कुलपति डा. सुशील मित्तल एवं रजिस्ट्रार डा. मिश्रा ने भागीदारी को रोजगार अवसरों के हित में बेहतर भविष्य की शुरूआत माना
जालंधर (अरोड़ा) :- आई.के.गुजराल पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी (आई.के.जी पी.टी.यू) के दो सदस्यों ने वियतनाम के बिन्ह दीन्ह प्रांत में हुए एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में हिस्सा लिया! यह अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन भारतीय साझेदारों के साथ निवेश, विकास, व्यापार एवं पर्यटन को बढ़ावा देने के उदेश्य से आयोजित किया गया था! भाग लेने वाले सदस्यों में फैकल्टी मेंबर डॉ. विक्रमजीत एवं असिस्टेंट डायरेक्टर ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट डॉ. मृगेंद्र सिंह बेदी शामिल रहे! ये दोनों सदस्य वियतनाम के बिन्ह दीन्ह प्रांत में भारतीय भागीदारों के साथ निवेश एवं विकास को बढ़ावा देने के लिए गए भारतीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे। यह सम्मेलन हो ची मिन्ह शहर में आयोजित किया गया था!
इसमें भारतीय महावाणिज्य दूतावास ने सांझेदारी की पहल की थी! आयोजन मंडल में बिन्ह दीन्ह प्रांतीय पीपुल्स कमेटी का अहम योगदान रहा! भारत के महावाणिज्य दूत डॉ. मदन मोहन सेठी, सम्मेलन के सह-अध्यक्ष रहे! भारतीय वाणिज्य दूतावास एवं शिक्षा विभाग, वियतनाम के माध्यम से आई.के.जी पी.टी.यू के साथ जल्द ही एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने की इच्छा व्यक्त की है। वियतनामी सरकारी अधिकारियों ने विशेष रुचि व्यक्त की है कि आई.के.जी पी.टी.यू कैम्पस एवं इसके संबद्ध कॉलेजों को उद्यमशीलता की मानसिकता एवं स्टार्टअप विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जिससे पर्यटन, आयात एवं निर्यात जैसे विशिष्ट डोमेन में विकास में तेजी आये! भारतीय महावाणिज्य दूतावास दोनों देशों के व्यापारिक समुदायों के बीच सेतु के रूप में अपनी भूमिका जारी रखने, आयात और निर्यात गतिविधियों के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ बनाने एवं भारत के विविध क्षेत्रों से वियतनाम में निवेश आकर्षित करने के लिए प्रतिबद्ध है। यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. सुशील मित्तल एवं डॉ. एस. के. मिश्रा, रजिस्ट्रार ने विभिन्न संगठनों के साथ विभिन्न स्तरों पर सहयोग के माध्यम से दक्षिण-पूर्वी देशों में विश्वविद्यालय के विस्तार की परिकल्पना की है! उन्होंने इसे रोजगार अवसरों के हित में बेहतर भविष्य की शुरूआत माना है! इससे छात्रों को उन देशों की संस्कृति एवं विकास के बारे में भी जानकारी मिल सकेगी, जहां से उनके करियर की इंटरनेशनल शुरुआत होनी है! इस प्रगतिशील एवं सहयोगात्मक दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए यूनिवर्सिटी के सदस्यों को ऐसे आयोजनों में सरकारी प्रतिनिधिमंडल के रूप में भेजे जाने को उन्होंने एक नए युग की शुरुआत माना है!