Wednesday , 24 September 2025

डी.ए.वी. यूनिवर्सिटी में दीक्षारंभ 2025 के चौथे दिन शारीरिक तंदुरुस्ती, कानूनी जागरूकता, सतत विकास और संस्कृति को किया गया प्रोत्साहित

जालंधर (अरोड़ा) :- डी.ए.वी. यूनिवर्सिटी, जालंधर में दीक्षारंभ 2025 के चौथे दिन कानूनी जागरूकता, पर्यावरणीय संवेदनशीलता, शारीरिक तंदुरुस्ती और सांस्कृतिक गरिमा का सुंदर संगम देखने को मिला। दिन की शुरुआत अधिवक्ता मेहर सचदेव द्वारा प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेन्सेज एक्ट पर एक प्रभावशाली सत्र के साथ हुई। यह सत्र जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सहयोग से आयोजित किया गया था। अधिवक्ता सचदेव ने छात्रों को इस अधिनियम के अंतर्गत उपलब्ध कानूनी संरक्षण के बारे में जानकारी दी। उन्होंने समय पर रिपोर्ट करने और हस्तक्षेप की महत्ता पर बल देते हुए छात्रों को बच्चों के अधिकारों और सुरक्षा के लिए एंबेसडर बनने के लिए प्रेरित किया। इसके बाद, डॉ. रीना चड्ढा, जनरल मैनेजर, आई.पी.सी.ए. द्वारा वेस्ट मैनेजमेंट पर एक विस्तारपूर्ण और सूचनाप्रद सत्र आयोजित किया गया। अपने रोचक और संवादात्मक सत्र में उन्होंने छात्रों को कूड़ा छांटने, रीसाइक्लिंग और छोटी-छोटी लेकिन नियमित आदतों के ज़रिए पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए प्रेरित किया। इससे पूर्व, डॉ. यशबीर सिंह, डिप्टी डायरेक्टर, स्पोर्ट्स, डी.ए.वी. यूनिवर्सिटी द्वारा स्पोर्ट्स एंड फिटनेस पर एक प्रेरणादायक सत्र आयोजित किया गया। उन्होंने छात्रों को अपनी दिनचर्या में शारीरिक गतिविधियों को शामिल करने और विश्वविद्यालय की खेल सुविधाओं का भरपूर उपयोग करने के लिए उत्साहित किया। दिन का समापन पंजाबी संस्कृति की उत्साहपूर्ण और मनमोहक प्रस्तुति के साथ हुआ। छात्रों ने भांगड़ा और गिद्धा की थाप पर कदम थिरकाए और माहौल को जीवंत एवं अविस्मरणीय बना दिया। प्रो. (डॉ.) मनोज कुमार, कुलपति, डीएवी यूनिवर्सिटी ने कहा: “दीक्षारंभ 2025 छात्रों को एक गतिशील इंडक्शन अनुभव प्रदान करने का प्रयास है, जिसमें कानूनी साक्षरता, पर्यावरणीय चेतना, शारीरिक तंदुरुस्ती और सांस्कृतिक गौरव का समावेश है। हमारा उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि छात्र जिम्मेदार, जागरूक और सर्वांगीण रूप से विकसित नागरिक बनें, जो समाज में सार्थक योगदान दे सकें।” प्रो. (डॉ.) एस.के. अरोड़ा, रजिस्ट्रार, डीएवी यूनिवर्सिटी ने दिनभर आयोजित विभिन्न गतिविधियों की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रकार के अनुभव छात्रों को केवल शैक्षणिक रूप से ही नहीं, बल्कि जीवन के अन्य पहलुओं में भी विकसित करते हैं। उन्होंने सह-पाठयक्रम गतिविधियों की भूमिका को सामाजिक रूप से जिम्मेदार और आत्म-जागरूक व्यक्तित्व के निर्माण में अत्यंत महत्वपूर्ण बताया। डॉ. कमलजीत कौर सिधू, डीन, छात्र कल्याण विभाग ने विश्वविद्यालय की इस प्रतिबद्धता को रेखांकित किया कि वह छात्रों को जानकारीपूर्ण, कानूनी, पर्यावरणीय और सांस्कृतिक सत्रों के माध्यम से बहुआयामी व्यक्तित्व में
विकसित करने हेतु प्रेरित कर रही है। उन्होंने कहा कि ये गतिविधियाँ छात्रों में जागरूकता, अनुशासन और सामाजिक जिम्मेदारी की भावना को विकसित करती हैं।

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