जालंधर (अरोड़ा) :- पीसीएम एस.डी. कॉलेज फॉर विमेन, जालंधर के गुरु नानक अध्ययन केंद्र ने पंजाबी विभाग और इतिहास विभाग के सहयोग से गुरु नानक देव जी की 557वीं जयंती के उपलक्ष्य में ‘गुरु नानक बानी: सार्वभौमिक एकजुटता’ विषय पर एक विशेष अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया। इस अवसर पर डॉ. मलकियत सिंह (सहायक प्रोफेसर, पंजाबी विभाग, ट्रिनिटी कॉलेज, जालंधर) ने वक्ता के रूप में भाग लिया। डॉ. मलकियत सिंह ने श्रोताओं को संबोधित करते हुए सार्वभौमिक एकजुटता के संदर्भ में गुरु जी की शिक्षाओं पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि धर्म के मामले में धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है, जबकि मानवता ही सबसे बड़ा धर्म है। हालाँकि, सोशल मीडिया के प्रभाव में धार्मिक मानदंडों का उल्लंघन हो रहा है, जो अनैतिकता के समान है, इसलिए हमें पाठ और पूजा करते समय अपनी नैतिकता को अक्षुण्ण रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को ‘शब्द ज्ञान’ से परिचित होना चाहिए और इसके असीम प्रभाव से जुड़ने के लिए इसे पढ़ने की प्रवृत्ति होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे क्रांतिकारी गुरु हुए जिन्होंने हर वर्ग के सामाजिक हितों और अधिकारों के लिए संघर्ष किया और प्रकृति के प्रति प्रेम और देखभाल का संदेश दिया। इसलिए, एक सामंजस्यपूर्ण और न्यायपूर्ण समाज का निर्माण करना हमारा नैतिक कर्तव्य है। अध्यक्ष नरेश बुधिया, वरिष्ठ उपाध्यक्ष विनोद दादा, प्रबंध समिति के अन्य माननीय सदस्यों और प्राचार्या डॉ. पूजा पराशर ने गुरु नानक अध्ययन केंद्र और पंजाबी एवं इतिहास विभाग द्वारा की गई विशेष पहल की सराहना की।
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