जालंधर (अरोड़ा) :- कन्या महा विद्यालय (स्वायत्त) ने एआईसीटीई ट्रेनिंग एंड लर्निंगके सहयोग से “इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्सः फोस्टरींग रिसर्च के एंड एंटरप्रेन्योरशिप” विषय पर एक सप्ताह लंबे फैकल्टी विकास कार्यक्रम का सफलतापूर्वक शुभारंभ किया। उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि प्रो. सुधीर कुमार आर्य, प्रोफेसर, संस्कृत और भारतीय अध्ययन विभाग, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली थे। कार्यक्रम के अध्यक्ष आलोक सोंधी, महासचिव, केएमवी प्रबंध समिति थे।कार्यक्रम की शुरुआत प्रिंसिपल प्रो. अतीमा शर्मा द्विवेदी के उद्घाटन भाषण से हुई। उन्होंने सम्मानित अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत किया। प्रिंसिपल महोदया ने आज के समय में बौद्धिक संपदा अधिकारों के बढ़ते महत्व पर प्रकाश डाला और बताया कि किस तरह केएमवी इस क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रहा है, अपने शिक्षकों और छात्रों को अधिक आईपीआरआवेदन करने के लिए प्रेरित कर रहा है।उद्घाटन भाषण प्रो. सुधीर कुमार आर्य ने दिया, जिसमें उन्होंने शिक्षकों और छात्रों के लिए बौद्धिक संपदा अधिकारों के महत्व पर चर्चा की।


अध्यक्षीय भाषण आलोक सोंधी ने दिया, जिसमें उन्होंने केएमवी द्वारा आईपीआरऔर पेटेंट दाखिल करने की संस्कृति को बढ़ावा देने की भूमिका पर प्रकाश डाला।पहला सत्र डॉ. आर्य ने “अनुसंधान और नवाचार में बौद्धिक संपदा अधिकारों की प्रासंगिकता” पर लिया। उन्होंने शैक्षणिक, अनुसंधान, नवाचार और उद्यमिता के क्षेत्र में बौद्धिक संपदा अधिकारों के महत्व पर चर्चा की। डॉ. आर्य ने कॉपीराइट उल्लंघन के परिणामों और उसे रोकने के तरीकों पर भी बात की। उनके द्वारा साझा किए गए वास्तविक जीवन के उदाहरणों ने सत्र को बहुत रोचक और आकर्षक बना दिया।दूसरे सत्र के संसाधन व्यक्ति डॉ. कुलदीप सिंह नागला, प्रोफेसर, एनआईटी जालंधर थे। उन्होंने सरल और स्पष्ट रूप से आईपीआरदाखिल करने की प्रक्रिया पर बात की। उन्होंने अपने व्याख्यान को तथ्यों और जानकारी के साथ रोचक बनाया, जिसमें पेटेंट, कॉपीराइट और औद्योगिक डिजाइनों की जानकारी शामिल थी। दूसरे सत्र के बाद प्रतिभागियों के लिए एक “हैंड्स-ऑन ट्रेनिंग” सत्र भी आयोजित किया गया, जो उनके लिए बहुत लाभकारी अनुभव रहा। धन्यवाद प्रस्ताव एफडीपी की सह-समन्वयक डॉ. नरिंदरजीत कौर ने प्रस्तुत किया।प्रिंसिपल महोदया ने पूरे आयोजन समिति के प्रयासों की सराहना की और कार्यक्रम की सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त की। यह उल्लेखनीय है कि एफडीपी के दूसरे दिन भी प्रमुख विद्वानों की उपस्थिति देखी जाएगी।