दिल्ली/जालंधर (ब्यूरो) :- वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद – केंद्रीय यांत्रिक इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान, दुर्गापुर, पश्चिम बंगाल (सीएसआईआर-सीएमईआरआई) ने स्थायी कृषि और इसके लिए ऊर्जा-सक्षम समाधानों को बढ़ावा देने का एक बड़ा कदम उठाते हुए आज 9 अप्रैल 2025 को लुधियाना में ई-ट्रैक्टर और ई-टिलर तकनीक का अनावरण किया। यह पहल भारत के स्वच्छ ऊर्जा अभियान में एक मील का पत्थर है। इसका मकसद नवाचार और स्थायी कृषि के माध्यम से बड़ा बदलाव लाना है। पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष प्रोफेसर आदर्श पाल विज मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम में शामिल हुए, उनके साथ डॉ. नचिकेत कोतवालीवाले, निदेशक, आईसीएआर-सिफेट, लुधियाना और डॉ. मंजीत सिंह, डीन, कृषि इंजीनियरिंग कॉलेज, पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना, विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित हुए। सीएसआईआर-सीएमईआरआई के निदेशक डॉ. नरेश चंद्र मुर्मू ने कार्यक्रम की मेजबानी की। इसका शुभारंभ मूल रूप से 28 फरवरी 2025 (राष्ट्रीय विज्ञान दिवस) को डॉ. जीतेंद्र सिंह, माननीय केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान मंत्री, भारत सरकार ने विज्ञान भवन, नई दिल्ली से किया। इसके बाद जम्मू और पालमपुर होते हुए लुधियाना में इस आयोजन का मुख्य आकर्षण सीएसआईआर-सेंटर फॉर एक्सीलेंस इन फार्म मशीनरी (सीएसआईआर—सीएमईआरआई—सीओईएफएम) की प्रदर्शनी है।





इसमें स्वच्छ ऊर्जा और स्थायी कृषि को लेकर भारत का दृढ़ संकल्प दिखता है। कार्यक्रम के दौरान बोलते हुए, माननीय मुख्य अतिथि प्रोफेसर आदर्श पाल विज, अध्यक्ष, पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, ने कहा, “मुझे इस कृषि क्रांति का हिस्सा बनकर खुशी हो रही है जो किसानों के लिए उद्योग से जुड़ने और आधुनिक, टिकाऊ प्रथाओं को अपनाने के लिए नए रास्ते खोल रही है। जैसा कि हम भविष्य की ओर देखते हैं, स्थिरता को अपनाना आवश्यक है, और इलेक्ट्रिक वाहन वायु प्रदूषण को कम करने और कृषि कार्यों को बदलने में एक महत्वपूर्ण कदम है। हर दिन हो रही तकनीकी प्रगति के साथ, उनका जिम्मेदार उपयोग सुनिश्चित करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी बन जाती है। बैटरियों का अवैज्ञानिक निपटान होना चाहिए। सुरक्षित अपशिष्ट प्रबंधन के लिए उचित ज्ञान महत्वपूर्ण है, जबकि हमारे वैज्ञानिक प्रभावी निपटान विधियों पर काम कर रहे हैं, दीर्घकालिक पर्यावरणीय कल्याण सुनिश्चित करने के लिए सभी हितधारकों की सामूहिक कार्रवाई भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।“ इस प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी के मुख्य आकर्षण हैं सीएसआईआर-सीएमईआरआई द्वारा विकसित कृषि कर्म की अत्याधुनिक इलेक्ट्रिक मशीनें – ई-ट्रैक्टर, सीएसआईआर प्राइमा ईटी11 और ई-टिलर। ये छोटे और सीमांत किसानों के लिए डिज़ाइन की गई हैं। इनकी नई तकनीकें कम्पन कम करने, रखरखाव आसान करने में सक्षम हैं। ये महिलाओं के लिए अधिक आरामदायक हैं और उत्सर्जन शून्य हैं इसलिए लंबे समय तक आर्थिक और पर्यावरण संबंधी लाभ देंगे। ये नवाचार पारंपरिक कृषि कर्म में बडे बदलाव के लिए जरूरी पर्यावरण अनुकूल, लागत प्रभावी और उच्च प्रदर्शन वाली इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) प्रौद्योगिकी के एकीकरण के लिए डिजाइन किए गए हैं। यह प्रयास स्वच्छ प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता और नवीकरणीय ऊर्जा के लक्ष्यों को पूरा करने को लेकर भारत सरकार के व्यापक दृष्टिकोण के अनुसार किया गया है। इस अवसर पर प्रौद्योगिकी के प्रदर्शन के अलावा भी बहुत कुछ था – सीएसआईआर-सीएमईआरआई के वैज्ञानिकों, कृषि विशेषज्ञों और सरकार के प्रमुख व्यक्तियों के साथ संवाद के सत्र ई-ट्रैक्टर और ई-टिलर का लाइव प्रदर्शन, स्मार्ट और टिकाऊ कृषि में हरित और स्वच्छ क्रांति का प्रदर्शन; किसानों द्वारा क्षेत्र परीक्षण; बातचीत और प्रतिक्रिया प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण और व्यावसायीकरण बढ़ाने के लक्ष्य से भागीदारों का एमएसएमई, निर्माताओं और कृषि-प्रौद्योगिकी कम्पनियों के साथ संवाद लुधियाना कार्यक्रम में बोलते हुए, सीएसआईआर-सीएमईआरआई के निदेशक डॉ. नरेश चंद्र मुर्मू ने इन इलेक्ट्रिक मशीनों की परिवर्तनकारी क्षमता पर जोर दिया, उन्हें पारंपरिक डीजल- संचालित ट्रैक्टरों के व्यवहार्य विकल्प के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा, ई-ट्रैक्टर और ई- टिलर टिकाऊ कृषि और पारंपरिक कृषि प्रौद्योगिकियों के व्यापक विद्युतीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण छलांग का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये इलेक्ट्रिक मशीनें न केवल पर्यावरण के अनुकूल हैं, बल्कि पारंपरिक डीजल-संचालित ट्रैक्टरों की क्षमताओं से मेल खाने के लिए इंजीनियर भी हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ नवाचार प्रदर्शित करना नहीं है, बल्कि स्वच्छ, लागत प्रभावी और उच्च प्रदर्शन वाले समाधानों की ओर बदलाव लाना है जो किसानों का समर्थन करते हैं और देश भर में टिकाऊ कृषि प्रथाओं को बढ़ावा देते हैं। कार्यक्रम के दौरान बोलते हुए, आईसीएआर-सिफेट, लुधियाना के निदेशक डॉ. नचिकेत कोतवालीवाले ने कहा, सीएसआईआर-सीएमईआरआई द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियां भारतीय कृषि को बदलने का बड़ा वादा करती हैं। हम अपने वैज्ञानिकों को व्यावहारिक और प्रभावशाली नवाचार विकसित करने में मदद करने के लिए किसानों और उद्योग से प्रतिक्रिया को प्रोत्साहित करते हैं, क्योंकि वे हर कदम पर आपका समर्थन करने और आपके साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। कार्यक्रम के दौरान बोलते हुए, डॉ. मंजीत सिंह, डीन, कृषि इंजीनियरिंग कॉलेज, पंजाब कृषि इंजीनियरिंग, लुधियाना ने कहा, इलेक्ट्रिक फार्म मशीनरी जैसे नवाचार स्वच्छ, स्मार्ट समाधानों के साथ कृषि के भविष्य को नया आकार दे रहे हैं। यह आवश्यक है कि हम इन प्रगतियों को जागरूकता और जिम्मेदारी के साथ जोड़कर उनके दीर्घकालिक प्रभाव और
स्थिरता को सुनिश्चित करें। पंजाब राज्य देश का प्रमुख कृषि क्षेत्र रहा है। यह देखते हुए इस प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी में सतत विकास वाले नवाचारों की अहमियत दिखाई गई है क्योंकि ये पर्यावरण को कम प्रभावित करते हुए कृषि उत्पादन बढ़ाएंगे। इस पहल से यह भी उम्मीद है कि ऐसे नवाचारों मेें किसानों, नीति निर्माताओं और उद्योग जगत के भागीदारों की दिलचस्पी बढ़ेगी। सीएसआईआर-सीएमईआरआई ने बड़े बदलाव के इस सफर में साथ देने के लिए किसानों, निर्माताओं, नीति निर्माताओं और अन्य सभी भागीदारों को आमंत्रित किया है। आज स्वच्छ ऊर्जा और नवाचार को सबसे आगे रखते हुए भारत कृषि जगत में स्थायित्व, कुशलता और खुशाहली की राह पर है। सीएसआईआर-सीएमईआरआई की राष्ट्रव्यापी प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी – यह एक राष्ट्रव्यापी प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी है, जिसमें सीएसआईआर-सीएमईआरआई की इलेक्ट्रिक कृषि मशीनरी की क्षमताएं प्रदर्शित की जाएंगी। 28 फरवरी 2025 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में भव्य उद्घाटन के साथ इसका शुभारंभ हुआ। इसके तहत भारत के 11 प्रमुख शहरों – जम्मू, पालमपुर, लुधियाना, रुड़की, लखनऊ, भोपाल, नागपुर, हैदराबाद, मैसूर, कराईकुडी और तिरुवनंतपुरम में कई संवाद सत्र और लाइव डेमोंस्ट्रेशन होंगे। भारत के विविध कृषि क्षेत्रों से होकर गुज़रते इस प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी का समापन कन्याकुमारी में होगा।