सेल्फ डिफेंस क्लास, प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग और ग्राम स्तरीय जागरूकता कैम्प सहित अन्य पहल शुरू करने का भी निर्देश
जालंधर (अरोड़ा) :- ज़िले भर में महिला सशक्तिकरण को और मज़बूत करने के लिए, डिप्टी कमिश्नर डा.हिमांशु अग्रवाल ने आज विभागों को शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में 18-40 वर्ष आयु वर्ग की महिलाओं को देखभालकर्ता-माँ-शिशु (नान क्लीनिकल) कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने के निर्देश दिए। एक समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए, डा.अग्रवाल ने ज़िला प्रोग्राम अधिकारी और ज़िला रोज़गार एवं कारोबार ब्यूरो को इस प्रोग्राम को तुरंत शुरू करने का निर्देश दिया ताकि महिलाओं को रोज़गार-उन्मुख कौशल हासिल करने और समाज में उनकी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने में मदद मिल सके। ल़डकियों और महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए बहुआयामी पहलों पर प्रकाश डालते हुए, डिप्टी कमिश्नर ने कहा कि जागरूकता फैलाने के लिए ज़िले भर के विभिन्न सार्वजनिक स्थानों पर ल़डकियों के महत्व पर दीवार पेंटिंग और ग्रेफिटी बनाई जाएंगी।


इसके अलावा, मेधावी लड़कियों को स्कूल बैग, स्टील की बोतलें और सर्टिफिकेट देकर सम्मानित किया जाएगा, जबकि प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को खेलों में उनकी भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए ट्रैक सूट, खेल किट और स्पोर्ट्स शू प्रदान किए जाएंगे। लड़कियों में सुरक्षा और आत्म-विश्वास बढ़ाने के लिए, सरकारी हाई और सेकेंडरी स्कूल लड़कियों के लिए आत्मरक्षा कक्षाएं आयोजित की जाएंगी, जिसमें कम से कम 10,000 लड़कियों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य है। इसके साथ ही, 30-30 लड़कियों के चार बैचों को प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग प्रदान करने के लिए कक्षाएं भी आयोजित की जाएंगी। डा.अग्रवाल ने 100 गाँवों में महिला सुरक्षा जागरूकता कैम्प आयोजित करने और ग्राम पंचायत सदस्यों, सरपंचों, स्कूल शिक्षकों, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और पुलिस कर्मियों के लिए बाल सुरक्षा, लैंगिक समानता, जे.जे. एक्ट, पोक्सो एक्ट, प्रोजेक्ट हिफाजत और प्रतिकूल लिंगानुपात के प्रभाव जैसे मुद्दों पर उन्मुखीकरण और जागरूकता सेशन आयोजित करने के निर्देश दिए। इन पहलों का उद्देश्य जालंधर में लड़कियों और महिलाओं के लिए एक सुरक्षित और अधिक सशक्त वातावरण बनाना है।