर स्वचालित ब्लॉक सिग्नलिंग की शुरूआत कर रहा है। एबीएस को 2022-23 के दौरान 268 आरकेएम पर अधिकृत किया गया है।  31 दिसम्बर 2022 तक भारतीय रेल के 3706 रूट किमी पर एबीएस की सुविधा प्रदान की गई है। स्वचालित सिग्नलिंग के कार्यान्वयन से क्षमता में वृद्धि होगी जिसके परिणामस्वरूप अधिक रेल सेवाएं संभव होंगी। रेलगाड़ियों के परिचालन में डिजिटल तकनीकों का लाभ उठाने और सुरक्षा बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग को अपनाया जा रहा है। वर्ष 2022-23 के दौरान 347 स्टेशनों पर इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम की सुविधा प्रदान की गई है। अब तक भारतीय रेल के 45.5 प्रतिशत हिस्से को कवर करते हुए 2888 स्टेशनों को 31 दिसम्बर 2022 तक इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग की सुविधा दी गई है। हाल ही में, प्रयागराज मंडल के साथ सतनरैनी-रुंधी-फैजुल्लापुर स्टेशन खंड में स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली की शुरुआत के साथ, 762 किलोमीटर लंबा गाजियाबाद-पं. दीन दयाल उपाध्याय खंड पूरी तरह से स्वचालित हो गया है और यह भारतीय रेल का सबसे लंबा स्वचालित ब्लॉक सिग्नलिंग खंड भी बन गया है।

कोविड-19 अपडेट

दिल्ली (JJS) :-  राष्ट्रव्यापी कोविड टीकाकरण के तहत अब तक कुल 220.12   करोड़(95.13 करोड़ दूसरी डोज और 22.42 करोड़ प्रीकॉशन डोज) टीके लगाए जा चुके हैं

बीते चौबीस घंटों में 61,828 टीके लगाए गए

भारत में सक्रिय मरीजों की संख्या 2,554 है

सक्रिय मामलों की दर 0.01 प्रतिशत है

स्वस्थ होने की वर्तमान दर 98.8 प्रतिशत है

बीते चौबीस घंटों में 201 लोग स्वस्थ हुए,अब तक स्वस्थ हुए कुल लोगों की संख्या 4,41,46,055 है

पिछले 24 घंटों में 188 नए मामले सामने आए

दैनिक सक्रिय मामलों की दर 0.10 प्रतिशत है

साप्ताहिक सक्रिय मामलों की दर 0.12 प्रतिशत है

अब तक 91.15 करोड़ जांच की जा चुकी हैं,बीते चौबीस घंटों में 1,93,051 जांच की गई

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अंडमान निकोबार द्वीप समूह की दो दिवसीय यात्रा पर रवाना हुए

दिल्ली (JJS) :-  रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आज (5 जनवरी, 2023) अंडमान और निकोबार कमान (एएनसी) की दो दिवसीय यात्रा के लिए नई दिल्ली से रवाना हुए। यात्रा के दौरान, रक्षा मंत्री कमान की रक्षा तैयारियों और कमान के परिचालन क्षेत्रों तथा बाहरी इकाइयों में अवसंरचना के विकास की समीक्षा करेंगे। रक्षा मंत्री कैंपबेल बे, कार्निक और डिगलीपुर में एएनसी इकाइयों का भी दौरा करेंगे, जहां वे सैनिकों के साथ बातचीत करेंगे।

प्रधानमंत्री ने वीडियो संदेश के माध्यम से जल संरक्षण के विषय पर राज्यों के मंत्रियों के प्रथम अखिल भारतीय वार्षिक सम्मेलन को संबोधित किया

“वाटर विजन@2047 अमृत काल की अगले 25 वर्षों की यात्रा का एक महत्वपूर्ण आयाम”

“जब किसी अभियान से जनता जुड़ी रहती है, तो उसे कार्य की गंभीरता भी पता चलती है”

“जब लोग स्वच्छ भारत अभियान से जुड़े तो जनता में भी एक चेतना जागृत हुई”

“देश हर जिले में 75 अमृत सरोवर बना रहा है जिसमें अब तक 25 हजार अमृत सरोवर बन चुके हैं”

"जल जीवन मिशन हर घर को पानी उपलब्ध कराने के लिए राज्य का एक प्रमुख विकास पैरामीटर है"

"प्रति बूंद अधिक फसल' अभियान के तहत, देश में अब तक 70 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि को सूक्ष्म सिंचाई के तहत लाया गया है"

"ग्राम पंचायतों को अगले 5 वर्षों के लिए एक कार्य योजना तैयार करनी चाहिए, जिसमें जल आपूर्ति से लेकर स्वच्छता और अपशिष्ट प्रबंधन तक के रोडमैप पर विचार किया जाए"

"हमारी नदियां, हमारी वाटर बॉडीज पूरे वाटर इकोसिस्टम का सबसे अहम हिस्सा होते हैं"

“नमामि गंगे मिशन को एक खाका बनाकर अन्य राज्य भी नदियों के संरक्षण के लिए ऐसे ही अभियान चला सकते हैं”

दिल्ली (JJS) :-  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो संदेश के माध्यम से जल संरक्षण के विषय पर राज्यों के मंत्रियों के प्रथम अखिल भारतीय वार्षिक सम्मेलन को संबोधित किया। सम्मेलन का विषय 'वाटर विजन @ 2047' है और फोरम का उद्देश्य सतत विकास और मानव विकास के लिए जल संसाधनों के दोहन के तरीकों पर चर्चा के लिए प्रमुख नीति निर्माताओं को एक साथ लाना है। अपने संबोधन में, प्रधानमंत्री ने जल सुरक्षा के क्षेत्रों में भारत द्वारा किए गए अभूतपूर्व कार्यों पर प्रकाश डालते हुए देश के जल मंत्रियों के पहले अखिल भारतीय सम्मेलन के महत्व पर प्रकाश डाला। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी संवैधानिक व्यवस्था में पानी का विषय, राज्यों के नियंत्रण में आता है और जल संरक्षण के लिए राज्यों के प्रयास, देश के सामूहिक लक्ष्यों को प्राप्त करने में बहुत सहायक होंगे। उन्होंने जोर देकर कहा कि जल संरक्षण से जुड़े अभियानों में जनता को, सामाजिक संगठनों को, सिविल सोसाइटी को भी ज्यादा से ज्यादा साथ लेना होगा। प्रधानमंत्री ने कहा, "वाटर विजन @ 2047 अमृत काल की अगले 25 वर्षों की यात्रा का एक महत्वपूर्ण आयाम है।” प्रधानमंत्री ने 'समग्र सरकार' और 'संपूर्ण देश' के अपने दृष्टिकोण को दोहराते हुए, इस बात पर जोर दिया कि सभी सरकारों को एक ऐसी प्रणाली की तरह काम करना चाहिए, जिसमें राज्य सरकारों के विभिन्न मंत्रालयों, जैसे जल मंत्रालय, सिंचाई मंत्रालय, कृषि मंत्रालय, ग्रामीण और शहरी विकास मंत्रालय और आपदा प्रबंधन मंत्रालय के बीच निरंतर संपर्क और संवाद हो। उन्होंने कहा कि अगर इन विभागों के पास एक-दूसरे से संबंधित जानकारी और डेटा होगा तो योजना बनाने में मदद मिलेगी। यह बताते हुए कि केवल सरकार के प्रयासों से सफलता नहीं मिलती है, प्रधानमंत्री ने सार्वजनिक और सामाजिक संगठनों और नागरिक समाजों की भूमिका की ओर ध्यान आकर्षित किया और जल संरक्षण से संबंधित अभियानों में उनकी अधिकतम भागीदारी के लिए कहा। प्रधानमंत्री ने समझाते हुए कहा कि जनभागीदारी को बढ़ावा देने से सरकार की जवाबदेही कम नहीं होती है और इसका मतलब यह नहीं है कि सारी जिम्मेदारी लोगों पर डाल दी जाए। उन्होंने कहा कि जनभागीदारी का सबसे बड़ा लाभ यह है कि अभियान में किए जा रहे प्रयासों और खर्च किए जा रहे धन के बारे में जनता के बीच जागरूकता पैदा की जाती है। उन्होंने कहा, “जब किसी अभियान से जनता जुड़ी रहती है, तो उसे कार्य की गंभीरता भी पता चलती है। इससे जनता में किसी योजना या अभियान के प्रति सेंस ऑफ ओनरशिप भी आती है।” प्रधानमंत्री ने स्वच्छ भारत अभियान का उदाहरण देते हुए कहा, “जब लोग स्वच्छ भारत अभियान से जुड़े तो जनता में भी एक चेतना जागृत हुई।” भारत के लोगों को उनके प्रयासों का श्रेय देते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने कई पहल की, चाहे वह गंदगी हटाने के लिए संसाधन एकत्र करना हो, विभिन्न जल उपचार संयंत्रों का निर्माण करना हो या शौचालयों का निर्माण करना हो, लेकिन इस अभियान की सफलता तब सुनिश्चित हुई जब जनता ने गंदगी को बिल्कुल हटाने का निर्णय लिया। प्रधानमंत्री ने जल संरक्षण के प्रति जन भागीदारी के इस विचार को मन में बैठाने और प्रभावी तौर पर जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया, "हम 'जल जागरूकता महोत्सव' आयोजित कर सकते हैं या स्थानीय स्तर पर आयोजित मेलों में जल जागरूकता से संबंधित एक कार्यक्रम जोड़ा जा सकता है।" उन्होंने विद्यालयों में पाठ्यचर्या से लेकर गतिविधियों तक नवीन तरीकों से युवा पीढ़ी को इस विषय से अवगत कराने की आवश्यकता पर बल दिया। प्रधानमंत्री ने बताया कि देश हर जिले में 75 अमृत सरोवर बना रहा है, जिसमें अब तक 25 हजार अमृत सरोवर बन चुके हैं। उन्होंने समस्याओं की पहचान करने और समाधान खोजने के लिए प्रौद्योगिकी, उद्योग और स्टार्टअप्स को जोड़ने की आवश्यकता पर जोर दिया और जियो-सेंसिंग और जियो-मैपिंग जैसी तकनीकों के बारे में बताया, जो बहुत मददगार हो सकते हैं। उन्होंने नीतिगत स्तरों पर पानी से संबंधित मुद्दों से निपटने के लिए सरकारी नीतियों और नौकरशाही प्रक्रियाओं को लागू करने की आवश्यकता पर भी बल दिया। प्रत्येक घर को पानी उपलब्ध कराने के लिए एक राज्य के लिए एक प्रमुख विकास पैरामीटर के रूप में 'जल जीवन मिशन' की सफलता पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि कई राज्यों ने अच्छा काम किया है, जबकि कई राज्य इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि एक बार यह व्यवस्था लागू हो जाने के बाद हमें भविष्य में भी इसी तरह इसका रखरखाव सुनिश्चित करना चाहिए। उन्होंने प्रस्ताव दिया कि ग्राम पंचायतें जल जीवन मिशन का नेतृत्व करें और काम पूरा होने के बाद वे यह भी प्रमाणित करें कि पर्याप्त और स्वच्छ पानी उपलब्ध हो गया है। उन्होंने कहा, "प्रत्येक ग्राम पंचायत भी एक मासिक या त्रैमासिक रिपोर्ट ऑनलाइन प्रस्तुत कर सकती है, जिसमें गांव में नल से पानी प्राप्त करने वाले घरों की संख्या बताई गई हो।" उन्होंने यह भी कहा कि पानी की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए समय-समय पर जल परीक्षण की व्यवस्था भी विकसित की जानी चाहिए। प्रधानमंत्री ने उद्योग और कृषि दोनों क्षेत्रों में पानी की आवश्यकताओं के बारे में चर्चा करते हुए सुझाव दिया कि हमें इन दोनों ही सेक्टर्स से जुड़े लोगों में विशेष अभियान चलाकर इन्हें वाटर सिक्योरिटी के प्रति जागरूक करना चाहिए। उन्होंने फसल विविधीकरण और प्राकृतिक खेती जैसी तकनीकों का उदाहरण दिया, जो जल संरक्षण पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत शुरू हुए 'पर ड्रॉप मोर क्रॉप' अभियान पर भी प्रकाश डाला और बताया कि देश में अब तक 70 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि को सूक्ष्म सिंचाई के तहत लाया जा चुका है। उन्होंने कहा, "सभी राज्यों द्वारा सूक्ष्म सिंचाई को लगातार बढ़ावा दिया जाना चाहिए"। उन्होंने अटल भूजल संरक्षण योजना का भी उदाहरण दिया, जिसमें भू-जल पुनर्भरण के लिए सभी जिलों में बड़े पैमाने पर वाटरशेड का काम जरूरी है और पहाड़ी क्षेत्रों में स्प्रिंगशेड को पुनर्जीवित करने के लिए विकास कार्यों में तेजी लाने की जरूरत पर भी बल दिया। जल संरक्षण के लिए राज्य में वन क्षेत्र को बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए, प्रधानमंत्री ने पर्यावरण मंत्रालय और जल मंत्रालय द्वारा समन्वित प्रयासों का आह्वान किया। उन्होंने जल के सभी स्थानीय स्रोतों के संरक्षण पर भी ध्यान देने का आह्वान किया और दोहराते हुए कहा कि ग्राम पंचायतें अगले 5 वर्षों के लिए एक कार्ययोजना तैयार करें, जहां जल आपूर्ति से लेकर स्वच्छता और अपशिष्ट प्रबंधन तक के रोडमैप पर विचार किया जाए। प्रधानमंत्री ने राज्यों से यह भी कहा कि किस गांव में कितने पानी की जरूरत है और इसके लिए क्या काम किया जा सकता है, इसके आधार पर पंचायत स्तर पर जल बजट तैयार करने के तरीके अपनाएं। 'कैच द रेन' अभियान की सफलता पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे अभियान राज्य सरकार का एक अनिवार्य हिस्सा बनने चाहिए, जहां उनका वार्षिक मूल्यांकन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, "बारिश का इंतजार करने के बजाय, बारिश से पहले सारी योजना बनाने की जरूरत है।" जल संरक्षण के क्षेत्र में सर्कुलर इकोनॉमी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने बताया कि सरकार ने इस बजट में सर्कुलर इकोनॉमी पर काफी जोर दिया है। उन्होंने कहा, "जब ट्रीटेड वॉटर को री-यूज किया जाता है, फ्रेश वाटर को कंजर्व किया जाता है, तो उससे पूरे इकोसिस्टम को बहुत लाभ होता है। इसलिए वाटर ट्रीटमेंट, वॉटर रीसाइकलिंग आवश्यक है।” उन्होंने दोहराया कि राज्यों को विभिन्न उद्देश्यों के लिए 'ट्रीटेड वॉटर' के उपयोग को बढ़ाने के तरीके खोजने होंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी कोई भी नदी या वाटर बॉडी बाहरी कारकों से प्रदूषित ना हो, इसके लिए हमें हर राज्य में वाटर मैनेजमेंट और सीवेज ट्रीटमेंट का नेटवर्क बनाना होगा। उन्होंने हर राज्य में अपशिष्ट प्रबंधन और सीवेज ट्रीटमेंट का एक नेटवर्क बनाने पर जोर देते हुए कहा, "हमारी नदियां, हमारी वाटर बॉडीज पूरे वाटर इकोसिस्टम का सबसे अहम हिस्सा होते हैं।" अंत में, प्रधानमंत्री ने कहा, “नमामि गंगे मिशन को एक खाका बनाकर अन्य राज्य भी नदियों के संरक्षण के लिए इसी तरह के अभियान शुरू कर सकते हैं। जल को सहयोग और समन्वय का विषय बनाना प्रत्येक राज्य की जिम्मेदारी है।” जल संरक्षण के विषय पर राज्यों के मंत्रियों के प्रथम अखिल भारतीय वार्षिक सम्मेलन में सभी राज्यों के जल संसाधन मंत्रियों ने भाग लिया।

जल पर अखिल भारतीय वार्षिक राज्य मंत्रियों के सम्मेलन में प्रधानमंत्री के वीडियो संदेश का मूल पाठ

दिल्ली (JJS) :-  देश के जल मंत्रियों का पहला अखिल भारतीय सम्मेलन अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण है। आज भारत, Water Security पर अभूतपूर्व काम कर रहा है, अभूतपूर्व निवेश भी कर रहा है। हमारी संवैधानिक व्यवस्था में पानी का विषय, राज्यों के नियंत्रण में आता है। जल संरक्षण के लिए राज्यों के प्रयास, देश के सामूहिक लक्ष्यों को प्राप्त करने में बहुत सहायक होंगे। ऐसे में, 'वॉटर विज़न at 2047' अगले 25 वर्षों की अमृत यात्रा का एक महत्वपूर्ण आयाम है।

साथियों,

इस सम्मेलन में 'whole of government' और 'whole of country' इसके विज़न को सामने रखकर चर्चाएं होना बहुत स्वाभिक है और आवश्यक भी है। 'Whole of government' का एक पहलू ये भी है कि सभी सरकारें एक सिस्टम की तरह एक organic entity की तरह काम करें। राज्यों में भी विभिन्न मंत्रालयों जैसे जल मंत्रालय हो, सिंचाई मंत्रालय हो, कृषि मंत्रालय हो, ग्रामीण विकास मंत्रालय हो, पशुपालन का विभाग हो। उसी प्रकार से शहरी विकास मंत्रालय, उसी प्रकार से आपदा प्रबंधन। यानी के सबके बीच लगातार संपर्क और संवाद और एक clarity, vision ये होना बहुत आवश्यक है। अगर विभागों को एक दूसरे से जुड़ी जानकारी होगी, उनके पास पूरा डेटा होगा, तो उन्हें अपनी प्लानिंग में भी मदद मिलेगी।

साथियों,

हमें ये भी समझना होगा कि सरकार के अकेले प्रयास से ही सफलता नहीं आती। जो सरकार में हैं, उन्हें इस सोच से बाहर निकलना होगा कि उनके अकेले के प्रयास से अपेक्षित परिणाम मिल जाएंगे। इसलिए जल संरक्षण से जुड़े अभियानों में जनता जनार्दन को, सामाजिक संगठनों को, सिविल सोसाइटी को भी ज्यादा से ज्यादा हमे जोड़ना होगा, साथ लेना होगा। जन-भागीदारी का एक और पक्ष है और उसे भी समझना बहुत जरूरी है। कुछ लोग सोचते हैं कि जन-भागीदारी यानि लोगों पर ही सारी जिम्मेदारी थोप देना। जन-भागीदारी को बढ़ावा देने से सरकार की जिम्मेदारी कम हो जाती है। हकीकत ऐसी नहीं है। जवाबदेही कम नहीं होती। जन-भागीदारी का सबसे बड़ा लाभ ये होता है कि जनता जनार्दन को भी ये पता चलता है कि इस अभियान में कितनी मेहनत हो रही है, कितना पैसा लग रहा है। इसके कितने पहलू होते हैं। जब किसी अभियान से जनता जुड़ी रहती है, तो उसे कार्य की गंभीरता का पता चलता है। उसके सामर्थ्य का पता चलता है, उसके स्केल का पता चलता है, संसाधन कितने लगते है उसका पता चलता है। इससे जनता में जब ये सब देखते है involve होते हैं तो इस प्रकार की योजना हो, या अभियान हो एक Sense of Ownership आती है। और Sense of Ownership जो है ना वो सफलता की सबसे बड़ी पूंजी होती है। अब आप देखिए स्वच्छ भारत अभियान कितना बड़ा उदाहरण है। स्वच्छ भारत अभियान में जब लोग जुड़े, तो जनता में भी एक चेतना आई, जागृती आई। गंदगी दूर करने के लिए जो संसाधन जुटाने थे, जो विभिन्न वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट बनवाने थे, शौचालय बनवाने थे, ऐसे अनेक कार्य सरकार के द्वारा हुए। लेकिन इस अभियान की सफलता तब सुनिश्चित हुई जब जनता में, प्रत्येक नागरिक में सोच आई कि गंदगी नहीं करनी है, गंदगी नहीं होनी चाहिए। गंदगी के प्रति एक नफरत का भाव नागरिकों में आने लगा। अब जन-भागीदारी की यही सोच हमें जल संरक्षण के लिए जनता के मन में जगानी है। इसके लिए जनता को हम जितना ज्यादा जागरूक करेंगे, उतना ही प्रभाव पैदा होगा। जैसे हम 'जल जागरूकता महोत्सवों' का आयोजन कर सकते हैं। स्थानीय स्तर पर होने वाले मेलों में पानी को लेकर जागरूकता संबंधी कई आयोजन जोड़ सकते हैं। विशेषकर, नई पीढ़ी इस विषय के प्रति जागरूक हो, इसके लिए हमें पाठ्यक्रम से लेकर स्कूलों में activities तक इनोवेटिव तरीके सोचने होंगे। आप जानते हैं कि देश हर जिले में 75 अमृत सरोवर बना रहा है। आपने भी अपने राज्य में इसमें काफी कुछ काम किया हैं। इतने कम समय में 25 हजार अमृत सरोवर बन भी चुके हैं। जल संरक्षण की दिशा में पूरे विश्व में अपनी तरह का ये अनोखा अभियान है। और ये जनभागीदारी इसमें जुड़ी है। लोग initiative ले रहे हैं, लोग इसमें आगे आ रहे हैं। इनका संरक्षण हो, लोग इनसे जुड़ें, हमें इस दिशा में निरंतर प्रयास बढ़ाने होंगे।

साथियों,

हमें पॉलिसी लेवेल पर भी पानी से जुड़ी परेशानियों के समाधान के लिए सरकारी नीतियां और ब्यूरोक्रेटिक प्रक्रियाओं से बाहर आना होगा। हमें problems को पहचानने और उसके solutions को खोजने के लिए टेक्नालजी को, इंडस्ट्री को, और खासकर स्टार्टअप्स को साथ जोड़ना होगा। जियो-सेन्सिंग और जियो मैपिंग जैसी तकनीकों से हमें इस दिशा में काफी मदद मिल सकती है।

साथियों,

हर घर तक पानी पहुंचाने के लिए 'जल जीवन मिशन' आपके राज्य का एक बड़ा development parameter है। कई राज्यों ने इसमें अच्छा काम किया है, कई राज्य इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। अब हमें ये सुनिश्चित करना है कि एक बार ये व्यवस्था बन गई, तो आगे उनकी देखरेख भी उतने ही अच्छे ढंग से चलती है। ग्राम पंचायतें जल जीवन मिशन का नेतृत्व करे, और काम पूरा होने के बाद ये certify भी करे कि पर्याप्त और स्वच्छ पानी उपलब्ध हो गया है। हर ग्राम पंचायत मासिक या त्रैमासिक रिपोर्ट भी ऑनलाइन submit कर सकती है कि उसके गाँव में कितने घरों में नल से जल आ रहा है। पानी की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए समय-समय पर वॉटर टेस्टिंग की प्रणाली भी विकसित की जानी चाहिए।

साथियों,

हम सभी जानते हैं कि इंडस्ट्री और खेती दो ऐसे सेक्टर्स हैं जिसमें स्वाभविक रूप से पानी की आवश्यकता बहुत रहती हैं। हमें इन दोनों ही सेक्टर्स से जुड़े लोगों से विशेष अभियान चलाकर उन्हें वॉटर सेक्योरिटी के प्रति जागरूक करना चाहिए। पानी की उपलब्धता के आधार पर ही Crop-Diversification हो, प्राकृतिक खेती हो, नैचुरल फार्मिंग खेती को बढ़ावा दिया जाए। कई जगह ऐसा देखने में आया है कि जहां प्राकृतिक खेती होती हैं, नैचुरल फार्मिंग की जा रही है, वहां जल संरक्षण पर भी सकारात्मक प्रभाव दिखाई दिया है।

साथियों,

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत सभी राज्यों में तेजी से काम हो रहा है। इसके अंतर्गत Per Drop More Crop अभियान की शुरुआत की गई थी। इस स्कीम के तहत देश में अब तक 70 लाख हेक्टेयर से ज्यादा जमीन माइक्रो-इरिगेशन के दायरे में लाई जा चुकी है। सभी राज्यों को माइक्रो-इरिगेशन को लगातार बढ़ावा देना चाहिए। ये जल संरक्षण के लिए बहुत आवश्यक योजना है। अब डायरेक्ट कैनाल की जगह पाइपलाइन आधारित नई योजनाएं लाई जा रही हैं। इसको और भी आगे ले जाने की जरूरत है।

साथियों,

जल संरक्षण के लिए केंद्र ने अटल भूजल संरक्षण योजना को शुरूआत की है। ये एक संवेदनशील अभियान है, और इसे उतनी ही संवेदनशीलता से आगे बढ़ाने की जरूरत है। भूजल प्रबंधन के लिए बनाए गए प्राधिकरण सख्ती से इस दिशा में काम करें, ये भी जरूरी है। भूजल रिचार्ज के लिए सभी जिलों में बड़े पैमाने पर वाटर-शेड का काम होना जरूरी है। और मैं तो चाहूंगा कि मनरेगा में सबसे अधिक काम पानी के लिए करना चाहिए। पहाड़ी क्षेत्रों में स्प्रिंग शेड को पुनर्जीवित करने का कार्यक्रम शुरू किया गया है, इस पर तेजी से काम करना होगा। जल संरक्षण के लिए आपके राज्य में वन क्षेत्रों को बढ़ाना वो भी उतना ही जरूरी है। इसके लिए पर्यावरण मंत्रालय और जल मंत्रालय साथ मिलकर काम करें। लगातार पानी पहुंचाने के लिए जरूरी है कि पानी के सभी स्थानीय स्रोतों के संरक्षण पर भी ध्यान दिया जाए। ग्राम पंचायतें अपने लिए अगले 5 साल का एक्शन प्लान भी बनाएं, पानी को केंद्र में रखकर के बनाएं। जिसमें पानी सप्लाइ से लेकर स्वच्छता और वेस्ट मैनेजमेंट तक का रोडमैप हो। किस गांव में कितना पानी आवश्यक है और उसके लिए क्या काम हो सकता है, इसके आधार पर कुछ राज्यों में पंचायत स्तर पर वाटर बजट तैयार किया गया है। इसे भी दूसरे राज्यों द्वारा अपनाया जा सकता है। हाल के वर्षों में हमने देखा है कि Catch the Rain अभियान उसने एक आकर्षण तो पैदा किया है। लेकिन सफलता के लिए अभी बहुत कुछ करना जरूरी है। बहुत आवश्यक है कि इस तरह के अभियान राज्य सरकार की रोजमर्रा की गतिविधि का एक सहज-स्वभाव बन जाना चाहिए। राज्य सरकार के सालाना अभियान का वो अनिवार्य हिस्सा हो जाना चाहिए। और इस तरह के अभियान के लिए बारिश का इंतजार करने के बजाय, बारिश से पहले ही सारी प्लानिंग करना बहुत जरूरी है।

साथियों,

इस बजट में सरकार ने सर्कुलर इकॉनॉमी पर बहुत जोर दिया है। जल संरक्षण के क्षेत्र में भी सर्कुलर इकॉनॉमी की बड़ी भूमिका है। जब treated water को re-use किया जाता है, fresh water को conserve किया जाता है, तो उससे पूरे इको-सिस्टम को बहुत लाभ होता है। इसलिए पानी का ट्रीटमेंट, पानी की री-सायकिलिंग, आवश्यक है। राज्यों द्वारा विभिन्न कार्यों में 'treated water' का इस्तेमाल बढ़ाने की योजना और उसमें वेस्ट में से बेस्ट इंकम भी होती हैं। आपको Local Needs की मैपिंग करनी होगी, उस हिसाब से योजनाएं बनानी होंगी। हमें एक और बात ध्यान रखनी है। हमारी नदियां, हमारी वॉटर बॉडीज़ पूरे वॉटर ecosystem का सबसे अहम हिस्सा होते हैं। हमारी कोई भी नदी या वॉटर बॉडी बाहरी कारकों से प्रदूषित न हो, इसके लिए हमें हर राज्य में वेस्ट मैनेजमेंट और सीवेज ट्रीटमेंट का नेटवर्क बनाना होगा। ट्रीटेड वॉटर का दोबारा इस्तेमाल हो, इसके लिए भी हमें प्रभावी व्यवस्था पर ध्यान देना होगा। नमामि गंगे मिशन को template बनाकर बाकी राज्य भी अपने यहाँ नदियों के संरक्षण और पुनर्जीवन के लिए ऐसे ही अभियान शुरू कर सकते हैं।

साथियों,

पानी collaboration और coordination का विषय बने, राज्यों के बीच cooperation का विषय बने। ये हम सबकी ज़िम्मेदारी है। और आप तो देख रहे हैं एक और issue, urbanization बहुत तेजी से बढ़ रहा हैं। बहुत तेजी से हमारी आब़ादी urbanization की दिशा में बढ़ने वाली हैं। Urban Development इनता तेजी से होता है तो पानी के विषय में अभी से सोचना पड़ेगा। सीवेज की व्यवस्थाएं अभी से सोचनी पड़ेगी। सीवेज ट्रीटमेंट की व्यवस्था अभी से सोचनी पड़ेगी। शहरों के बढ़ने की जो गति है उस गति से हमें और गति बढ़ानी पड़ेगी। मैं आशा करता हूं कि हम इस समिट में हर एक के अनुभव को साझा करेंगे, बहुत ही सार्थक चर्चा होगी। निश्चित कार्य योजना बनेगी और एक संकल्प बनकर के आप इसको सिद्धी प्राप्त करने के लिए आगे बढ़ेंगे। हर राज्य अपने राज्य के नागरिकों की सुख सुविधा के लिए, नागरिकों के कर्तव्य पर भी बल देते हुए और सरकार का पानी के प्रति प्राथमिकता वाला काम अगर हम करेंगे तो मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि इस वॉटर कॉन्फ्रेंस के लिए हम एक बहुत आशाओं के साथ आगे बढ़ेंगे।

मेरी आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं।

धन्यवाद।

एनटीपीसी का शानदार प्रदर्शन : 11.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करते हुए 295.4 बिलियन यूनिट बिजली का उत्‍पादन किया

दिल्ली (JJS) :-  1. एनटीपीसी ने अप्रैल-दिसंबर 2022 के दौरान स्‍टैंड एलोन (एकल) आधार पर 254.6 बिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन किया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 16.1 प्रतिशत अधिक है।

2. एनटीपीसी ने 14.6 एमएमटी उत्पादन करके कैप्टिव कोयला उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की।

3. एनटीपीसी समूह की स्थापित क्षमता 70824 मेगावाट है

4. कंपनी ने तीन गीगावॉट नवीकरणीय क्षमता को पार किया।

भारत की सबसे बड़ी बिजली उत्पादक कंपनी एनटीपीसी ने अप्रैल-दिसंबर 2022 के दौरान 295.4 बिलियन यूनिट विद्यु उत्पादन किया। यह  पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 11.6 प्रतिशत अधिक है। एकल (स्टैंडअलोन) आधार पर एनटीपीसी ने अप्रैल-दिसंबर 2022 के दौरान 254.6 बिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन किया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 16.1 प्रतिशत अधिक है। कोयला संयंत्रों ने वित्‍त वर्ष 2023 में 9 महीने की अवधि के लिए 73.7 प्रतिशत का पीएलएफ दर्ज किया, जबकि यह वित्‍त वर्ष 2022 में समान अवधि के लिए 68.5 प्रतिशत था। एनटीपीसी का शानदार प्रदर्शन एनटीपीसी इंजीनियरों, संचालन और रखरखाव व्‍यवहारों तथा एनटीपीसी प्रणालियों की विशेषज्ञता का प्रमाण है। इसके अतिरिक्‍त, एनटीपीसी ने 14.6 एमएमटी उत्पादन प्राप्त करके कैप्टिव कोयला उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की है। यह पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 51 प्रतिशत अधिक है। एनटीपीसी समूह की स्थापित क्षमता 70824 मेगावाट है। हाल ही में कंपनी ने तीन गीगावॉट नवीकरणीय क्षमता को पार किया है।

प्रधानमंत्री ने महाराष्ट्र विधानसभा के विधायक लक्ष्मण जगताप के निधन पर शोक व्यक्त किया

दिल्ली (JJS) :- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महाराष्ट्र विधानसभा के विधायक लक्ष्मण जगताप के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है।

प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया;

“महाराष्ट्र विधानसभा के विधायक श्री लक्ष्मण जगताप जी के निधन से दुख हुआ। उन्होंने लोक कल्याण और पुणे तथा आसपास के क्षेत्रों के विकास के लिए महान योगदान दिया। उनके परिवार और समर्थकों के प्रति संवेदनाएं। ओम शांति।"

कोविड-19 अपडेट

दिल्ली (JJS) :- राष्ट्रव्यापी कोविड टीकाकरण के तहत अब तक कुल 220.11   करोड़(95.13 करोड़ दूसरी डोज और 22.41 करोड़ प्रीकॉशन डोज) टीके लगाए जा चुके हैं बीते चौबीस घंटों में 45,769 टीके लगाए गए भारत में सक्रिय मरीजों की संख्या 2,582 है सक्रिय मामलों की दर 0.01 प्रतिशत है स्वस्थ होने की वर्तमान दर 98.8 प्रतिशत है बीते चौबीस घंटों में 222 लोग स्वस्थ हुए,अब तक स्वस्थ हुए कुल लोगों की संख्या 4,41,45,667 है पिछले 24 घंटों में 134 नए मामले सामने आए दैनिक सक्रिय मामलों की दर 0.09 प्रतिशत है साप्ताहिक सक्रिय मामलों की दर 0.13 प्रतिशत है अब तक 91.12 करोड़ जांच की जा चुकी हैं,बीते चौबीस घंटों में 1,15,186 जांच की गई

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