वी. अनंत नागेश्वरन, भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार
दिल्ली/जालंधर (ब्यूरो) :- आधुनिक डिजिटल युग में, चैटबॉट, पोर्टल, ऑनलाइन शिकायत निवारण व्यवस्था और प्रबंधन सूचना प्रणालियों द्वारा संचालित ई-गवर्नेंस पोर्टल ने सरकार को लोगों के बेहद करीब ला दिया है। प्रौद्योगिकी के माध्यम से सरकार रोजगार वृद्धि और कामगारों की सामाजिक सुरक्षा सहित कई क्षेत्रों में सेवा प्रदान करने को फिर से परिभाषित और पुनर्संयोजित कर रही है। अब प्रक्रियाएं अधिक कुशल, पारदर्शी और नागरिक-केंद्रित बन रही हैं। योजना से संबंधित पोर्टल अब ऑल-इन-वन” (एकल सुविधा) प्लेटफ़ॉर्म के रूप में कार्य कर रहे हैं, जो धोखाधड़ी, मैन्युअल प्रक्रियाओं और प्रशासनिक बोझ कम करते हुए कार्यक्रमों के बारे में निर्बाध ज्ञान प्रवाह और लाभ मापन की सुविधा प्रदान करते हैं। योजनाओं को आधार कार्ड से जोड़े जाने और विभिन्न योजनाओं के साथ इसके अंतर्संबंध से किसी को दो बार लाभ लेने से रोकने के साथ ही यह सुनिश्चित होता है कि लाभ समय पर लक्षित लोगों तक ही पहुंचें। आपस में जुड़े पोर्टल कामगारों को लाभकारी योजनाओं तक पहुंचने और आवेदन की स्थिति जानने, रोज़गार के अवसरों का पता लगाने और कौशल प्रशिक्षण प्राप्त करने में सक्षम बनाते हैं। जबकि ये नियोक्ताओं को राष्ट्रीय प्रतिभा पूल के उपयोग में सहायता प्रदान करते हैं, जिससे कौशल और अनुभव के आधार पर कामगारों की भर्ती संभव हो पाती है। इसके अतिरिक्त, ये पोर्टल असंगठित श्रमिकों, नौकरी के इच्छुक कामगारों, नियोक्ताओं और रोज़गार के अवसरों का व्यापक राष्ट्रीय डेटाबेस बनाने में योगदान देते हैं, जिससे नीति निर्माताओं को सूचित, डेटा- समर्थित निर्णय लेने की सहूलियत मिलती है। किसी बड़े संकट के समय, महामारी इत्यादि के दौरान, ये डेटाबेस बेहद उपयोगी सिद्ध होंगे, जिससे ज़रूरतमंदों की शीघ्रता से पहचान और समय पर सहायता सुनिश्चित हो सकेगी। यह डिजिटल शासन में परिवर्तन को सुव्यवस्थित कर रहा है, नागरिकों को सशक्त बना रहा है और कल्याणकारी प्रयासों की व्यापकता और प्रभावशीलता बढ़ा रहा है। इन पहल के कुछ उदाहरणों की यहां चर्चा की गई है। राष्ट्रीय करियर सेवा (एनसीएस) पोर्टल इस परिवर्तनकारी पहल का एक उल्लेखनीय उदाहरण है। श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा 2015 में आरंभ किए गए इस पोर्टल ने रोजगार के इच्छुक व्यक्तियों को संबंधित सेवा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 5 करोड़ 50 लाख से अधिक कामगारों के पंजीकरण के साथ, यह एक वन-स्टॉप प्लेटफ़ॉर्म के रूप में काम कर रहा है जो नौकरी पाने के इच्छुक व्यक्तियों को देश भर में रोज़गार के अवसरों से जोड़ता है। इस पर उन्हें करियर काउंसलिंग, जॉब मैचिंग, इंटर्नशिप और अप्रेंटिसशिप (प्रशिक्षुता), कौशल विकास पाठ्यक्रम आदि की जानकारी प्रदान की जाती है। किसी राज्य विश्वविद्यालय से तुरंत स्नातक होने वाला छात्र पहले मोबाइल फ़ोन के ज़रिए देश भर में नौकरी के अवसरों को जानने की कल्पना भी नहीं कर सकता था। पर आज, एनसीएस की मदद से कोई भी व्यक्ति आसानी से स्थान के हिसाब से पीएम गतिशक्ति के साथ एकीकरण के ज़रिए, देश भर में नौकरियों की खोज कर सकता है, करियर और नौकरी संबंधी परामर्श प्राप्त कर सकता है और यहां तक कि स्किल इंडिया डिजिटल (एसआईडी) पोर्टल के ज़रिए आवश्यक कौशल भी हासिल कर सकता है। यह सब उसे फ़ोन पर या स्थानीय रोजगार मेलों में शामिल होकर मिल सकता है। एनसीएस परियोजना के अंतर्गत अब तक लगभग 57 हजार रोज़गार मेले आयोजित किए जा चुके हैं। इसके अलावा, एनसीएस पोर्टल को स्किल इंडिया डिजिटल हब (एसआईडीएच), उद्यम, ई-श्रम, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ), कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी), पीएम गतिशक्ति, डिजीलॉकर और अन्य के साथ एकीकृत किया गया है, जिससे हितधारकों की उन तक पहुंच और दक्षता में वृद्धि हुई है। यह पोर्टल लगभग 30 राज्यों और निजी रोजगार पोर्टलों से भी जुड़ा हुआ है, जिससे कामगारों को नौकरी के अवसरों तक व्यापक पहुंच हो रही है। इसी तरह, श्रम सुविधा और समाधान पोर्टल, उद्योग और व्यापार के लिए अनुपालन और व्यापार सुगमता को बढ़ाते हैं तथा विवादों का तेजी से समाधान और दावे तथा श्रमिकों की शिकायतों का निपटान सुनिश्चित करते हैं। ईएसआईसी धनवंतरी मॉड्यूल अस्पतालों और औषधालयों को मरीजों का रिकॉर्ड (परीक्षण इत्यादि) पिछले मामले के इतिहास आदि की बेहतर उपलब्धता प्रदान करने में सक्षम बनाता है, जिससे रोगी की बेहतर देखभाल सुनिश्चित होती है। ये पहल सरकार के संकल्प के स्पष्ट प्रमाण हैं कि प्रौद्योगिकी के लाभ से विभिन्न पहल द्वारा सभी के लिए अधिक सुलभ, कुशल और पारदर्शी सेवा मुहैया कराने के कल्याणकारी उपायों में कोई भी पीछे न छूटे। रोजगार का दूसरा पहलू सामाजिक सुरक्षा है। भारत में एक बड़ा अनौपचारिक, असंगठित क्षेत्र है जो रोजगार प्रदान करता है। ऐसे रोजगार में नियोक्ता द्वारा कोई लिखित अनुबंध और सामाजिक सुरक्षा नहीं होती। इन कामगारों के लिए, बीमारी, चोट, दुर्घटना, नौकरी छूटना या अन्य आपात स्थिति जैसी कोई भी घटना तुरंत विपत्ति में बदल सकती है। अब सरकार के सामाजिक सुरक्षा के उपाय अस्थायी संकट को आजीवन कठिनाई में बदलने से रोकते हैं। सरकार के निरंतर प्रयासों से इसमें महत्वपूर्ण प्रगति हुई है और सबको सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाना सरकार की प्रमुख प्राथमिकता है। हाल तक लाखों असंगठित श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लाभों तक जागरूकता और पहुंच सीमित थी। पर ई-श्रम पोर्टल ने इस चुनौती का समाधान किया है। असंगठित श्रमिकों को अब सरकार की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिए एक विशिष्ट पहचान मिला है। वर्ष 2021 में आरंभ किए गए इस पोर्टल पर 30 करोड़ 70 लाख से अधिक असंगठित श्रमिक पंजीकृत हैं। यह पोर्टल लगभग 13 सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को एक ही स्थान पर एकीकृत कर श्रमिकों के लिए एकल समाधान के रूप में कार्य करता है, जिससे लाभों को लक्षित रुप से पहुंचाना, उन तक बेहतर पहुंच और योजना संतृप्ति (योजना लाभ) संभव हो पाता है। केंद्रीय बजट 2025-26 में गिग श्रमिकों (अल्पकालिक, अनुबंध-आधारित नौकरी करने वाले) का ई-श्रम से पंजीकरण कर विशिष्ट पहचान पत्र प्रदान किया गया है और उन्हें पीएम जन आरोग्य योजना के दायरे में लाकर सामाजिक सुरक्षा प्रदान की गई है। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ श्रमिकों का विवरण साझा करके, पोर्टल राज्य स्तर पर श्रमिक कल्याण कार्यक्रमों की बेहतर योजना और कार्यान्वयन को सक्षम बनाता है। इसके अलावा, पोर्टल को राष्ट्रीय करियर सेवा, स्किल इंडिया डिजिटल हब, प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना (पीएम-एसवाईएम), सरकारी योजनाएं खोजने के लिए “वन स्टॉप” समाधान प्रदान करने वाला राष्ट्रीय प्लैटफ़ॉर्म माईस्कीम, दिशा योजना आदि के साथ एकीकृत किया गया है। यह श्रमिकों को ई-श्रम पर एक बार पंजीकरण कराने से ही केंद्र और राज्य सरकारों के कई योजना पोर्टलों तक निर्बाध पहुंच प्रदान करता है। इससे योजना की पात्रता, योजना के लाभों, नौकरी के अवसरों का पता लगाने, कौशल प्रशिक्षण, पेंशन और बीमा जैसे लाभ की जानकारी एक ही स्थान पर मिलती है। इसकी पहुंच और भी व्यापक बनाने के लिए हाल ही में इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की भाषिणी परियोजना की 22 भाषाओं वाली एक बहुभाषी सुविधा को ई-श्रम में जोड़ा गया है। परिचालन को सरल बनाने के लिए राज्य माइक्रोसाइट और मोबाइल ऐप लॉन्च किए गए हैं। इन प्रयासों से उल्लेखनीय सफलता और घरेलू स्तर पर सराहना के साथ ही वैश्विक स्तर पर भी मान्यता मिली है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के नवीनतम डेटाबेस अद्यतन के अनुसार, भारत का सामाजिक सुरक्षा दायरा 2015 में 19 प्रतिशत से बढ़कर 2025 में ६४ दशमलव 3 प्रतिशत हो गया है। आईएलओ की विश्व सामाजिक सुरक्षा 2026 की रिपोर्ट के अनुसार लाभार्थियों के मामले में भारत 94 करोड़ 13 लाख के साथ दूसरे स्थान पर है। यह बढोतरी देश में सामाजिक सुरक्षा दायरे की गणना में 32 केंद्रीय योजनाओं के साथ राज्य की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को शामिल करने के सरकार के प्रयासों का परिणाम है। विश्व सामाजिक सुरक्षा 2026 के लिए डेटा पूलिंग की चल रही कवायद के तहत सामाजिक सुरक्षा दायरे में इस विकास को शामिल करने वाला भारत पहला देश बन गया है। इसी क्रम में, 34 करोड़ 60 लाख से अधिक सदस्यों वाले कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने ईपीएफओ के द्वितीय चरण में बदलाव के लिए कई डिजिटल सुधार लागू किए हैं। इनसे सदस्यों की पहुंच बढ़ी है और नियोक्ताओं का काम आसान हो गया है। यूनिवर्सल अकाउंट नंबर शुरू करने, एकीकृत केंद्रीकृत डेटाबेस बनाने, ई-पासबुक, उमंग ऐप, योगदानकर्ताओं के अंशदान का ई-संग्रह और डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र के प्रावधान सहित प्रमुख पहल से सदस्यों की सुविधा बढ़ी है। ईपीएफओ के तहत केंद्रीकृत पेंशन भुगतान प्रणाली आरंभ होने से देश में कहीं से भी पेंशन प्राप्त करने से 77 लाख पेंशनभोगियों को लाभ होगा। इसके अतिरिक्त, ऑटो-क्लेम सेटलमेंट सीमा बढ़ाकर एक लाख रुपए करने से लगभग 7 करोड़ 50 लाख सदस्यों को सुगमता होगी और दावों का निपटान तेजी से हो सकेगा। ईपीएफओ ने फंड ट्रांसफर प्रक्रिया को भी सरल बनाया है, जिससे एक करोड़ 25 लाख से अधिक सदस्यों को लाभ हुआ है और लगभग 90 हजार करोड़ रुपए का वार्षिक अंतरण सुगम हुआ है। इन सुधारों और ईपीएफओ के आधुनिकीकरण तथा डिजिटलीकरण दक्षता बढ़ाने और मैनुअल प्रक्रियाओं पर निर्भरता कम करने से सदस्यों और नियोक्ताओं दोनों के लिए प्रणाली संचालन आसान हो जाएगा। सरकारी के नीतिगत हस्तक्षेपों को उद्योग की सक्रिय भागीदारी का समर्थन आवश्यक है। उद्योग की महत्वपूर्ण भूमिका का एक प्रमुख उदाहरण ई-श्रम पहल है, जहां गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों (संस्थागत श्रमिकों) के लिए सामाजिक सुरक्षा का सफल कार्यान्वयन काफी हद तक प्लेटफॉर्म एग्रीगेटर्स की भागीदारी पर निर्भर करता है। नियोक्ताओं को यह समझना जरूरी है कि एक सुरक्षित, संरक्षित और संतोषजनक कार्यस्थल बनाना, साथ ही श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना दीर्घकालिक उत्पादकता के लिए नितांत आवश्यक है। इसके अतिरिक्त, श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करते हुए, वंचित और कमजोर समूहों को लक्षित और निरंतर समर्थन प्रदान करना भी महत्वपूर्ण है। यह समर्थन आर्थिक और सामाजिक प्रगति को बढ़ावा देगा और कार्यबल तथा अर्थव्यवस्था में भागीदारी की बाधाओं को दूर करने में मदद करेगा।