उप कुलपति ने के.एम.वी. द्वारा एक सुदृढ़ अनुसंधान वातावरण विकसित करने की प्रतिबद्धता की प्रशंसा की
जालंधर (मोहित अरोड़ा) :- कन्या महा विद्यालय (स्वायत्त) की प्रतिष्ठित अध्यापक, जो सक्रिय रूप से पीएचडी शोधार्थियों का मार्गदर्शन कर रहे हैं, को गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर के उप कुलपति प्रो. डॉ. करमजीत सिंह द्वारा सम्मानित किया गया। यह सम्मान समारोह उनके शोध में महत्वपूर्ण योगदान और भविष्य के शिक्षाविदों को तैयार करने में उनकी अहम भूमिका को मान्यता देने हेतु आयोजित किया गया था। इस अवसर पर आर्य शिक्षा मंडल के अध्यक्ष श्री चंद्र मोहन तथा केएमवी प्रबंधन समिति के अन्य सदस्य भी उपस्थित थे। उल्लेखनीय है कि इस समारोह में केएमवी की 13 अध्यापकों को सम्मानित किया गया, जिनमें से एक अध्यापक एक पोस्ट डॉक्टोरल शोधार्थी का भी मार्गदर्शन कर रही हैं। इस अवसर पर उप कुलपति ने कहा कि केएमवी अपने अध्यापकों को अकादमिक उत्कृष्टता प्राप्त करने हेतु सर्वोत्तम वातावरण प्रदान कर रहा है और शोध के क्षेत्र में एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र को विकसित करने में निरंतर प्रयासरत है। कार्यक्रम में बोलते हुए प्राचार्या डॉ. अतीमा शर्मा द्विवेदी ने कहा कि केएमवी को अपने उन अध्यापकों पर गर्व है जो स्वयं तो अत्याधुनिक शोध कर ही रहे हैं, साथ ही अगली पीढ़ी के शोधकर्ताओं को भी आकार दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि गुरु नानक देव विश्वविद्यालय के उप कुलपति से मिला यह सम्मान इन अध्यापकों की मेहनत, बौद्धिक क्षमता और अकादमिक मार्गदर्शन के प्रति अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है। प्राचार्या डॉ. द्विवेदी ने आगे कहा कि केएमवी ने हमेशा शोध और नवाचार को प्राथमिकता दी है, और हमारे अध्यापक इस प्रयास की आधारशिला हैं। केएमवी में शोध को प्रोत्साहित करने की सुदृढ़ परंपरा रही है, जहां अध्यापक विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं एवं प्रकाशनों में सक्रिय रूप से संलग्न हैं। कई अध्यापकों को प्रतिष्ठित अनुसंधान अनुदान प्राप्त हैं और उनके नाम पेटेंट भी दर्ज हैं, जो उनके शोध कार्यों की प्रभावशीलता को दर्शाता है। सम्मानित अध्यापकों ने इस मान्यता हेतु केएमवी के प्रति आभार व्यक्त किया और ज्ञान के संवर्धन एवं समर्पित मार्गदर्शन के माध्यम से शोध को और आगे ले जाने की प्रतिबद्धता दोहराई। अंत में डॉ. द्विवेदी ने कहा कि यह सम्मान केएमवी की उच्च शिक्षा में अग्रणी संस्था के रूप में प्रतिष्ठा को और भी मजबूत करता है, विशेष रूप से शोध और डॉक्टोरल मार्गदर्शन के क्षेत्र में।