दिल्ली/जालंधर (ब्यूरो) :- भारत के राष्ट्रीय मापन संस्थान, सीएसआईआर-राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (एनपीएल) ने 6 मई, 2025 को “क्वांटम प्रौद्योगिकियों, मापनों और मानकीकरण के लिए स्वदेशी दृष्टिकोण पर केंद्रित बैठक” की मेजबानी की। बैठक में भारत के तेजी से बढ़ते क्वांटम प्रौद्योगिकी क्षेत्र को सहयोग देने के लिए स्वदेशी मानकों और माप क्षमताओं को विकसित करने की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर विचार-विमर्श करने के लिए विभिन्न मंत्रालयों और संस्थानों के हितधारकों के एक विविध समूह को बुलाया गया था। इस केंद्रित बैठक में 40 से अधिक आमंत्रित प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिनमें एचसीएल के सह-संस्थापक और राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (एनक्यूएम) के मिशन गवर्निंग बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. अजय चौधरी, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-मद्रास (आईआईटी-एम), चेन्नई के निदेशक प्रो. वी. कामकोटि, सीएसआईआर-एनपीएल के निदेशक प्रो. वेणु गोपाल अचंता, अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एएनआरएफ), नई दिल्ली के सीईओ डॉ. शिवकुमार कल्याणरमन और सेना, नौसेना, इसरो, डीआरडीओ, टीआईएफआर मुंबई, आईआईटी-मद्रास, दिल्ली, तिरुपति, आईआईएसईआर-पुणे, बीआईएस-नई दिल्ली, दूरसंचार विभाग-नई दिल्ली, एमईआईटीवाई-नई दिल्ली, टीईसी-नई दिल्ली, डीआईएटी-पुणे, एमसीटीई-महू, सी-डॉट-नई दिल्ली के प्रतिनिधियों के साथ-साथ सीएसआईआर-एनपीएल और आईआईटी-एम प्रवर्तक टेक्नोलॉजीज फाउंडेशन, चेन्नई की टीमें शामिल थीं। प्रतिभागियों ने इस बात पर जोर दिया कि सटीक मापों का विकास, मजबूत मानक और तकनीकी संप्रभुता की खोज विश्वसनीय और भरोसेमंद क्वांटम प्रौद्योगिकियों के निर्माण के लिए मौलिक हैं। इस बात पर जोर दिया गया कि राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण प्रयासों को आगे बढ़ाने, व्यावसायिक अवसरों को बढ़ावा देने और क्वांटम प्रौद्योगिकी की व्यावहारिक उपयोगिता सुनिश्चित करने के लिए घरेलू क्वांटम दृष्टिकोण, क्षमताएं और उन्नति आवश्यक हैं। प्रतिभागियों ने विचार-विमर्श किया और क्षेत्र में विशिष्ट मानकों की आवश्यकता पर विशेष बल दिया। यह आयोजन मेट्रोलॉजिस्ट, क्वांटम प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों, रणनीतिक क्षेत्र के अग्रणियों और नीति निर्माताओं के बीच विशेषज्ञ संवाद के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है। बैठक में स्वदेशी क्वांटम प्रौद्योगिकियों के विकास और तैनाती में तेजी लाने और एक आत्मनिर्भर क्वांटम प्रौद्योगिकी इको-सिस्टम को प्रोत्साहित करने के लिए नीतिगत रूपरेखा तैयार करने के लिए रणनीतिक सहयोग पर चर्चा की गई। चर्चा का मुख्य विषय भारत में क्वांटम प्रौद्योगिकियों को सुचारू रूप से अपनाने और आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक चार स्तंभों- लक्षण-निर्धारण/अंशांकन, मानकीकरण, सत्यापन और प्रमाणन का खास महत्व था। कई अग्रणी व्यक्तियों ने विचार व्यक्त किया कि महत्वाकांक्षी और भविष्य के एनक्यूएम कार्यक्रम के तहत उभरती क्वांटम प्रौद्योगिकियों के मानकीकरण की तत्काल आवश्यकता को देखते हुए सीएसआईआर-एनपीएल को एनक्यूएम में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। सीएसआईआर-एनपीएल के निदेशक प्रो. वेणु गोपाल अचंता ने “क्वांटम मेट्रोलॉजी और क्वांटम प्रौद्योगिकियों के लिए मेट्रोलॉजी” पर मुख्य भाषण दिया। उन्होंने राष्ट्रीय मानकों के संरक्षक के रूप में भारत के राष्ट्रीय गुणवत्ता बुनियादी ढांचे में एनपीएल की भूमिका की समीक्षा की। प्रो. अचंता ने भारत के क्वांटम प्रौद्योगिकी इको-सिस्टम के विकास में क्वांटम मेट्रोलॉजी और मानकीकरण के महत्व पर बल दिया। उन्होंने एनपीएल की अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों और नए क्वांटम मानकों को विकसित करने के प्रयासों को भी प्रस्तुत किया और चल रहे एनक्यूएम में सीएसआईआर-एनपीएल को सम्मिलित करने का समर्थन किया। एचसीएल के सह-संस्थापक और राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (एनक्यूएम) के मिशन अधिशासी बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. अजय चौधरी ने “प्रमाणन और विशेषता के माध्यम से क्वांटम प्रौद्योगिकियों में स्वदेशीकरण को प्रोत्साहन” विषय पर मुख्य भाषण दिया। डॉ. चौधरी ने एनक्यूएम के सफल परिणाम के लिए मेट्रोलॉजी और मानकीकरण के महत्व को दोहराया। उन्होंने भारत के क्वांटम अनुसंधान एवं विकास, स्टार्टअप और सशस्त्र बलों को प्रोत्साहन देने के लिए भारतीय मानकों, मेट्रोलॉजी, मान्यता और प्रमाणन द्वारा समर्थित स्वदेशी क्वांटम प्रौद्योगिकियों के माध्यम से प्रौद्योगिकी संप्रभुता की आवश्यकता पर बल दिया। डॉ. चौधरी ने एनपीएल, सी-डॉट और प्रवर्तक सहित एनक्यूएम के तहत संस्थानों से एक नीति ढांचे पर सहयोग करने का आग्रह किया, जो एनक्यूएम के आवश्यक घटकों के रूप में मेट्रोलॉजी और मानकीकरण को एकीकृत करता है, विशेष रूप से सीएसआईआर-एनपीएल को शामिल करने का समर्थन करता है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-मद्रास (आईआईटी-एम), चेन्नई के निदेशक प्रो. वी. कामकोटि ने “क्वांटम प्रौद्योगिकी में प्रगति में सहायता के लिए कंप्यूटर वैज्ञानिक और मेट्रोलॉजिस्ट के सहयोग” विषय पर मुख्य भाषण दिया। प्रो. कामकोटि ने क्वांटम कंप्यूटर और क्वांटम संचार प्रणालियों के स्वदेशी विकास और मानकीकरण पर बल दिया। भारतीय सशस्त्र बलों का प्रतिनिधित्व मेजर जनरल सुभाशीष दास (सेना) और रियर एडमिरल टी. अजीत (नौसेना) ने किया, जिन्होंने क्वांटम प्रौद्योगिकियों को अपनाने के अपने प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने प्रासंगिक क्वांटम समाधानों को विकसित करने और उन्हें लागू करने के लिए अनुसंधान एवं विकास संस्थानों और सेना के बीच सहयोग की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया, विशेष रूप से सुरक्षित संचार और क्वांटम क्रिप्टोग्राफी के लिए भारत-विशिष्ट मानकों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। सी-डॉट और टीईसी के प्रतिनिधियों ने आगामी क्वांटम प्रौद्योगिकियों के लिए आवश्यक भारत-विशिष्ट मानकों और प्रासंगिक दस्तावेजीकरण को विकसित करने के लिए सीएसआईआर-एनपीएल के साथ साझेदारी में अपनी दृढ़ इच्छा व्यक्त की। कई मुख्य भाषणों और तकनीकी वार्ताओं के बाद एक ध्यानाकर्षण पैनल चर्चा हुई। पैनल चर्चा में, सभी सदस्यों ने एकमत होकर “सशक्त” और “आत्मनिर्भर” भारत के लिए क्वांटम प्रौद्योगिकियों और उनके मानकों के साथ-साथ मेट्रोलॉजी के स्वदेशी विकास की आवश्यकता पर सहमति व्यक्त की।
