जालंधर (अरोड़ा) :- प्राचार्य डॉ. राजेश कुमार के दूरदर्शी नेतृत्व में, डी.ए.वी. कॉलेज जालंधर द्वारा “जुनून या दायित्व – शिक्षण, शोध, मार्गदर्शन; हम कहां खड़े हैं?” शीर्षक से एक विचारोत्तेजक संकाय विकास कार्यक्रम (एफडीपी) आयोजित किया गया। आरएंडडी सेल के सहयोग से स्टार डीबीटी विभागों द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में कई विभागों के प्रतिष्ठित शिक्षाविदों और शिक्षकों ने प्रतिभागिता की। प्राचार्य, ओवरऑल डीबीटी समन्वयक डॉ. पुनीत पुरी एवं डीन, आरएंडडी सेल डॉ. आशु बहल द्वारा मुख्य वक्ता डॉ. हिमेंद्र भारती का गुलदस्ता एवं प्लांटर प्रस्तुति के साथ औपचारिक स्वागत किया गया। तत्पश्चात् डॉ. पुरी ने मुख्य वक्ता डॉ. हिमेंद्र भारती का औपचारिक परिचय कराया। डॉ. पुरी ने वास्तविक प्रशंसा के साथ डॉ. भारती की शानदार शैक्षणिक यात्रा पर प्रकाश डाला, और प्राणी विज्ञान एवं पर्यावरण विज्ञान के क्षेत्र में उनके अग्रणी योगदान के बारे में बताया। अपने दूरदर्शी संबोधन में प्राचार्य डॉ. राजेश कुमार ने दिन की शुरुआत की।


एफडीपी की थीम पर बल देते हुए डॉ. कुमार ने शिक्षा जगत में जुनून और जिम्मेदारी के बीच सूक्ष्म संतुलन पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि शिक्षण दिल से होना चाहिए – सिर्फ दिमाग से नहीं,” उन्होंने शिक्षकों को युवा दिमागों को प्रेरित करने की खुशी से फिर से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित किया। इस अवसर पर उप प्राचार्य प्रो. सोनिका दानिया और डीबीटी समर्थित विभागों के विभागाध्यक्ष डॉ. पी के शर्मा, डॉ. भारतेंद्र सिंगला और डॉ. रेणुका मौजूद रहे। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला के प्राणीशास्त्र एवं पर्यावरण विज्ञान विभाग के डॉ. हिमेंद्र भारती का मुख्य भाषण रहा। डॉ. भारती ने शोध अनुदान हासिल करने के बारे में अपनी व्यापक अंतर्दृष्टि से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने अनुदान लेखन की पेचीदगियों पर प्रभावी ढंग से विस्तार से बताया – प्रस्तावों की संरचना से लेकर उद्देश्यों को स्पष्ट करने तक। उनके सत्र में उच्च शिक्षा के भविष्य को आकार देने में सहयोगी अनुसंधान, जीवंत शिक्षण पद्धतियों और सार्थक मार्गदर्शन के महत्व को रेखांकित किया गया। सत्र का समापन प्रमाण पत्र वितरण और आरएंडडी सेल के डीन डॉ. आशु बहल के आभार प्रदर्शन के साथ हुआ। कार्यक्रम में कुल 70 से अधिक संकाय सदस्यों ने भाग लिया।गणित विभाग की सहायक प्रोफेसर रंजीता गुगलानी ने कार्यक्रम की मेज़बानी की।