जालंधर (अरोड़ा) :- एपीजे कॉलेज ऑफ फाइन आर्ट्स, जालंधर के साइकोलॉजी फोरम द्वारा आत्महत्या रोकथाम माह के अवसर पर एक दिवसीय वर्कशॉप और पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस वर्कशॉप में कुमारी श्रेया डोगरा, काउंसलिंग साइकोलॉजिस्ट और माइंड क्लिनिक, जालंधर की संस्थापक, मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित हुईं। इस वर्कशॉप का विषय था: कठिन समय में आशा: आत्महत्या को पहचानें, प्रतिक्रिया दें और रोकें। वर्कशॉप की शुरुआत विभिन्न विभागों के विद्यार्थियों के साथ एक संवादात्मक सत्र से हुई, जिसमें विद्यार्थियों ने आत्मघाती विचारों के लक्षणों, जोखिम कारकों, रोकथाम के प्रयासों और आत्मघाती विचारों के मनोवैज्ञानिक पहलुओं पर चर्चा में भाग लिया। इस सत्र में, आशा की आवाज़, उपचार का मार्ग विषय पर एक पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता ने विद्यार्थियों को अपने विचार व्यक्त करने का एक रचनात्मक अवसर प्रदान किया। इस प्रतियोगिता में बीए सेमेस्टर तृतीय के विद्यार्थी सुखसहजप्रीत सिंह ने प्रथम स्थान, एमए फाइन आर्ट्स की पलक ने द्वितीय स्थान, बीए सेमेस्टर तृतीय की विद्यार्थी नवनीत ढिल्लों ने तृतीय स्थान प्राप्त किया तथा साची चौहान को उनके प्रयासों के लिए संतावन्ना पुरस्कार से सम्मानित किया गया। प्रिंसिपल डॉ. नीरजा ढींगरा ने इस वर्कशॉप के संबंध में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आज की पीढ़ी में जहाँ एक ओर धैर्य की कमी है, वहीं दूसरी ओर कठिन परिस्थितियों का सामना करने पर भी वे पूरी तरह निराश हो जाते हैं और स्वयं को उन परिस्थितियों का सामना करने में सक्षम नहीं समझते। इसीलिए हमारा कॉलेज समय-समय पर संवेदनशील विषयों पर वर्कशॉप का आयोजन करता रहता है ताकि विद्यार्थियों का मानसिक स्वास्थ्य अच्छा बना रहे। समय की सबसे गंभीर चुनौतियों के बीच इस समस्या का समाधान खोजने के लिए साइकोलॉजी फोरम प्रशंसा का पात्र है। डॉ. ढींगरा ने साइकोलॉजी विभाग की मैडम निहारिका मजूमदार और मैडम हरप्रीत कौर के प्रयासों की सराहना की और कहा कि वे इसी तरह विद्यार्थियों को दूसरों के लिए सहयोगी, मददगार, सक्षम, आभारी और जिम्मेदार व्यक्ति के रूप में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती रहें।
