एनईपी-2020 कार्यान्वयन के माध्यम से शिक्षा में बदलाव: उपलब्धियां और आगे की राह
शीर्षक से एक हैंडबुक का किया गया अनावरण*
एनईपी-2020 के प्रमुख परिवर्तनकारी सुधारों का कार्यान्वयन विश्वविद्यालय के छात्रों में वांछित कौशल के विकास में अत्यधिक प्रभावी रहा है - प्रोफेसर राघवेंद्र पी. तिवारी
जालंधर (ब्यूरो) :- राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तीन साल पूरे होने के अवसर पर, पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने एनईपी-2020 के सफल कार्यान्वयन और इसके भविष्य के रोडमैप हेतु विश्वविद्यालय के चरण-दर-चरण प्रयासों को साझा करने के लिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया। कार्यक्रम के दौरान, पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राघवेंद्र पी. तिवारी ने विश्वविद्यालय के अधिकारियों के साथ "एनईपी-2020 कार्यान्वयन के माध्यम से शिक्षा में बदलाव: उपलब्धियां और आगे की राह" शीर्षक से एक हैंडबुक का अनावरण किया।
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एनईपी-2020 के दृष्टिकोण पर प्रकाश डालते हुए कुलपति प्रो. राघवेंद्र पी. तिवारी ने कहा कि भारत की शैक्षिक अवसंरचना को मजबूत करने और प्रत्येक नागरिक को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुलभ कराने पर केंद्रित यह शिक्षा नीति अंततः सृजन को बढ़ावा देते हुए एक जीवंत और ज्ञानवान समाज का सृजन करेगी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एनईपी-2020 के परिवर्तनकारी सुधारों का उद्देश्य वैश्विक कौशल एवं नैतिक मूल्यों से परिपूर्ण उत्तरदायी नागरिक तैयार करना है, जो आत्मनिर्भर भारत की यात्रा में योगदान देंगे। उच्च शिक्षा में वांछित परिवर्तन लाने के लिए पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय ने शैक्षणिक सत्र 2021-2022 और 2022-2023 के दौरान एनईपी-2020 के कई महत्वपूर्ण उपाय लागू किए हैं। इन उपायों में शामिल हैं: एलओसीएफ (लर्निंग आउटकम-सेंट्रिक फ्रेमवर्क) आधारित बहु-विषयक, समग्र और लचीला पाठ्यक्रम का परिचय; एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स (एबीसी) और राष्ट्रीय शैक्षणिक डिपॉजिटरी (एनएडी) के साथ शिक्षा का डिजिटलीकरण; बहु-प्रवेश एवं निकास (एमईई) विकल्पों का कार्यान्वयन; मूक (मैसिव ओपन ऑनलाइन पाठ्यक्रम) के माध्यम से क्रेडिट ट्रांसफर की सुविधा प्रदान करना और राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क (एनसीआरएफ) को अपनाना; और प्रशिक्षुता, शोध प्रबंध, सामुदायिक शिक्षण, औद्योगिक प्रशिक्षण, सेवा शिक्षण, ग्रामीण-परिवेश मॉड्यूल, शैक्षिक एवं क्षेत्र भ्रमण जैसी विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से अनुभवजन्य शिक्षा को बढ़ावा देना। प्रो. तिवारी ने इस बात पर जोर दिया कि नीति "क्या सीखें" के बजाय "कैसे सीखें" पर ध्यान केंद्रित करते हुए परिणाम-आधारित शिक्षा को प्राथमिकता देती है। इस दृष्टिकोण के अनुरूप विश्वविद्यालय पाठ्यक्रम में कौशल-आधारित पाठ्यक्रमों को शामिल करते हुए सक्रिय रूप से छात्रों को व्यावहारिक अनुभव प्रदान करता है। इस प्रकार के पाठ्यक्रम छात्रों में वांछित कौशल को विकसित करने में अत्यधिक प्रभावी रहे हैं। प्रो. तिवारी ने बताया कि एनईपी-2020 के पहले से क्रियान्वित घटकों को बढ़ाने के अलावा विश्वविद्यालय ने एनईपी-2020 के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए आगे की रणनीतियों का एक सेट विकसित किया है। इन रणनीतियों में उच्च शिक्षा एवं अनुसंधान में विकल्पों का विस्तार करने के उद्देश्य से नए युग के कार्यक्रमों के साथ-साथ दोहरी-डिग्री और संयुक्त डिग्री कार्यक्रमों की शुरूआत शामिल है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय अपने पाठ्यक्रम के माध्यम से सामुदायिक भागेदारी को सक्रिय रूप से बढ़ावा देते हुए सामाजिक उद्यमिता एवं सतत विकास, सार्वभौमिक मानवीय मूल्यों और भारतीय ज्ञान परंपराओं को बढ़ावा देने हेतु समर्पित है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय ने अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या बढ़ाने और विश्वविद्यालय को एक अनुसंधान-केंद्रित संस्थान में बदलने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान आईक्यूएसी निदेशक प्रो. मोनिशा धीमान, परीक्षा नियंत्रक एवं कुलसचिव (प्रभारी) प्रो. बी.पी. गर्ग; डीन छात्र कल्याण प्रो. संजीव ठाकुर; वित्त अधिकारी डॉ. राजकुमार शर्मा, डॉ. बावा सिंह और डॉ. रमनप्रीत कौर आदि उपस्थित थे। इस प्रेस वार्ता के दौरान विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने देश के युवाओं को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के पूर्ण क्रियान्वयन से उच्च गुणवत्तापूर्ण शिक्षण, शोध, कौशल विकास, सामाजिक-संपर्क और संसाधन सृजन हेतु लाभान्वित करने के लिए भविष्य की रणनीतियां साझा की।