Thursday , 27 November 2025

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान एक दिवसीय पंजाब दौरे पर, मोगा के रणसिंह कलां गांव में किसानों ग्रामवासियों, हितधारकों से संवाद किया

केंद्रीय मंत्री ने विगत 6 वर्षों से पराली ना जलाने और पराली का उचित प्रबंधन करने के लिए रणसिंह कलां गांव की अभूतपूर्व उपलब्धि की सराहना की और सभी को बधाई दी
मसूर, तूअर, उड़द, चना भी एमएसपी पर खरीदेंगे, किसानों के पसीने की पूरी कीमत चुकाएंगे- केंद्रीय कृषि मंत्री

चंडीगढ़ (ब्यूरो) :- केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान आज एक दिवसीय पंजाब दौरे पर हैं। इस दौरान केंद्रीय मंत्री ने मोगा के रणसिंह कलां गांव के किसान भाई-बहनों,ग्रामवासियों और हितधारकों से मुलाकत कर विगत 6 वर्षों से पराली ना जलाने और पराली के उचित प्रबंधन में अभूतपर्व उपलब्धि के लिए सभी की सराहना की और बधाई दी। मुख्य आयोजन के पहले केंद्रीय मंत्री ने मीडिया से भी बात की और बताया कि पराली जलाने की घटनाओं ने पूरे देश को चिंतित किया था। पराली जलने के कारण खेत तो साफ हो जाता था, लेकिन मित्र कीट भी जल जाते थे। साथ ही पराली जलाने से प्रदूषण की समस्या भी पैदा होती थी।“ केंद्रीय मंत्री ने कहा कि “मैं आज पंजाब को बधाई देने आया हूं। पंजाब के पराली प्रबंधन के प्रयोग को सारे देश में ले जाने आया हूं। पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में इस साल 83 प्रतिशत की कमी आई है। जहां लगभग 83 हजार पराली जलाने की घटनाएं होती थी वह अब घटकर 5 हजार के करीब हो चुकी हैं।“ आगे, केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि “किसान भाई-बहन पूछते हैं कि पराली ना जलाएं तो विकल्प क्या है? गेहूं और अन्य फसल की बुवाई के लिए खेत साफ कैसे करें? इन सवालों के समाधानों के लिए रणसिंह कलां गांव में प्रयोग हुए हैं।

रणसिंह कलां गावं ने उदाहरण पेश किया है। यहां पिछले 6 वर्षों से पराली नहीं जलाई गई है, यहां किसान भाई-बहन सीधे पराली को खेत में मिलाते हैं और डायरेक्ट सीडिंग करते हैं।“ मुख्य कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री चौहान ने कहा कि मैंने कुछ दिन पहले रणसिंह कलां गांव के बारे में पढ़ा। यहां पराली को बोझ नहीं माना गया, बल्कि इसे वरदान में बदल दिया गया। रणसिंह कलां गांव एक ऐसा उदाहरण है जो मांगने में नहीं बल्कि देने में विश्वास रखता है। उन्होंने कहा कि कृषि मंत्री होने के नाते वह किसानों और खेतों में जाकर सीधे किसानों से संवाद करना आवश्यक समझते हैं क्योंकि इसके बिना सही रूप से किसान कल्याण के लिए काम नहीं किया जा सकता। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पराली जलाने के बाद खेतों में पानी डालना पड़ता है उसके बाद खेत बुवाई के लिए तैयार किए जाते हैं वहीं रणसिंह कलां गावं की भांति प्रबंधन करने से हैप्पी सीडर से कटाई और खेतों में पराली मिला देने के बाद बिना पानी दिए डायरेक्टर सीडिंग की जा सकती है। इससे पानी और डीजल दोनों की बचत होती है। पराली में पोटाश होता है, जो खेतों में मिलकर उसे फायदा पहुंचाता है। खरपतवार नहीं होता। जमीन में नमी बनी रहती है। खेतों में पराली मिलाने से जैविक कार्बन बढ़ता है। खाद की आवश्यकता कम पड़ती है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि सरपंच ने जानकारी दी कि जहां पहले डीएपी डेढ़ गट्टे डालते थे वहीं अब एक डीएपी गट्टे की जरूरत पड़ती है वहीं 3 यूरिया गट्टे की जगह 2 गट्टे हीं खेत में मिलाने पड़ते हैं। यह स्पष्ट रूप से खर्च में बचत का प्रमाण है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उन्होंने खेतों का निरीक्षण करके भी देखा। पराली खेत में ही मिलाने से फसलों की गुणवत्ता और उत्पादन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। प्रति एकड़ 20 से 22 क्विंटल उत्पादन संभावित रहता है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि मात्र गेहूं ही नहीं बल्कि आलू की खेती में भी पराली प्रबंधन का यह प्रयोग अत्यधिक फायदेमंद है। उन्होंने कहा कि किसान भाई ने बताया कि जहां आलू की बुवाई में खेतों में पोटाश डालने की आवश्यकता पड़ती थी, वहीं अब इसकी जरूरत नहीं पड़ती क्योंकि पराली से जिंक और पोटाश की जरूरत पूरी हो जाती है। आलू का आकार भी बड़ा होता है, गुणवत्ता अच्छी हो जाती है और खर्चा भी कम होता है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उन्होंने सरसों के खेतों का भी दौरा किया। वहां भी पराली काटकर खेतों में मिलाने के प्रबंधन के अनेकों फायदे देखने को मिले। इस प्रयोग के जरिए सरसों के खेती में भी कम खाद और पानी के साथ उत्पादन में इजाफा कर मुनाफा कमाया जा सकता है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि रणसिंह कलां गांव एक पाठशाला है जहां से बहुत कुछ सीखा जा सकता है। यहां के सरपंच के नेतृत्व में ना केवल पराली प्रबंधन बल्कि बोतलों में बचे हुए पानी के उचित उपयोग, रेनवॉटर हार्वेस्टिंग, प्लास्टिक प्रबंधन से लेकर झीलों, पार्कों और लाइब्रेरी के निर्माण तक प्रशंसनीय काम हुए हैं। नशे के खिलाफ अभियान भी एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। कृषि मंत्री ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में गांव ने असाधारण विकास का प्रदर्शन किया है। अंडर ग्राउंड ड्रेनेज के कारण गांव में डेंगू और मलेरिया की समस्या भी नहीं है। केंद्रीय मंत्री ने सरपंच प्रीत इंदरपाल सिंह मिंटू की तारीफ की और कहा कि उन्होंने अच्छे कामों से गौरवान्वित होने का अवसर दिया है। आगे, कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि वह रणसिंह कलां गांव की इस पवित्र धरती से पूरे भारत के किसान भाई-बहनों को संदेश देना चाहते हैं कि रणसिंह कलां गांव के पराली प्रबंधन के इस सफल प्रयोग को अपने यहां भी अपनाएं। ताकि प्रदूषण से भी बचाव हो और धरती उपयोगी भी बन सके। श्री चौहान ने कहा कि उन्होंने तय किया है कि चुने हुए किसान भाई-बहनों के साथ बैठकर उनके साथ विचार-विमर्श करके प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में खेती में बदलाव की 5 वर्षीय योजनाएं तय की जाएंगी। आगामी 22-23 दिसंबर को इस संबंध में चिंतन बैठक का आयोजन प्रस्तावित है। ग्रामीण विकास के क्षेत्र में भी समान रूप से कार्य किया जाएगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि छोटे किसानों की तरफ से मशीनों की खरीद को लेकर भी प्रस्ताव आते हैं, जिस संबंध में प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. एम. एल. जाट से कस्टम हाइरिंग सेंटर को मैकनाइजेशन के सेंटर के रूप में भी काम करने का प्रबंध करने का निर्देश दिया। मैकेनाइजेशन को लेकर योजना बनाने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि हर छोटा किसान मशीन नहीं खरीद सकता, इसलिए ऐसी व्यवस्था जरूरी है जिसमें भले ही किसान के पास व्यक्तिगत रूप से मशीन ना हो लेकिन समूह के पास उपलब्ध मशीन के जरिए उसका काम हो सके। किराए पर मशीन लेकर किसान अपनी जरूरत की पूर्ति कर ले, ऐसी व्यवस्था बननी चाहिए। चौहान ने ‘दलहन आत्मनिर्भरता मिशन’ की भी चर्चा की और कहा कि सरकार इसके जरिए दलहन उत्पादन में बढ़ोतरी के लिए प्रयास कर रही है। जहां दलहन पैदा होगा वहीं ‘दाल मिल’ लगाने के लिए भी सरकार सब्सिडी देगी। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि गेहूं, कनक और धान की सरकार खरीद करती रही है और आगे भी निश्चित रूप से करती रहेगी। लेकिन इसके साथ-साथ मसूर, तूअर, उड़द और चना का भी जितना उत्पादन किसान भाई-बहन करेंगे उसको भी सरकार एमएसपी पर खरीदेगी। किसान के पसीने की पूरी कीमत चुकाई जाएगी। अंत में केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि पंजाब ज्ञान के केंद्र की तरह है। यहां बार-बार आकर सीखने का मन करता है। पंजाब ने खेती में देश को बहुत कछ सिखाया है। पंजाब आकर आनंदित महसूस कर रहा हूं। प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में पंजाब के विकास के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे।

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