केएमवी में दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का सफलतापूर्वक समापन किया

700 से अधिक छात्राओं ने कार्यशाला में लिया भाग

जालंधर (मोहित अरोड़ा) :- कन्या महा विद्यालय (स्वायत्त) ने “ज़ीरो-वेस्ट प्रैक्टिस और लो-कॉस्ट टीचिंग एड्स” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का सफलतापूर्वक समापन किया। विद्यालय के प्राध्यापकों डॉ. प्रदीप अरोड़ा एवं डॉ. हरप्रीत कौर को नेशनल काउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी कम्युनिकेशन (एन.सी.एस.टी.सी.) डिपार्टमेंट ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, भारत सरकार के द्वारा डेवलपिंग लो कॉस्ट टीचिंग एड्स इन प्रमोटिंग सस्टेनेबल वेस्ट मैनेजमेंट: स्वच्छ भारत पैरेडाइम्स विषय पर आधारित प्रदान किए गए रिसर्च प्रोजेक्ट के अंतर्गत आयोजित हुई इस वर्कशॉप में प्राचार्या प्रो. (डॉ.) अतीमा शर्मा द्विवेदी ने उद्घाटन संबोधन में सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए स्वच्छ भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सतत कचरा प्रबंधन की आवश्यकता और महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने युवाओं को स्वच्छ भारत और एक उभरते भारत के संकल्प को मजबूत करने के लिए प्रेरित किया। कार्यशाला के मुख्य वक्ता के रूप में, सरकारी वरिष्ठ माध्यमिक स्मार्ट स्कूल, कल्याण, पटियाला के भौतिकी प्राध्यापक और शिक्षा रत्न डॉ. जसविंदर सिंह ने विज्ञान और दैनिक जीवन के बीच संबंधों पर एक गहन चर्चा की। उन्होंने स्वच्छता और पर्यावरणीय स्वच्छता के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कम लागत वाले शिक्षण उपकरणों का उपयोग करके ज्ञान के प्रसार पर बल दिया। अपने प्रेजेंटेशन में उन्होंने पर्यावरणीय चुनौतियों के समाधान में वैज्ञानिक ज्ञान की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने यह भी बताया कि कचरा प्रबंधन, प्रदूषण नियंत्रण और पर्यावरण संरक्षण के लिए वैज्ञानिक प्रगति और पद्धतियों का उपयोग कैसे किया जा सकता है। कार्यक्रम में दूरदर्शन की प्रसिद्ध एंकर और आकाशवाणी की रेडियो जॉकी बरुण कौर मान ने प्लास्टिक के टूथब्रश के बजाय बांस के टूथब्रश के उपयोग के लाभों पर चर्चा की। उन्होंने प्लास्टिक कचरे के पर्यावरणीय प्रभावों पर प्रकाश डालते हुए स्थायी विकल्पों की आवश्यकता पर जोर दिया। इसके अलावा, प्रतिष्ठित पर्माकल्चर डिजाइनर ज्योत्सना जैन ने प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग पर एक सारगर्भित प्रस्तुति दी। उन्होंने यह बताया कि वर्तमान में ये संसाधन विभिन्न उत्पादों और सेवाओं के उत्पादन में कैसे उपयोग किए जा रहे हैं और पर्यावरण संरक्षण तथा संसाधनों के जिम्मेदार प्रबंधन के लिए स्थायी प्रथाओं को अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया। गौरतलब है कि इस कार्यशाला में 700 से अधिक छात्राओं ने भाग लिया। इनमें जालंधर के विभिन्न स्कूलों जैसे एस.एस.एस.एस. लंबा पिंड, एस.एस.एस.एस. चौगिट्टी, एस.ओ.ई. मक्सूदां, एस.एस.एस.एस. गांधी कैंप, एस.एस.एस.एस. रंधावा मसंदा, सेठ हुकुम चंद एस.डी. पब्लिक स्कूल (सोडल रोड), और सदा सुख चोपड़ा पब्लिक स्कूल के छात्र शामिल थे। कार्यशाला के सफल आयोजन के लिए प्राचार्या महोदया ने डॉ. प्रदीप अरोड़ा (विभागाध्यक्ष, एआई एवं डेटा साइंस विभाग), डॉ. हरप्रीत कौर (विभागाध्यक्ष, पी.जी. फैशन डिजाइनिंग विभाग), शोध सहयोगी सुश्री हरलीन और पूरी आयोजन समिति की सराहना की।

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