Wednesday , 15 January 2025

स्वर्णजयंती वर्ष पर उपलब्धियों का जश्न मनाते हुए नई चुनौतियों का सामना करते हुए आगेबढ़ना ही लक्ष्य होना चाहिए: सुषमा पॉल बर्लिया

जालंधर (अरोड़ा) :- एपीजे कॉलेज ऑफ फाइन आर्ट्स जालंधर पिछले 50 वर्षों से निरंतर सफलता की सीढ़ियां चढ़ता हुआ एक नए इतिहास को रच रहा है। कॉलेज के स्वर्ण जयंती वर्ष की शुरुआत हवन-यज्ञ एवं सरस्वती वंदना के साथ की गई। इस अवसर विशेष पर एपीजे एजुकेशन एवं एपीजे सत्या एंड स्वर्ण ग्रुप की अध्यक्ष तथा एपीजे सत्या यूनिवर्सिटी की चांसलर कर्मनिष्ठ, दूरदर्शी, अनुशासनप्रिय सुषमा पॉल बर्लिया ने आनलाइन अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि चाहे मैं वर्चुअल मोड पर ही आपसे जुड़ी हूं पर मुझे जो गर्व एवं आनंद की अनुभूति आप सबको देखकर हो रही है इसका मैं शायद शब्दों में बयान नहीं कर सकती।

मैडम बर्लिया ने कहा कि मकर संक्रांति के दिन कॉलेज की स्वर्णजयंती वर्ष के कार्यक्रमों का आगाज़ करना बहुत ही शुभ है क्योंकि यह त्यौहार प्रकाश का त्यौहार है खुशी का त्यौहार है, उन्होंने कहा कि एपीजे एजुकेशन के संस्थापक अध्यक्ष डॉ सत्यपॉल ने राजेश्वरी पॉल की प्रेरणा से ललित कलाओं को उन्नत बनाने के लिए इस संस्था की नींव डाली थी जो आज वटवृक्ष के रूप में फल फूल रहा है, आज जिन वोकेशनल पाठ्यक्रमों की हम बात करना शुरू हुए हैं उनकी जरूरत का एहसास डॉ सत्यपाॅल जी को 50 वर्ष पहले ही हो गया था। उन्होंने कहा हमारा उद्देश्य एपीजे शिक्षण संस्थानों में विद्यार्थियों के शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, आध्यात्मिक एवं बौद्धिक विकास को एक साथ करना है ताकि उन्हें एक अच्छे इंसान बना कर उनका सर्वांगीण विकास किया जा सके। मैडम बर्लिया ने कहा कि एपीजे कॉलेज की प्राचार्य रह चुकी डॉ सुचरिता शर्मा, डॉ अरुण मिश्रा एवं डॉ अमिता मिश्रा के निर्देशन में कॉलेज ने सफलता के नए आयाम स्थापित किए हैं। कॉलेज की स्वर्णजयंती वर्ष के अवसर पर वर्चुअल लोगो भी रिलीज किया गया। प्राचार्य डॉ नीरजा ढींगरा ने इस अवसर पर सुषमा पॉल बर्लिया का विद्यार्थियों को संबोधित करने के लिए आभार भी व्यक्त किया तथा उन्होंने एपीजे एजुकेशन की निदेशक डॉ सुचरिता शर्मा , एपीजे इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट एंड टैक्निकल कैपस के निदेशक डॉ राजेश बग्गा एवं इस समय पर उपस्थित मोटिवेशनल स्पीकर डॉ उदयन आर्य का स्वागत भी किया।

डॉ उदयन आर्य ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि ऑनलाइन टीचिंग की बजाय प्रत्यक्ष रूप से रूबरू होकर पढ़ाना आपके अंतर्मन को छू जाता है। डॉ आर्य ने कहा कि हमें प्रतिस्पर्धा ना करते हुए अनुस्पर्धा करनी चाहिए यानी हमें पिछले कल से आज अपने बेहतर होने के लिए कार्यरत होना चाहिए तभी हम जीवन में वास्तविक खुशी का आनंद ले सकते हैं। बीवॉक कंटेंपरेरी फॉर्म आफ डांस के विद्यार्थियों ने कॉलेज की थीम सॉन्ग पर शानदार नृत्य की प्रस्तुति करते हुए सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। अंग्रेजी विभाग की अध्यक्ष डॉ सुनीत कौर एवं पंजाबी विभाग से मैडम लवप्रीत कौर ने श्रेष्ठ मंच संचालन करते हुए इस कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।कार्यक्रम के सफल संचालन के लिए डॉ ढींगरा ने कार्यक्रम प्रभारी डॉ अमिता मिश्रा, डॉ मोनिका आनंद एवं डॉ पायल अरोड़ा के प्रयासों की भरपूर सराहना की।

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