मातृभाषा एवं भाषा लिपि के अंतर को समझें, मातृभाषा से सबका भावनात्मक रिश्ता
जालंधर (अरोड़ा) :- मातृभाषा एवं भाषा लिपि दो अलग-अलग विषय हैं ! दोनों के बीच के अंतर को समझना जरूरी है! अतीत में ऐसी कई घटनाएँ घटी हैं जिन्होंने इन दोनों विषयों के बीच के अंतर को कम कर दिया है! पंजाबी मातृभाषा के रूप में एक भाषा है और इसमें प्रेम एवं भावना का रिश्ता है, जबकि गुरुमुखी एक पंजाबी लिपि है! पंजाबियों को दोनों विषयों पर गंभीर होकर गहरी सोच के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है! ये निष्कर्ष आई.के. गुजराल पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी में "अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस" के अवसर पर आयोजित एक सेमिनार में सामने आए हैं!
गुरू नानक देव यूनिवर्सिटी, अमृतसर के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. मनजिंदर सिंह, खालसा कॉलेज, अमृतसर के एसोसिएट प्रोफेसर परमिंदर सिंह और रामगढ़िया कॉलेज, फगवाड़ा के प्रोफेसर अवतार सिंह ने विशेष वक्ता के रूप में इस सेमिनार को संबोधित किया! सेमिनार का आयोजन इंटेक पंजाब के सहयोग से यूनिवर्सिटी में स्थापित श्री गुरू नानक देव जी चेयर द्वारा किया गया! इस मौके पर यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार डॉ. एस.के मिश्रा मुख्य अतिथि थे, वहीं इंटेक पंजाब के स्टेट कन्वीनर मेजर जनरल बलविंदर सिंह विशिष्ट अतिथि थे! भाषा विभाग से विशेष आमंत्रण पर जिला कपूरथला की भाषा अधिकारी जसप्रीत कौर और इंटेक पंजाब के कपूरथला जिला सह संयोजक एडवोकेट कमलजीत सिंह सेमिनार में उपस्थित रहे!
सेमिनार के प्रारंभ में रजिस्ट्रार डॉ. एस के मिश्रा ने मातृभाषा पर गर्व करने का मार्गदर्शन दिया! उन्होंने कहा कि इसे प्रथम सहारा मानकर इस पर गर्व करें! प्रवक्ता प्रो. अवतार सिंह ने मातृभाषा से प्रेम करने, उसे शरीर की बौद्धिक अवस्था में रखने और दूसरी भाषा को अनावश्यक रूप से ऊंचा उठाने तथा स्वयं को नीचा दिखाने या समझने की संकीर्ण सोच से बाहर आने का आग्रह किया! प्रोफेसर परमिंदर सिंह ने मातृभाषा के नाम पर लिपि से जुड़ी भ्रांतियों से बचने की बात कही! जबकि प्रोफेसर डॉ. मनजिंदर सिंह ने पंजाबी भाषा के साथ-साथ पंजाब, पंजाबी भाषा और पंजाबी होने, श्री गुरु नानक देव जी का अपनी मातृभाषा के प्रति प्रेम, श्री सुरजीत पातर जी की कविता में सरोकार और सच्चाई के बीच के अंतर को स्पष्ट किया एवं कुछ तथ्य भी प्रस्तुत किये! उनका संबोधन सभी के लिए प्रेरणादायक रहा! इस मौके पर जिला कपूरथला की भाषा अधिकारी जसप्रीत कौर और इंटेक पंजाब के स्टेट कन्वीनर मेजर जनरल बलविंदर सिंह ने भी अपने विचार रखे! असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सरबजीत सिंह मान ने मंच प्रबंधक व कार्यक्रम समन्वयक की भूमिका निभाई!