स्वस्थ खान-पान, रचनात्मकता और सामुदायिक भलाई को बढ़ावा देने की एक प्रेरणादायक पहल
जालंधर (अरोड़ा) :- सी टी यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ होटल मैनेजमेंट एंड टूरिज़्म (SOHMAT) ने इंटरनेशनल शेफ्स डे 2025 को एक विशेष सामाजिक पहल के रूप में बाल घर, टलवंडी, लुधियाना में मनाया। यह आयोजन पंजाब सोशल होम प्रशासन के सहयोग से किया गया था। इस कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों को संतुलित आहार और स्वस्थ खाने की आदतों के बारे में जागरूक करना था। इस दौरान छात्रों और शेफ्स ने बच्चों से बातचीत कर उन्हें बताया कि कैसे रोजमर्रा के साधारण और पौष्टिक भोजन से शरीर और मन दोनों को स्वस्थ रखा जा सकता है।




“खिचड़ी – भारत की अंतरराष्ट्रीय डिश” : एकता, सादगी और पोषण का प्रतीक कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण था खिचड़ी और भारतीय रायता की तैयारी, जिसे “भारत की अंतरराष्ट्रीय डिश” कहा गया।
यह व्यंजन इस बात का प्रतीक था कि कैसे अलग-अलग सामग्री मिलकर एक स्वादिष्ट, पौष्टिक और एकता का संदेश देने वाला भोजन बना सकती है।
SOHMAT टीम ने बच्चों के लिए ताज़े और हेल्दी सलाद भी तैयार किए, जिससे उन्हें यह सिखाया गया कि पौष्टिक भोजन भी स्वादिष्ट और बनाने में आसान हो सकता है। बच्चों ने इन व्यंजनों का आनंद लिया और साथ ही स्वस्थ भोजन के महत्व पर चर्चा में भी भाग लिया।



यह पहल इंटरनेशनल शेफ्स डे 2025 की थीम के साथ पूरी तरह मेल खाती थी — “स्वास्थ्य, रचनात्मकता और सामुदायिक भलाई” को बढ़ावा देना। सी टी यूनिवर्सिटी की प्रो वाइस चांसलर डॉ. सिमरनजीत कौर गिल ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा – “यह आयोजन SOHMAT की सामाजिक जिम्मेदारी और प्रायोगिक शिक्षा के प्रति समर्पण को दर्शाता है। हमारे छात्रों का यह जज़्बा सराहनीय है कि वे अपने कौशल का उपयोग समाज के कल्याण के लिए कर रहे हैं।”
वहीं, डीन शेफ (डॉ.) आशीष रैना ने कहा –“एक कुकरी प्रोफेशनल के रूप में हमारा कर्तव्य है कि हम बच्चों को स्वस्थ खाने के प्रति जागरूक करें। ऐसे कार्यक्रमों के ज़रिए हम उन्हें सिखाना चाहते हैं कि भोजन बनाना न केवल ज़रूरत है बल्कि एक खुशी और सीखने की प्रक्रिया भी है।”
सी टी यूनिवर्सिटी में इंटरनेशनल शेफ्स डे 2025 का यह आयोजन सिर्फ एक कुकिंग इवेंट नहीं था, बल्कि यह “भोजन के माध्यम से शिक्षा, जुड़ाव और करुणा” का संदेश देने वाला उत्सव था।SOHMAT लगातार इस दिशा में कार्य कर रहा है कि उसके छात्र सिर्फ बेहतरीन शेफ ही नहीं बल्कि समाज के प्रति संवेदनशील नागरिक भी बनें — जो “दिल से खाना बनाते हैं और सेवा की भावना से परोसते हैं।”
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