जालंधर (अरोड़ा) :- शैक्षणिक विद्वत्ता और प्रगतिशील चिंतन के उत्सव के रूप में, डी.ए.वी. विश्वविद्यालय, जालंधर ने हाल ही में “ब्रेकिंग बाइनरीज़: जेंडर-न्यूट्रल टर्मिनोलॉजी एंड प्रैक्टिसेज़” नामक पुस्तक का विमोचन किया, जिसके लेखक डी.ए.वी. कॉलेज जालंधर के प्राचार्य डॉ. राजेश कुमार, उप-प्राचार्या प्रो. सोनिका दानिया और सहायक प्रोफेसर डॉ. प्रदीप कौर राजपाल हैं। यह अभूतपूर्व कृति समावेशी और न्यायसंगत सामाजिक परिवेश को आकार देने में भाषा की परिवर्तनकारी शक्ति का अन्वेषण करती है। यह पुस्तक शैक्षणिक संस्थानों और समाज के लिए पारंपरिक लैंगिक मानदंडों को चुनौती देने वाली संचार पद्धतियों को अपनाने की तत्काल आवश्यकता पर बल देती है। लैंगिक-तटस्थ शब्दावली के गहन अध्ययन के माध्यम से, लेखक यह विश्लेषण करते हैं कि भाषा किस प्रकार पहचान, अभिव्यक्ति और सामाजिक अंतःक्रिया को आकार देती है, जिससे सहानुभूति, पारस्परिक सम्मान और सामाजिक न्याय को बढ़ावा मिलता है। सैद्धांतिक अंतर्दृष्टि को व्यावहारिक मार्गदर्शन के साथ जोड़ते हुए, यह पुस्तक शिक्षकों, छात्रों, शोधकर्ताओं और नीति निर्माताओं के लिए एक आवश्यक संसाधन के रूप में कार्य करती है, जो अकादमिक उत्कृष्टता और सामाजिक ज़िम्मेदारी के प्रति सांझी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। इस पुस्तक का औपचारिक उद्घाटन आर्य रत्न पूनम सूरी, पद्म पुरस्कार विजेता, कुलाधिपति, डी.ए.वी. विश्वविद्यालय, जालंधर और अध्यक्ष, डी.ए.वी. कॉलेज प्रबंध समिति, नई दिल्ली द्वारा 15 दिसंबर, 2025 को किया गया।


इस कार्यक्रम में डी.ए.वी. कॉलेज प्रबंध समिति के विशिष्ट सदस्यों की गरिमामय उपस्थिति से और भी शोभा बढ़ी, जिनमें उपाध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रीतम पाल, डॉ. हर्ष महाजन, अनिल कुमार राव, अजय सूरी, महासचिव, डी.ए.वी., सीएमसी; डॉ. अनूप वत्स, मुख्य समन्वयक, डी.ए.वी., सीएमसी; प्रो. (डॉ.) एस. एस. जोहल, डॉ. पी. एस. जायसवाल; डॉ. मनोज कुमार, कुलपति, डी.ए.वी. विश्वविद्यालय; सलाहकार जुनेश काकड़िया; अजय गोस्वामी, अरविंद घई; बाल कृष्ण मित्तल, सचिव, डी.ए.वी. सीएमसी; और जे. पी. शोर, सदस्य, डी.ए.वी. सीएमसी शामिल थे। मणि सूरी, योगी सूरी और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे। हिन्द समाचार प्रकाशन समूह के प्रधान संपादक विजय कुमार चोपड़ा, डी.ए.वी. विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ. संजीव कुमार अरोड़ा, साथ ही कई अन्य प्रतिष्ठित अतिथि, गर्वनिंग बॉडी के सदस्य और प्रबंधन बोर्ड के सदस्य, डी.ए.वी. कॉलेज प्रबंध समिति, नई दिल्ली उपस्थित थे। पुस्तक के विषय और महत्व पर चर्चा करते हुए, डॉ. राजेश कुमार ने समावेशी और न्यायसंगत सामाजिक परिवेश को बढ़ावा देने में इसकी परिवर्तनकारी क्षमता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि लिंग-तटस्थ शब्दावली उन स्थापित भाषाई परंपराओं और कठोर द्वंद्वों को चुनौती देती है जो अक्सर पहचान और अभिव्यक्ति को सीमित करते हैं। उन्होंने आगे इस बात पर बल दिया कि भाषा केवल संचार का साधन नहीं है, बल्कि एक सामाजिक संरचना है जो सहानुभूति, गरिमा, पारस्परिक सम्मान और सामाजिक सद्भाव को पोषित करने में सक्षम है। प्रोफेसर सोनिका दानिया ने कहा कि आर्य रतन पूनम सूरी द्वारा किया गया उद्घाटन लेखकों और कॉलेज के लिए गौरव का क्षण था।
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