13 राज्यों से 550 से अधिक प्रतिभागियों ने तकनीकी सत्रों में 450 शोध पत्र प्रस्तुत किए
जालंधर (अरोड़ा) :- आई.के. गुजराल पंजाब तकनीकी विश्वविद्यालय (आईकेजी पीटीयू) ने महाराजा अग्रसेन विश्वविद्यालय, बद्दी (एमएयू) एवं बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय, रोहतक (बीएमयू) के सहयोग से भारतीय ज्ञान प्रणाली “गौरवशाली अतीत से उज्ज्वल भविष्य तक” विषय पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया। सम्मेलन का आयोजन मिश्रित (ऑनलाइन एवं ऑफलाइन) मोड में किया गया है। सम्मेलन में प्रबंधन, कानून, बुनियादी एवं अनुप्रयुक्त विज्ञान, इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी, फार्मेसी और सामाजिक विज्ञान के विषयों में शोध पत्र आमंत्रित किए गए! सम्मेलन में पंजाब, हरियाणा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ सहित 13 राज्यों से 550 से अधिक प्रतिभागियों द्वारा तकनीकी सत्रों में 450 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत किए गए! यहां यह भी ध्यान देने योग्य है कि ये शोधपत्र 6 संपादित पुस्तकों में प्रकाशित किये जायेंगे। सम्मेलन की शुरुआत उद्घाटन सत्र से हुई, जिसमें आई.के.जी पी.टी.यू की टीम ने ऑनलाइन मोड पर हिस्सा लिया। उद्घाटन सत्र में बी.एम.यू के चांसलर महंत बालकनाथ योगी जी मुख्य अतिथि थे एवं गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर के कुलपति प्रो. (डॉ.) करमजीत सिंह मुख्य अतिथि थे। टेक्सिला अमेरिकन यूनिवर्सिटी, जाम्बिया के कुलपति प्रो. अजय पोद्दार ने मुख्य वक्ता के रूप में भाग लिया। आईकेजी पीटीयू के कुलपति प्रो. (डॉ.) सुशील मित्तल, जिन्होंने पंजाब, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा के तीन विश्वविद्यालयों द्वारा सम्मेलन की परिकल्पना एवं प्लानिंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, ने समकालीन शिक्षा प्रणाली में भारतीय ज्ञान प्रणाली के महत्व तथा यह कैसे आम लोगों के जीवन की गुणवत्ता को बदल सकती है, इस पर चर्चा की। उन्होंने इस सम्मेलन के लिए अपना दृष्टिकोण साझा किया।


कुलपति प्रो. (डॉ.) मित्तल एवं आईकेजीपीटीयू के रजिस्ट्रार डॉ. एस के मिश्रा ने सम्मेलन की शानदार सफलता के लिए एमएयू के कुलपति प्रो. (डॉ.) आर के गुप्ता, बीएमयू के कुलपति प्रो. (डॉ.) एचएल वर्मा और तीन विश्वविद्यालयों की आयोजन टीमों को बधाई दी। आईकेजी पीटीयू के डीन अकादमिक प्रो. (डॉ.) विकास चावला ने आईकेएस के महत्व पर चर्चा की, जिसमें गणित, खगोल विज्ञान, चिकित्सा, दर्शन और पारिस्थितिकी सहित कई विषयों को शामिल किया गया है, जो भारत की बौद्धिक विरासत की गहराई और विविधता को दर्शाता है। प्रख्यात वक्ताओं में जेएनयू, दिल्ली के पूर्व डीन प्रो. सुधीर आर्य, एमएयू के चांसलर डॉ. नंद किशोर गर्ग और परियोजना निदेशक सुरेश गुप्ता ने भारतीय ज्ञान प्रणाली के बारे में अपने दृष्टिकोण को साझा किया और इस सम्मेलन के सफल आयोजन के लिए तीनों विश्वविद्यालयों को बधाई दी। महंत बालकनाथ योगी जी को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया। डॉ. पंकज नांगलिया, रजिस्ट्रार, एमएयू ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा। सत्र का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ। उद्घाटन सत्र के बाद प्रबंधन, कानून, बुनियादी और अनुप्रयुक्त विज्ञान, इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी, फार्मेसी और सामान्य और सामाजिक विज्ञान पर छह समानांतर तकनीकी सत्र आयोजित किए गए, जहां विभिन्न क्षेत्रों के शोधकर्ताओं ने अपने शोध कार्य प्रस्तुत किए।