सी टी यूनिवर्सिटी ने किया इंडो–श्रीलंका संगोष्ठी 2025 का आयोजन

शैक्षणिक सहयोग और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का उत्सव
वैश्विक साझेदारी को मजबूत करना
नैतिक और नवीन शोध को बढ़ावा देना

जालंधर (अरोड़ा) :- सी टी यूनिवर्सिटी ने इंडो–श्रीलंका संगोष्ठी 2025 का सफलतापूर्वक आयोजन किया, जो भारत और श्रीलंका के बीच अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करने, नैतिक अनुसंधान को बढ़ावा देने और सांस्कृतिक एकता को सुदृढ़ करने के लिए एक महत्वपूर्ण शैक्षणिक मंच साबित हुआ। संगोष्ठी में प्रतिष्ठित विद्वानों, शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों और विद्यार्थियों ने भाग लिया, जिससे ज्ञान के आदान-प्रदान और वैश्विक शैक्षणिक नेटवर्किंग का एक उत्कृष्ट अवसर प्राप्त हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत सम्मानित अतिथि डॉ. कल्पनी रत्नायके और डॉ. प्रवीन बंसल के पारंपरिक स्वागत से हुई। उनका स्वागत एनसीसी ऑनर्स और तिलक समारोह के साथ किया गया, जिसने भारतीय संस्कृति की गरिमा और अतिथियों के प्रति सम्मान को खूबसूरती से दर्शाया। औपचारिक सत्र की शुरुआत स्कूल ऑफ फ़ार्मास्यूटिकल साइंसेज़ के हेड डॉ. विर विक्रम के स्वागत भाषण से हुई। इसके बाद प्रो चांसलर डॉ. मनबीर सिंह, वाइस चांसलर डॉ. नितिन टंडन, प्रो वाइस चांसलर डॉ. सिमरन कौर गिल, और डीएसडब्ल्यू डायरेक्टर एर. दविंदर सिंह ने अपने विचार साझा किए। सभी गणमान्य व्यक्तियों ने इंडो–श्रीलंका शैक्षणिक संबंधों के बढ़ते महत्व को रेखांकित किया और वैश्विक सहभागिता व बहुसांस्कृतिक शिक्षा के प्रति सीटीयू की प्रतिबद्धता की सराहना की। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन, सरस्वती वंदना और गणेश वंदना के साथ हुआ, जिसने ज्ञान, बुद्धि और नए आरंभ के लिए मंगलकामनाएँ व्यक्त कीं।

शैक्षणिक सत्रों की शुरुआत कीनोट सत्र–1 से हुई, जिसमें डॉ. कल्पनी रत्नायके ने “डूइंग मोर विद लेस: ऐचीविंग द 3Rs थ्रू लो-कॉस्ट एंड रिप्रोड्यूसिबल अल्टरनेटिव टेक्निक्स टू एनिमल एक्सपेरिमेंट्स” विषय पर अपनी प्रस्तुति दी। उन्होंने कम लागत में, नैतिक और टिकाऊ शोध तकनीकों के महत्व पर जोर दिया, जो पशु-आधारित प्रयोगों पर निर्भरता कम करती हैं। कीनोट सत्र–2 में डॉ. पुनीत ने भारतीय परंपरागत चिकित्सा के वैज्ञानिक और ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डाला और बताया कि यह वैश्विक स्वास्थ्य प्रणाली में किस तरह अपनी नई पहचान बना रही है। संगोष्ठी में पोस्टर और ओरल प्रेजेंटेशन भी आयोजित किए गए, जिनमें युवा शोधकर्ताओं ने अपने नवाचारपूर्ण विचार और शोध प्रस्तुत किए। पोस्टर प्रेजेंटेशन का मूल्यांकन डॉ. सुमिता सिंह, एसोसिएट प्रोफेसर, स्वामी विवेकानंद सुभार्ती यूनिवर्सिटी ने किया, जबकि ओरल प्रेजेंटेशन का मूल्यांकन डॉ. कुनाल अरोड़ा, प्रोफेसर, डिपार्टमेंट ऑफ फ़ार्मास्यूटिक्स ने किया। उनके विशेषज्ञ मूल्यांकन ने कार्यक्रम को और अधिक प्रभावशाली और अकादमिक रूप से मजबूत बनाया। कार्यक्रम पर अपनी प्रतिक्रिया साझा करते हुए प्रो चांसलर डॉ. मनबीर सिंह ने कहा, “सी टी यूनिवर्सिटी हमेशा वैश्विक शिक्षा और बहुसांस्कृतिक शैक्षणिक सहयोग को बढ़ावा देती है। इंडो–श्रीलंका संगोष्ठी जैसे मंच अंतरराष्ट्रीय संबंधों को मजबूत करते हैं, प्रभावशाली शोध का मार्ग प्रशस्त करते हैं और भविष्य-उन्मुख विद्वानों को तैयार करते हैं।” स्कूल प्रमुख डॉ. विर विक्रम ने कहा, “यह संगोष्ठी हमारे नैतिक अनुसंधान और वैश्विक शैक्षणिक एकीकरण के प्रति समर्पण को दर्शाती है। अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों और युवा शोधकर्ताओं की भागीदारी ने इस कार्यक्रम को अत्यंत प्रेरक और ज्ञानवर्धक बनाया।”

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