जालंधर (तरुण) :- पीसीएम एस.डी. महिला महाविद्यालय, जालंधर की सांस्कृतिक आदान-प्रदान समिति ने भारत सरकार की पहल, एक भारत श्रेष्ठ भारत योजना के अंतर्गत एक वर्चुअल सांस्कृतिक संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य राज्यों के बीच सांस्कृतिक सद्भाव और आपसी शिक्षा को बढ़ावा देना है, जिसमें पंजाब को आंध्र प्रदेश के साथ जोड़ा गया है। इसी भावना को ध्यान में रखते हुए, पीसीएम एस.डी. कॉलेज ने सांस्कृतिक समझ को मज़बूत करने के लिए आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम स्थित राजकीय महिला महाविद्यालय (ए) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। दोनों संस्थानों के लगभग 60 छात्र इस वर्चुअल आदान-प्रदान में अपने विचार साझा करने और एक-दूसरे की परंपराओं और जीवन शैली की समृद्धि का अन्वेषण करने के लिए एक साथ आए। ऐसे समय में जब तकनीक ने भौतिक सीमाओं को कम कर दिया है, इस कार्यक्रम ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे वर्चुअल प्लेटफ़ॉर्म मानवीय संबंधों को गहरा कर सकते हैं और विविधता में एकता के साझा दृष्टिकोण को बढ़ावा दे सकते हैं। कार्यक्रम की शुरुआत सांस्कृतिक आदान-प्रदान समिति की प्रभारी डॉ. संदीप कौर के स्वागत भाषण से हुई। इसके बाद सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ हुईं जिनमें गुनीत (बी.ए. बी.एड. सेमेस्टर I), पूर्णिमा (बी.ए. सेमेस्टर V) और भावना (बी.ए. सेमेस्टर V) ने पंजाबी संस्कृति के जीवंत पहलुओं को प्रदर्शित किया। विशिष्ट अतिथियों में उप-प्राचार्य, सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम के समन्वयक, श्रीकाकुलम के राजकीय महिला महाविद्यालय (ए) के संकाय सदस्य और छात्राएँ शामिल थीं, जिन्होंने आंध्र प्रदेश की संस्कृति और शिक्षा प्रणाली पर विचारप्रधान अंतर्दृष्टि साझा की। कार्यक्रम का समापन सांस्कृतिक आदान-प्रदान समिति की सह-प्रभारी डॉ. इंदु त्यागी के हार्दिक धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिन्होंने अतिथियों, छात्राओं और आयोजकों के प्रति उनकी उत्साहपूर्ण भागीदारी के लिए आभार व्यक्त किया। अध्यक्ष नरेश बुधिया, वरिष्ठ उपाध्यक्ष विनोद दादा, प्रबंध समिति के अन्य सदस्यों और सुयोग्य प्राचार्य डॉ. पूजा पराशर ने इस पहल की सराहना की और इसे अंतर-राज्यीय सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा देने की दिशा में एक उल्लेखनीय कदम बताया। इस कार्यक्रम में न केवल संस्कृतियों की विविधता का जश्न मनाया गया, बल्कि एक भारत श्रेष्ठ भारत – एक एकीकृत, समावेशी और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध भारत – के दृष्टिकोण को भी सुदृढ़ किया गया।
