Wednesday , 24 December 2025

चार साहिबज़ादों के सर्वोच्च बलिदान को नमन करते हुए सीटी ग्रुप शाहपुर में कविश्री समागम का आयोजन

जालंधर (अरोड़ा) :- सीटी ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूशंस, शाहपुर कैंपस में चार साहिबज़ादों के सर्वोच्च बलिदान को नमन करते हुए कविश्री समागम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर अत्याचार के सामने उनके अतुलनीय साहस, अडिग आस्था और शहादत को श्रद्धापूर्वक स्मरण किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य साहिबज़ादों द्वारा झेली गई अपार कठिनाइयों और उन बलिदानों पर चिंतन करना था, जिनके कारण सिक्ख मूल्यों और पहचान की रक्षा व सुदृढ़ता संभव हो सकी। प्रभावशाली कविश्री प्रस्तुतियों के माध्यम से विद्यार्थियों और कलाकारों ने सिक्ख इतिहास के मार्मिक प्रसंगों का सजीव वर्णन किया, जिसमें साहिबज़ादों की वीरता, धर्मनिष्ठा और आध्यात्मिक दृढ़ता को उजागर किया गया। कविश्री—सिक्ख परंपरा की एक सम्मानित काव्य कला—ने इतिहास के जीवंत माध्यम के रूप में पवित्र कथाओं को संजोया, सांस्कृतिक गौरव को सुदृढ़ किया और युवा पीढ़ी को आस्था व न्याय की रक्षा हेतु दिए गए बलिदानों की गहराई से परिचित करवाया। कार्यक्रम में कविशरी और कविता की प्रासंगिकता को समयातीत कला रूपों के रूप में रेखांकित किया गया, जो न केवल ऐतिहासिक घटनाओं का वर्णन करती हैं, बल्कि नैतिक साहस और सामूहिक चेतना को भी जागृत करती हैं।

ऐसी पारंपरिक अभिव्यक्तियाँ आज की युवा पीढ़ी को अपनी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक जड़ों से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। कविश्री समागम के पश्चात गतका की प्रस्तुतियाँ दी गईं, जिनमें सिक्खों की पारंपरिक मार्शल आर्ट के माध्यम से अनुशासन, आत्मरक्षा और आध्यात्मिक दृढ़ता का संदेश प्रस्तुत किया गया। गतका पंजाब की विरासत का अभिन्न अंग है, जो उस शौर्य और तत्परता का प्रतीक है, जिसके बल पर सिक्खों ने अत्याचारों का सामना किया और अपने धर्म व समुदाय की रक्षा की। कार्यक्रम में दूध के लंगर का वितरण भी किया गया, जिसने सिक्ख परंपरा में लंगर की केंद्रीय भूमिका को रेखांकित किया। लंगर समानता, निःस्वार्थ सेवा और एकता का सशक्त प्रतीक है, जो ‘सरबत दा भला’—सभी के कल्याण—के सिद्धांत को सुदृढ़ करता है। कविश्री, गतका और लंगर के समन्वय ने सिक्ख विरासत की आत्मा को जीवंत कर दिया, जो चार साहिबज़ादों द्वारा प्रदर्शित त्याग, धैर्य और अटूट संकल्प को प्रतिबिंबित करता है।

ऐसी सांस्कृतिक अभिव्यक्तियाँ धर्म और न्याय की रक्षा हेतु आवश्यक नैतिक शक्ति की स्थायी स्मृति के रूप में कार्य करती हैं। इस अवसर पर सीटी ग्रुप प्रबंधन की उपस्थिति रही, जिसमें मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. मनबीर सिंह, वाइस चेयरमैन हरप्रीत सिंह, डायरेक्टर ऑफ़ कैंपस डॉ. शिव कुमार, सीटी ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूशंस शाहपुर कैंपस तथा सीटी यूनिवर्सिटी के डीएसडब्ल्यू डॉ. अर्जन सिंह और देविंदर सिंह शामिल थे। सभी ने इस पहल की सराहना की और विद्यार्थियों को अपनी सांस्कृतिक व आध्यात्मिक विरासत से जुड़े रहने के लिए प्रेरित किया। इस अवसर पर आयोजकों ने कहा कि सिक्ख इतिहास के संरक्षण और उसकी मूल्यों को आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाने के लिए ऐसे कार्यक्रम अत्यंत आवश्यक हैं। उन्होंने बताया कि कविश्री समागम जीवंत कक्षाओं की भाँति कार्य करते हैं, जो कला, स्मरण और सामुदायिक सहभागिता के माध्यम से चार साहिबज़ादों की विरासत को जीवित रखते हैं। इस पहल के माध्यम से सीटी ग्रुप ने मूल्य-आधारित शिक्षा, सांस्कृतिक संरक्षण और पंजाब की समृद्ध सिक्ख विरासत के संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को पुनः दृढ़ किया।

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