डी.ए.वी. यूनिवर्सिटी के द्वारा भारतीय शिक्षण मंडल के सहयोग से भारतीय ज्ञान परम्परा और एन.ई.पी. 2020 विष्य पर एक दिवसीय वर्कशॉप एवं प्रदर्शनी का सफल आयोजन

जालंधर/अरोड़ा -डी.ए.वी. यूनिवर्सिटी, जालंधर के द्वारा भारतीय शिक्षण मंडल के सहयोग से भारतीय ज्ञान परम्परा और नई शिक्षा नीति 2020 विष्य पर एक दिवसीय वर्कशॉप एवं प्रदर्शनी का सफलतापूर्वक आयोजन किया। यूनिवर्सिटी के स्थापना दिवस को समर्पित हुए इस प्रोग्राम में अखिल भारतीय संगठन, भारतीय शिक्षण मंडल के सचिव बी.आर. शंकरानंद मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित हुए. पंजाब के प्रांत प्रचारक नरेंद्र कुमार, मुख्य अतिथि थे और आई.आई.टी. रोपड़ के निदेशक प्रो. (डॉ.) राजीव आहूजा इस कार्यक्रम के विशेष अतिथि थे। इस के इलावा इस कार्यक्रम में प्रतिष्ठित विद्वानों और शिक्षकों ने भी शिरकत की, जिनमें डॉ. दिलीप कुमार, क्षेत्रीय निदेशक, आईआईएमसी, जम्मू, डॉ. मणिकांत पासवान, निदेशक, एसएलआईईटी लोंगोवाल, डॉ. भोला राम गुज्जर, निदेशक, एनआईटीटीटीआर, डॉ. राजेश कुमार भाटिया, निदेशक, पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज, चंडीगढ़, डॉ. मंजू, निदेशक, इग्नू, अजय रावल, अखिल भारतीय संयुक्त मंत्री, सुश्री जसपाल कौर, अखिल भारतीय संयुक्त मंत्री आदि शामिल थे।

जिनका प्रो. (डॉ.) मनोज कुमार, वाईस चांसलर, डी.ए.वी. यूनिवर्सिटी ने हार्दिक स्वागत किया।इस अवसर पर बोलते हुए आईआईटी रोपड़ के निदेशक प्रो. (डॉ.) राजीव आहूजा ने कहा, “मैं 30 से अधिक वर्षों से भारत से बाहर रह रहा हूँ और फिर भी मैं गर्व से कह सकता हूँ कि भारत और भारतीय ज्ञान प्रणाली को कोई नहीं हरा सकता।

पिछले कुछ वर्षों में हम किसी तरह अपनी जड़ों से दूर हो गए हैं और एनईपी 2020 उन अंतरालों को पाटने का एक तरीका है। आज भारत एक सेवा उद्योग है जबकि “विकसित भारत” के तहत हम इस देश को विनिर्माण और नवाचार का केंद्र बनाना चाहते हैं। देश के युवाओं पर भारत को महान बनाने की जिम्मेदारी है, एक ऐसी जगह जहाँ हर कोई पढ़ने और काम करने आएगा।”पंजाब के प्रांत प्रचारक नरेंद्र कुमार ने श्रोताओं को संबोधित करते हुए कहा, “अगर हम वास्तव में विकसित देश में रहना चाहते हैं तो हमें गुलामी की मानसिकता को छोड़ना होगा।

दुनिया को कोई और नहीं बदल सकता, अपने पूर्वजों के अनुशासन को अपनाएँ और हम सही दिशा में आगे बढ़ना शुरू कर देंगे। हमारा समाज अनुशासन के चार स्तंभों पर खड़ा है जिसमें नागरिक कर्तव्य, संस्कृति और मूल्यों का पालन, सामाजिक समानता और भारतीय जीवन शैली को अपनाना शामिल है, और अगर आप अपने जीवन में इन स्तंभों को संतुलित करते हैं तो आपने भारत को बदलने में योगदान दिया है।”श्रोताओं को संबोधित करते हुए बी.आर.शंकरानंद, अखिल भारतीय संगठन, भारतीय शिक्षण मंडल के सचिव ने कहा, “भारत को विकसित भारत बनाने के लिए नई शिक्षा नीति में भारतीय ज्ञान प्रणाली को शामिल करना बहुत ज़रूरी है।

हमें विकसित भारत के लिए शोध, आलोचनात्मक सोच और सबसे महत्वपूर्ण विकास की ज़रूरत है। हमें आध्यात्मिकता पर भी ध्यान देने की ज़रूरत है क्योंकि यह विश्व शांति की दिशा में एक कदम है।”धन्यवाद ज्ञापन देते हुए डी.ए.वी. विश्वविद्यालय के वाईस चांसलर प्रोफेसर (डॉ) मनोज कुमार ने कहा, “मैं इस कार्यक्रम में उपस्थित सभी गणमान्य व्यक्तियों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ जिन्होंने हमें अपने ज्ञान से आलोकित किया। चूंकि हम डीएवी विश्वविद्यालय और भारतीय शिक्षण मंडल का स्थापना दिवस मना रहे हैं, इसलिए इस उत्सव को चिह्नित करने के लिए इस बौद्धिक सत्र से बेहतर कुछ नहीं हो सकता था।

“कार्यक्रम में एक प्रदर्शनी भी प्रदर्शित की गई जिसमें छात्रों ने भारतीय ज्ञान प्रणाली, योग प्रस्तुति और शास्त्रार्थ के विभिन्न पहलुओं को समझाया। फार्मेसी विभाग के विद्यार्थियों ने भी भारतीय आयुर्वेदिक प्रणाली पर आधारित अपने नवीन उत्पादों को प्रदर्शित करने के लिए एक स्टॉल लगाया। कार्यक्रम का समन्वयन एग्रीकल्चर विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राहुल कुमार ने किया।

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